सरकार को अपनानी चाहिए राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की घोषणा के लिए विस्तृत प्रक्रिया: परिषद
ईएसी-पीएम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एएसआई को स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने के लिए व्यापक मानदंड और विस्तृत प्रक्रिया अपनानी चाहिए। देश में 3695 एमएनआई हैं। रिपोर्ट के अनुसार स्वतंत्रता के बाद सूची की व्यापक समीक्षा के लिए कोई प्रयास नहीं किये गये
नई दिल्ली, पीटीआई। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने कहा है कि सरकार को स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने के लिए व्यापक मानदंड के साथ ही विस्तृत प्रक्रिया अपनानी चाहिए। ईएसी-पीएम ने अपनी रिपोर्ट 'राष्ट्रीय महत्व के स्मारक- युक्तिसंगत बनाने की तत्काल आवश्यकता' में इस ओर संकेत दिया कि राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों (एमएनआई) के संरक्षण और रख-रखाव पर अपर्याप्त खर्च होता है।
ASI के अधीन हैं 3,695 एमएनआई
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने के लिए व्यापक मानदंड और विस्तृत प्रक्रिया अपनानी चाहिए। देश में 3,695 एमएनआई हैं जो एएसआई के अधीन हैं। प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल तथा अवशेष अधिनियम, 1958 में इसके संरक्षण का प्रविधान है। ईएसी-पीएम के सदस्य संजीव सान्याल द्वारा तैयार रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि इन स्मारकों से होने वाली आय क्रियान्वयन एजेंसियों के पास रहनी चाहिए। एमएनआई की मौजूदा सूची में बड़ी संख्या में ऐसे स्मारक हैं जिन्हें 1947 से पहले औपनिवेशिक कानूनों के तहत यह पहचान दी गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, स्वतंत्रता के बाद सूची की व्यापक समीक्षा के लिए कोई प्रयास नहीं किये गये। एसी-पीएम का यह भी विचार है कि एमएनआई की सूची में भौगोलिक संतुलन बहाल करने के प्रयास होने चाहिए। इसमें कहा गया है कि लगभग 75 ब्रिटिश कालीन कब्रिस्तान या श्मशान को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक माना जाता है।