माया कोडनानी को फांसी के पक्ष में नहीं मोदी
गुजरात की मोदी सरकार 2002 दंगों में दोषी पाई गई पूर्व मंत्री डॉ. मायाबेन कोडनानी को फांसी के पक्ष में नहीं है। लिहाजा, कोडनानी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) की फांसी की अपील राज्य सरकार ने ठुकरा दी है। हालांकि, विहिप नेता बाबू बजरंगी के खिलाफ फांसी
अहमदाबाद, [जागरण संवाददाता]। गुजरात की मोदी सरकार 2002 दंगों में दोषी पाई गई पूर्व मंत्री डॉ. मायाबेन कोडनानी को फांसी के पक्ष में नहीं है। लिहाजा, कोडनानी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल की फांसी की अपील राज्य सरकार ने ठुकरा दी है। हालांकि, विहिप नेता बाबू बजरंगी के खिलाफ फांसी की अपील मंजूर कर ली गई है। गुजरात के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी से परामर्श के बाद कानून मंत्रालय ने यह फैसला किया है। त्रिवेदी के मुताबिक, मायाबेन के खिलाफ कोई ठोस सुबूत नहीं है।
विशेष अदालत ने नरोडा पाटिया दंगा मामले में अगस्त, 2013 में डॉ. मायाबेन कोडनानी को 28 साल की सजा सुनाई। वहीं, बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा दी थी। दंगा मामलों की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने दंगा मामलों को अतिदुर्लभ अपराध बताते हुए दोषियों को फांसी की सजा की मांग की थी। एसआइटी की ओर से इस आशय का एक पत्र गुजरात सरकार को सौंपा गया था। सूत्रों के अनुसार कानून मंत्रालय ने महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी से परामर्श के बाद कानून व गृह मंत्रालय ने 5 सितंबर, 2013 को मायाबेन के खिलाफ फांसी की अपील को ठुकरा दिया, जबकि बाबू बजरंगी के खिलाफ अपील को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस फैसले को राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। कानून के जानकारों का मानना है कि मायाबेन व बजरंगी पर एक ही तरह के दोष सिद्ध हुए हैं। दोनों के खिलाफ सुबूत व गवाह भी एकसमान हैं। ऐसे में बाबू बजरंगी के खिलाफ अपील को मंजूर करने वाली राज्य सरकार मायाबेन को फांसी की अपील पर स्वीकृति से इन्कार कैसे कर सकती है। अब एसआइटी को बजरंगी, सुरेश लांगदो, प्रेमचंद तिवारी, सुरेश नटलेकर और मनु मरुदा को फांसी की अपील करेगी। गोधराकांड के बाद हुए नरोडा पाटिया दंगों में 96 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कोडनानी और बजरंगी सहित 30 लोगों को दोषी करार दिया गया था।
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