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शौर्य चक्र से सम्मानित होने के बाद ग्रुप कैप्टन वरुण ने छात्रों को लिखा था पत्र, दिया था खास संदेश

हेलीकाप्टर हादसे में घायल होने के बाद एक हफ्ते तक जिंदगी के लिए जंग लड़ने वाले ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने शौर्य चक्र से सम्मानित होने के बाद इस साल 18 सितंबर को अपने आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर छात्रों से संवाद किया था।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 15 Dec 2021 10:28 PM (IST)Updated: Thu, 16 Dec 2021 08:14 AM (IST)
शौर्य चक्र से सम्मानित होने के बाद ग्रुप कैप्टन वरुण ने छात्रों को लिखा था पत्र, दिया था खास संदेश
हेलीकाप्टर हादसे के एकमात्र घायल ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का भी निधन।

नई दिल्ली, प्रेट्र। हेलीकाप्टर हादसे में घायल होने के बाद एक हफ्ते तक जिंदगी के लिए जंग लड़ने वाले ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने शौर्य चक्र से सम्मानित होने के बाद इस साल 18 सितंबर को अपने स्कूल के छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था, 'औसत दर्जे का होने में कोई बुराई नहीं है।' वरुण सिंह ने चंडी मंदिर के आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य को लिखे पत्र में छात्रों से कहा था, 'औसत दर्जे का होने में कोई बुराई नहीं है। स्कूल में सभी बेहतरीन नहीं हो सकते और सभी 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल नहीं कर सकते। अगर आप ऐसा करते हैं तो यह जबर्दस्त उपलब्धि है और इसकी सराहना की जानी चाहिए।'

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उनका आगे कहना था, 'अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह न सोचें कि आप औसत दर्जे के लिए ही हैं। आप स्कूल में औसत दर्जे के हो सकते हैं, लेकिन यह जीवन में आने वाली चीजों का कोई पैमाना नहीं है।' सिंह ने कहा था, 'आप अपने शौक को पहचानिए। यह कला, संगीत, ग्राफिक डिजाइन, साहित्य आदि हो सकता है। आप जो भी काम करें, पूरी लगन से करें और अपना सर्वश्रेष्ठ दें। कभी भी यह सोचकर सोने न जाएं कि मैं और कोशिश कर सकता था।' उन्होंने कहा था कि वह स्कूल में औसत छात्र थे और 12वीं कक्षा में उनके मुश्किल से प्रथम श्रेणी के अंक आए थे, लेकिन उनमें विमानों के लिए जुनून था।

वरुण सिंह ने लिखा था, 'इस वर्ष 15 अगस्त को मुझे 12 अक्टूबर, 2020 को किए गए वीरता के एक कार्य के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। मैं इस प्रतिष्ठित पुरस्कार का श्रेय उन सभी को देता हूं, जिनसे मैं वर्षो से स्कूल, एनडीए और उसके बाद वायुसेना में जुड़ा रहा हूं। मेरा मानना है कि मेरा उस दिन का कार्य मेरे शिक्षकों के मार्गदर्शन का नतीजा है।'


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