ब्याज पर ब्याज में छूट के लिए दिशानिर्देश जारी, पढ़े इससे जुड़ी सभी जानकारी
पहले मार्च से 31 अगस्त तक की लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान दो करोड़ रुपये तक के लोन ग्राहकों से ब्याज पर वसूला गया ब्याज वापस किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को जल्द से जल्द कदम उठाने को कहा था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। त्योहारों के मौसम में उपहार देते हुए वित्त मंत्रालय ने लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज में छूट के लिए दिशानिर्देश जारी कर दिया है। इसके तहत पहले मार्च से 31 अगस्त तक की लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान दो करोड़ रुपये तक के लोन ग्राहकों से ब्याज पर वसूला गया ब्याज वापस किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को जल्द से जल्द कदम उठाने को कहा था। वित्तीय सेवा विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देश के अनुसार ऐसे कर्जदार जिन पर 29 फरवरी तक कुल लोन दो करोड़ रुपये से कम था, उन्हें छूट मिलेगी। यह स्कीम एमएसएमई और पर्सनल लोन के लिए है। मोरेटोरियम अवधि में ग्राहकों से ब्याज पर ब्याज के रूप में वसूली गई राशि बैंकों की ओर से उनके खाते में वापस की जाएगी।
इसकी भरपाई सरकार अपनी तरफ से करेगी। इस योजना में सरकार पर 6,500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। 14 अक्टूबर को इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार ने आम जनता को ध्यान में रखते हुए अच्छा फैसला किया है, लेकिन अब तक इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि लोन मोरेटोरियम मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया था। सरकार ने कहा था कि मौजूदा हालात में विभिन्न सेक्टर को और राहत देना संभव नहीं है। राजकोषषीय नीति के मामले में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। पांच अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार के हलफनामे पर असंतोषष जताया था। साथ ही केंद्र एवं भारतीय रिजर्व बैंक ([आरबीआइ)] को विस्तृत जानकारी के साथ हलफनामा देने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट में नए हलफनामे में रिजर्व बैंक ने कहा कि लोन मोरेटोरियम की अवधि और ब़़ढाना सही नहीं है। मोरेटोरियम को छह महीने से ज्यादा ब़़ढाने से कर्ज अनुशासन बिग़़डेगा। कर्जदारों का व्यवहार प्रभावित होगा। इससे सबसे ज्यादा छोटे कर्जदार प्रभावित होंगे। केंद्रीय बैंक ने अदालत से फैसला आने तक किसी भी खाते को फंसा कर्ज ([एनपीए)] नहीं घोषिषत करने के अंतरिम आदेश को भी तत्काल वापस लेने की अपील की है। आरबीआइ ने कहा कि ऐसा नहीं होने से बैंकिंग सिस्टम पर बुरा असर प़़डेगा और कई नियामकीय व्यवस्थाएं भी प्रभावित होंगी।