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चुनावी साल में कृषि क्षेत्र की शानदार उपलब्धि, खाद्यान्न की रिकार्डतोड़ पैदावार

खाद्यान्न की रिकार्डतोड़ 28 करोड़ टन पैदावार हुई है, जिसमें चावल व गेहूं के साथ दलहन फसलों की भूमिका अहम रही है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 16 May 2018 08:50 PM (IST)Updated: Wed, 16 May 2018 08:50 PM (IST)
चुनावी साल में कृषि क्षेत्र की शानदार उपलब्धि, खाद्यान्न की रिकार्डतोड़ पैदावार
चुनावी साल में कृषि क्षेत्र की शानदार उपलब्धि, खाद्यान्न की रिकार्डतोड़ पैदावार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी साल में कृषि क्षेत्र की शानदार उपलब्धियां रही हैं। खाद्यान्न की रिकार्डतोड़ 28 करोड़ टन पैदावार हुई है, जिसमें चावल व गेहूं के साथ दलहन फसलों की भूमिका अहम रही है। इन फसलों में पैदावार के अब तक के सारे रिकार्ड टूट गये हैं। सरकारी और समर्थन मूल्य के प्रोत्साहन से मोटे अनाज की पैदावार भी बंपर हुई है। कृषि मंत्रालय ने बुधवार को यहां चालू फसल वर्ष 2017-18 में फसलों की पैदावार तीसरा अग्रिम अनुमान जारी किया है।

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- चालू फसल वर्ष में पैदावार का तीसरा अग्रिम अनुमान जारी

- फसल वर्ष में चावल व गेहूं के साथ दलहन की रिकार्ड पैदावार

- दालों के आयात में 10 लाख टन की गिरावट, 9775 करोड़ रुपये की बचत

बीते साल मानसून की अच्छी बारिश और खेतों में नमी के साथ सरकार की नीतिगत तैयारियों के चलते कृषि पैदावार में उल्लेखनीय प्रदर्शन हुआ है। चावल व गेहूं जैसी प्रमुख फसलों का उत्पादन सर्वाधिक हुई है। देश में खाद्यान्न की कुल पैदावार के अब तक के सभी अनुमान ध्वस्त हो गये और उत्पादन बढ़कर 28 करोड़ टन तक पहुंच गया है। इसमें चावल की हिस्सेदारी 11.15 करोड़ टन और गेहूं की 9.86 करोड़ टन है। मोटे अनाज का उत्पादन 4.49 करोड़ टन रहा है। जबकि मक्का की रिकार्ड 2.69 करोड़ टन पैदावार हुई है।

केंद्र में राजग की सरकार के गठन के समय देश में दालों की आयात निर्भरता बढ़ती जा रही थी। इसे कम करने के दिशा में किये गये प्रयास का परिणाम चालू फसल वर्ष के तीसरे अग्रिम अनुमान में दिखाई देने लगा है। दलहन फसलों की उत्पादकता बढ़ने से कुल पैदावार अब तक की सर्वाधिक 2.45 करोड़ टन पहुंच गई है। इससे आयात की संभावनाओं पर विराम लग सकता है। इसमें चना की पैदावार 1.12 करोड़ टन, अरहर की 42 लाख टन और उड़द की 32 लाख टन हुई है।

दलहन की बंपर पैदावार के अनुमान के चलते ही इस सीजन में दालों के आयात में भारी गिरावट दर्ज की गई है। लगभग 10 लाख टन दलहन का कम आयात हुआ है, जिससे 9775 करोड़ रुपये की सीधी बचत हुई है।

इसके विपरीत तिलहन की पैदावार में कोई उत्साहजनक नतीजे नहीं आये हैं। देश में खाद्य तेलों के सस्ते आयात से घरेलू किसानों के लिए तिलहन की खेती घाटे का सौदा बन चुकी है। इसके चलते तिलहन की पैदावार में गिरावट का रुख रहा है। पिछले साल जहां कुल पैदावार 3.28 करोड़ टन रही वहीं चालू फसल वर्ष के तीसरे अग्रिम अनुमान में यह घटकर 3.64 करोड़ टन हो गई है। लगभग 64 लाख टन तिलहन की कम पैदावार का अनुमान है।


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