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नरोदा पाटिया केस में माया कोडनानी निर्दोष; हाईकोर्ट ने बाबू बजरंगी की सजा रखी बरकरार

2002 नरोदा पाटिया दंगा मामले में माया कोडनानी को बड़ी राहत मिली है। गुजरात हाईकोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया है, हालांकि बाबू बजरंगी की सजा को बरकरार रखा गया है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Fri, 20 Apr 2018 09:29 AM (IST)Updated: Fri, 20 Apr 2018 12:59 PM (IST)
नरोदा पाटिया केस में माया कोडनानी निर्दोष; हाईकोर्ट ने बाबू बजरंगी की सजा रखी बरकरार
नरोदा पाटिया केस में माया कोडनानी निर्दोष; हाईकोर्ट ने बाबू बजरंगी की सजा रखी बरकरार

अहमदाबाद (पीटीआइ)। 2002 नरोदा पाटिया दंगा मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले को बदलते हुए भाजपा की पूर्व नेता माया कोडनानी को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है। इस फैसले से माया कोडनानी को बड़ी राहत मिली है, हालांकि पूर्व बजरंग दल नेता बाबू बजरंगी की सजा को बरकरार रखा गया है। इसके अलावा हरीश छारा और सुरेश लांगड़ा को भी हाईकोर्ट ने दोषी माना है।

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2012 में विशेष अदालत ने सुनाया था फैसला 
बता दें कि जस्टिस हर्षा देवानी और ए एस सुपैहिया की बेंच ने अगस्त में हुई सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रखा था। अगस्त 2012 में एसआइटी केसों के लिए गठित विशेष अदालत ने भाजपा के पूर्व नेता माया कोडनानी समेत 32 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने कोडनानी को 28 साल की जेल और पूर्व बजरंग दल नेता बाबू बजरंगी को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। वहीं, अन्य सात को 21 साल के आजीवन कारावास। शेष अन्य को 14 साल के साधारण आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सबूतों के अभाव से अदालत ने 29 अन्य को रिहा कर दिया था।

विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ HC में अपील

आपको बता दें कि एसआइटी ने विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। वहीं, इस फैसले के खिलाफ दोषियों ने भी हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। गौरतलब है कि इस मामले की गंभीरता को समझने के लिए हाईकोर्ट के न्यायधीशों ने सुनवाई के दौरान नरोदा में उस इलाके का भी दौरा किया जहां दंगों के दौरान 97 लोगों की हत्या हुई थी।

गोधरा कांड के बाद हुआ नरोदा पाटिया दंगा 
27 फरवरी 2002 को गोधरा कांड के बाद नरोदा पाटिया दंगा हुआ था। यह घटना कार सेवकों को जिंदा जला देने के बाद हुई सबसे बुरी घटनाओं में से एक है। गोधरा कांड में 59 कार सेवकों को जिंदा जला दिया गया था। बता दें कि कोडनानी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। विशेष अदालत ने कोडनानी को नरोदा हिंसा में मुख्य साजिशकर्ता माना है।

इन्होंने खुद को मामले से किया अलग 
इससे पहले न्यायमूर्ति अकील कुरेशी, एम आर शाह, के एस झावेरी, जी बी शाह, सोनिया गोकानी और आर एच शुक्ला समेत कई उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने अपील पर सुनवाई के दौरान मामले से खुद को अलग कर चुके हैं।

क्या है नरोदा पाटिया मामला?
- 2002 गोधरा कांड के एक दिन बाद हुआ नरोदा पाटिया नरसंहार
- 28 फरवरी, 2002 को 97 लोगों की हुई थी हत्या
- इस दंगे में 33 लोग घायल हुए
- 27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन को जलाया गया था 
- नरोदा पाटिया कांड का मुकदमा अगस्त 2009 में शुरू हुआ
- 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए
- सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत हो गई
- अदालत ने सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए
- 2012 में स्‍पेशल कोर्ट ने माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को हत्या- षड्यंत्र रचने का दोषी पाया
- इसके अलावा 32 अन्‍य को भी दोषी ठहराया गया
- विशेष अदालत के फैसले को दोषियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।


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