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पर्यटकों को रिझाने की कोशिशों पर टैक्स की मार

दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य देशों में होटलों पर टैक्स की दर अपेक्षाकृत कम है। इसके चलते बहुत से पर्यटक दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 08:58 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 08:58 PM (IST)
पर्यटकों को रिझाने की कोशिशों पर टैक्स की मार
पर्यटकों को रिझाने की कोशिशों पर टैक्स की मार

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। सरकार विदेशी पर्यटकों को रिझाने के लिए भले ही तमाम कोशिशें कर रही हो लेकिन टैक्स की उच्च दर पर्यटन उद्योग पर भारी पड़ रही है। हाल यह है कि विदेशी पर्यटकों को होटल में ठहरने के लिए सबसे ज्यादा टैक्स भारत में चुकाना पड़ता है जबकि दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य देशों में होटलों पर टैक्स की दर अपेक्षाकृत कम है। इसके चलते बहुत से पर्यटक दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं।

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पर्यटन उद्योग खासकर होटलों पर टैक्स का मुद्दा जीएसटी काउंसिल की बैठकों में भी उठा है। काउंसिल की फिटमेंट कमिटी ने भारत के साथ-साथ एक दर्जन से अधिक विकसित और विकासशील देशों में होटलों पर टैक्स का अध्ययन किया है। फिटमेंट कमिटी ने इसके लिए अंतरराष्ट्रीय होटल चैन हयात के विभिन्न देशों में टैरिफ और उन पर लागू होने वाले टैक्स की दर की रुपये में गणना की। इससे यह बात सामने आयी कि भारत में होटलों पर जीएसटी की दर काफी अधिक है। अन्य देशों की तुलना में भारत में होटल का टैरिफ कम होने के बावजूद टैक्स की दर अधिक होने की वजह से पर्यटकों को अधिक राशि चुकानी पड़ती है।

सूत्रों के मुताबिक गोवा और केरल जैसे प्रदेशों ने काउंसिल की बैठकों में होटलों पर टैक्स कम रखने की वकालत भी की थी लेकिन इसे नहीं माना गया। इन राज्यों की दलील थी कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों जैसे- थाइलैंड और सिंगापुर में होटलों पर टैक्स की दर काफी कम है, इसलिए पर्यटक उन देशों का रुख कर रहे हैं और भारत के हाथ से कारोबार निकल रहा है।

होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी होटलों पर टैक्स का मुद्दा सरकार के समक्ष उठाया है। द ओबेराय ग्रुप की कारपोरेट कम्युनिकेशंस की उपाध्यक्ष सिल्की सहगल का कहना है कि भारत में फाइव स्टार होटलों पर 28 प्रतिशत जीएसटी की दर अत्यधिक है। इससे न सिर्फ विदेशी पर्यटकों पर असर पड़ रहा है बल्कि घरेलू पर्यटक भी पड़ौसी एशियाई देशों का रुख कर रहे हैं। इससे देश की विदेशी मुद्रा आय पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। होटलों पर उच्च टैक्स दर होने की वजह से भारत अब इंडोनेशिया, चीनी, थाइलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, हांगकांग, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों की तुलना में महंगा टूरिस्ट डेस्टिनेशन हो गया है।

हालांकि वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जीएसटी लागू होने से पहले होटलों पर टैक्स की दर 28 प्रतिशत से भी अधिक थी।

उल्लेखनीय है कि हाल के वर्षो में अमेरिका जैसे विकसित देशों से भारत आने वाले पर्यटकों का अनुपात कम हो रहा है जबकि बांग्लादेश से बढ़ रहा है। वर्ष 2017 में देश में आए 1.01 करोड़ विदेशी पर्यटक आए जिनमें करीब 20 फीसदी पर्यटक पड़ोसी देश बांग्लादेश से थे। बांग्लादेश से आने वाले अधिकांश पर्यटक हरदासपुर लैंड चैकपोस्ट के माध्यम से आ रहे हैं। हरिदासपुर लैंड चैकपोस्ट कोलकाता से करीब 200 किलोमीटर दूर है और इसी के रास्ते अधिकांश बांग्लादेशी पर्यटक भारत में आते हैं। परंपरागत तौर पर भारत आने वाले फ्रांस और जर्मनी जैसे कई यूरोपीय देशों के पर्यटकों की संख्या में हाल के वर्षो में कमी आयी है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं वर्ष 2013 से 2015 के दौरान फ्रांस, जर्मनी, इटली और नीदरलैंड जैसे संपन्न यूरोपीय देशों से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ने के बजाय तेजी से घटी है।

भारत में यह है होटलों पर जीएसटी की दर

होटल टैरिफ जीएसटी दर प्रतिशत में

1000 रुपये से कम शून्य

1000 से 2500 रुपये 12

2500 से 7500 रुपये 18

7500 रुपये से अधिक 28


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