ट्रेनों की लेटलतीफी में सुधार के लिए लगेंगे GPS उपकरण, नहीं हटेगा फ्लेक्सी किराया
अध्ययन से पता चला है कि फ्लेक्सी किरायों से रेलवे को नुकसान के बजाय फायदा हुआ है। इसलिए इन्हें समाप्त करने का कोई औचित्य उन्हें नजर नहीं आता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रीमियम ट्रेनों में लागू फ्लेक्सी किराया प्रणाली से राजस्व में हो रही बढ़ोतरी तथा वित्तीय दबाव के मद्देनजर रेल मंत्रालय फिलहाल इसे समाप्त करने के पक्ष में नहीं है। इस बात के संकेत रेलमंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने दिए।
पत्रकारों के साथ अनौपचारिक चर्चा में अधिकारियों का कहना था कि फ्लेक्सी किराये सिर्फ 168 ट्रेनों में लागू हैं। भारतीय रेल द्वारा चलाई जा रही 22 हजार ट्रेनों के मुकाबले यह संख्या नगण्य है। ये वे प्रीमियम ट्रेने हैं जिनका उपयोग सक्षम वर्ग करता है। गरीबों को सुविधा के लिए सक्षम वर्ग को कुछ अतिरिक्त खर्च करने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
अध्ययन से पता चला है कि फ्लेक्सी किरायों से रेलवे को नुकसान के बजाय फायदा हुआ है। इसलिए इन्हें समाप्त करने का कोई औचित्य उन्हें नजर नहीं आता है। वैसे भी वेतन और पेंशन मद में खर्च बढ़ने से रेलवे के आपरेटिंग रेशियो की स्थिति काफी दबावपूर्ण है। ऐसे में किराया राजस्व में लाभदायक स्थिति को बनाए रखने, गैर-किराया राजस्व में बढ़ोतरी और खर्चो में कमी के अलावा कोई चारा नहीं है।
लेटलतीफी रोकने को जीपीएस :
बताया जाता है कि साढ़े तीन महीनों के दौरान उठाए गए विशिष्ट कदमों के फलस्वरूप ट्रेनों के समय पालन की स्थिति में 22 फीसद सुधार हुआ है। ट्रेनों का सही समय दर्ज करने के लिए डेटा लॉगर के उपयोग के निर्णय के बाद शुरू में समय पालन में गिरावट आई थी। लेकिन बाद में धीरे-धीरे सुधार हुआ और अब 73 फीसद से ज्यादा ट्रेने समय पर चलने लगी हैं। इसमें और सुधार के लिए इंजनों में जीपीएस उपकरण लगाने का निर्णय लिया गया है। लगभग दस हजार ट्रेनों में जीपीएस उपकरण लगाए जाएंगे।
सीसीटीवी कैमरे :
स्टेशनों और ट्रेनों में यात्रियों, खासकर महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए निर्भया फंड के तहत 6000 रेलवे स्टेशनों में सीसीटीवी लगाने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा सभी प्रमुख ट्रेनों में भी सीसीटीवी लगाए जाएंगे, जिसकी शुरुआत 168 प्रीमियम ट्रेनों से होगी।
ट्रैक नवीकरण :
अभी जिस रफ्तार से पुराने ट्रैक के नवीकरण के लंबित कार्य पूरे हो रहे हैं, उसे देखते हुए अगले वर्ष से बैकलॉग समाप्त हो जाएगा। इसके बाद केवल उसी ट्रैक के नवीकरण की आवश्यकता रहेगी जिसने उसी वर्ष अपनी आयु पूरी की होगी। पिछले वर्ष 4000 किमी ट्रैक का नवीकरण हुआ था। जबकि इस वर्ष 5000 किमी का लक्ष्य है। इसी प्रकार दोहरीकरण के समस्त कार्य अगले पांच वर्ष में पूरे कर लिए जाएंगे। पहली बार दक्षिण भारत को उत्तर से जोड़ने वाली सभी प्रमुख लाइनों का दोहरीकरण पूरा हो गया है।