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    क्षतिपूर्ति सेस हटने से प्रभावित होगा राज्यों का राजस्व, कई राज्यों के जीएसटी संग्रह में गिरावट

    By RAJEEV KUMAREdited By: Garima Singh
    Updated: Tue, 02 Dec 2025 11:30 PM (IST)

    जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस हटाने का असर राज्यों के राजस्व पर दिखने लगा है। नवंबर में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के जीएसटी संग्रह ...और पढ़ें

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    राज्यों के जीएसटी संग्रह में गिरावट

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। जीएसटी के दायरे से क्षतिपूर्ति सेस को बाहर करने का असर राज्यों के राजस्व पर अब दिखने लगेगा। इस साल नवंबर में कई राज्यों के जीएसटी संग्रह में पिछले साल नवंबर की तुलना में गिरावट दर्ज की गई।

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    इनमें मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मध्य प्रदेश व आंध्र प्रदेश जैसे राज्य शामिल है। गुजरात व महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जीएसटी संग्रह में क्रमश: एक व चार प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी देखी गई। अब तक क्षतिपूर्ति सेस से इस कमी की भरपाई हो जाती थी।

    राज्यों के जीएसटी संग्रह में गिरावट

    सितंबर में जीएसटी की दरों में बदलाव के बाद पान मसाला व गुटखा जैसे आइटम को छोड़ अन्य सभी वस्तुओं को क्षतिपूर्ति सेस से मुक्त कर दिया। पान मसाला व गुटखा जैसे आइटम पर भी जो क्षतिपूर्ति सेस लिए जा रहे हैं, उसका इस्तेमाल कोरोना काल में राज्यों की मदद को लेकर लिए गए लोन को चुकाने के मद में किया जा रहा है।

    अगले साल मार्च तक इस लोन का भुगतान पूरा हो जाएगा, फिर क्षतिपूर्ति किसी भी वस्तु पर नहीं रह जाएगा। दूसरी तरफ सितंबर में जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी दरों में कटौती का बड़ा फैसला किया गया। 12 प्रतिशत स्लैब में शामिल 90 प्रतिशत वस्तुओं को पांच प्रतिशत के स्लैब में शामिल कर दिया गया। नवंबर में जीएसटी संग्रह पर इसका असर राज्यों पर अधिक दिखा।

    केंद्र के कुल जीएसटी राजस्व में भी पिछले साल नवंबर की तुलना में सिर्फ 0.7 प्रतिशत का संग्रह में इजाफा देखा गया। जीएसटी विशेषज्ञों के मुताबिक पहले राज्यों के एसजीएसटी संग्रह में कमी की भरपाई क्षतिपूर्ति सेस से हो जाती थी। अब राज्यों को खुद इसकी भरपाई करनी होगी।

    क्षतिपूर्ति सेस हटने का प्रभाव

    वित्त मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को संसद में यह साफ कर दिया गया कि राज्यों की वित्तीय मदद के लिए क्षतिपूर्ति सेस की जगह सरकार कोई अन्य वैकल्पिक सेस या टैक्स नहीं ला रही है। चुनाव में जनता को मुफ्त में राशि देने का वादा कर चुके कई राज्य पहले ही वित्तीय दबाव में है।

    ऐसे में जीएसटी संग्रह में कमी उनके लिए चिंता का कारण बन सकता है। जीएसटी संग्रह सीधे तौर पर वस्तुओं की बिक्री से जुड़ा है। जिन राज्यों में वस्तुओं की अधिक बिक्री होगी, वहां जीएसटी संग्रह भी अधिक होगा।

    वैकल्पिक सेस नहीं लाएगी सरकार

    जीएसटी संग्रह में एसजीएसटी (स्टेट जीएसटी), सीजीएसटी (सेंट्रल जीएसटी) व आईजीएसटी (इंटिग्रेटेड जीएसटी) शामिल होता है। एसजीएसटी पूरी तरह से राज्य तो सीजीएसटी पूरी तरह से केंद्र रखता है। आईजीएसटी राज्य व केंद्र के बीच बंटता है।

    नवंबर में जम्मू-कश्मीर के जीएसटी राजस्व में पिछले साल नवंबर के मुकाबले 14 प्रतिशत, पंजाब में 13 प्रतिशत, उत्तराखंड में आठ प्रतिशत, दिल्ली में तीन प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में चार प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में नौ प्रतिशत, झारखंड में 30 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 17 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में पांच प्रतिशत व राजस्थान में चार प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। कई अन्य छोटे राज्यों में भी जीएसटी संग्रह में गिरावट का ही रुख रहा।