Move to Jagran APP

सियासी रार में फंसी जेपीसी करेगी हेलीकॉप्टर सौदे की जांच

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे में घूसखोरी के आरोपों की जांच ने संसद में नया बवाल खड़ा कर दिया है। मामले की जांच दोनों सदनों की संयुक्त संसदीय समिति [जेपीसी] को सौंपने को लेकर सरकार की ओर से राज्यसभा में रखा प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित तो हो गया लेकिन विपक्ष के अभाव में। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने जेपीसी को सरकार की ओर से ध्यान भटकाने और त्वरित जांच से बचने की कोशिश बताते हुए इससे बाहर रहने का एलान किया है। ऐसे में यह अभूतपूर्व स्थिति होगी जब किसी जेपीसी में विपक्ष ही शामिल न हो।

By Edited By: Published: Wed, 27 Feb 2013 06:39 PM (IST)Updated: Wed, 27 Feb 2013 11:06 PM (IST)
सियासी रार में फंसी जेपीसी करेगी हेलीकॉप्टर सौदे की जांच

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे में घूसखोरी के आरोपों की जांच ने संसद में नया बवाल खड़ा कर दिया है। मामले की जांच दोनों सदनों की संयुक्त संसदीय समिति [जेपीसी] को सौंपने को लेकर सरकार की ओर से राज्यसभा में रखा प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित तो हो गया लेकिन विपक्ष के अभाव में। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने जेपीसी को सरकार की ओर से ध्यान भटकाने और त्वरित जांच से बचने की कोशिश बताते हुए इससे बाहर रहने का एलान किया है। ऐसे में यह अभूतपूर्व स्थिति होगी जब किसी जेपीसी में विपक्ष ही शामिल न हो।

loksabha election banner

संसद में करीब चार घंटे चली बहस के बाद सवालों से घिरी सरकार ने सौदे पर जारी सीबीआइ जांच की निगरानी संसद के दोनों सदनों की 30 सदस्यीय समिति को सौंपने का एलान किया। समिति में 20 सदस्य लोकसभा और 10 सदस्य राज्यसभा से प्रस्तावित हैं। इस बाबत संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ की ओर से रखे प्रस्ताव का राजग व तृणमूल कांग्रेस ने विरोध किया। वहीं माकपा ने इस प्रस्ताव पर मतदान से पहले सदन से बहिर्गमन किया। नेता विपक्ष अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि घूसखोरी के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर तेजी से जांच के बजाए पड़ताल जेपीसी को सौंपकर सरकार सचाई उजागर करने की जिम्मेदारी से बच रही है। सौदे में घूस ली गई या नहीं इसका सच गिरफ्तारियों, कड़ी पूछताछ व छापे डालने से सामने आएगा। समिति कक्ष में बैठे सांसद यह पता नहीं लगा सकते कि सौदे के लिए भारत में किसने घूस ली। विपक्षी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामले की सीबीआइ जांच की वकालत की।

सरकार के प्रस्ताव का बचाव करते हुए संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि जेपीसी इस मामले में पहले से चल रही सीबीआइ जांच की निगरानी करेगी। सरकार और उसकी सभी एजेंसियां भी जेपीसी को पूरा सहयोग देंगी। साथ ही सदस्य विभिन्न स्रोतों से मिलने वाली सूचनाओं के आधार पर तथ्यों की पड़ताल कर सकेंगे। तीस सदस्यों वाली यह समिति पहली बैठक से तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सदन को देगी। इससे पहले बहस का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि संप्रग सरकार मामले में सचाई का पता लगाने के लिए संकल्पित है और इसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

जेपीसी को लेकर सरकार और विपक्ष की दलीलों के बीच सियासी पैंतरे भी साफ हो गए। चुनावी मौसम की तैयारी कर रहा विपक्ष जहां संप्रग सरकार पर लगे घोटाले के हर आरोप को बढ़ाकर दिखाने की कोशिश में है। वहीं हेलीकॉप्टर सौदे की जांच में बीते लगभग एक साल के दौरान कुछ भी ठोस पाने में नाकामयाब रही सरकार मामले में फिलहाल मोहलत का गलियारा तलाश रही है। विपक्ष ने आरोप भी लगाया कि जल्द ही चुनावी साल में प्रवेश कर रही पंद्रहवीं लोकसभा में अब जेपीसी जांच केवल ध्यान बंटाने का दांव है। इस बीच लगभग हर मुश्किल मौके पर सरकार की भरोसेमंद मददगार साबित हुई सपा और बसपा ने हेलीकॉप्टर सौदे की जांच और भ्रष्टाचार को लेकर खूब नसीहतें देने के साथ ही जेपीसी जांच का समर्थन किया।

जेपीसी पर जदयू नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि उनकी पार्टी इसका समर्थन कर सकती है बशर्ते इसकी अध्यक्षता नेता विपक्ष को सौंपी जाए। मालूम हो जेपीसी जांच के संकेत संसदीय कार्यमंत्री ने 19 फरवरी को ही दे दिए थे।

-------

इसी विपक्ष ने 2जी मामले में जेपीसी को लेकर हफ्तों सदन की कार्रवाई नहीं चलने दी थी। अब इस मामले में जेपीसी का विरोध हो रहा है। 2जी मामले में तो एफआइआर हो चुकी थी और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच भी चल रही थी फिर भी जेपीसी से जांच मांगी गई।

कमलनाथ, संसदीय कार्यमंत्री

-------

सरकार जेपीसी के बहाने केवल जांच को टाल रही है। जिस मामले में अभी तक एफआइआर भी दर्ज नहीं हुई उसमें समिति कक्ष में जेपीसी की बैठकों में क्या जांच हो पाएगी।

नेता विपक्ष, अरुण जेटली

जेपीसी नहीं सीडब्लूसी

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। हेलीकॉप्टर घोटाले की जांच के लिए अभूतपूर्व तेजी के साथ संयुक्त संसदीय समिति [जेपीसी] का प्रस्ताव लेकर आई सरकार को भाजपा कामयाब नहीं होने देगी। राज्यसभा में जेपीसी के सहारे सच्चाई को भटकाने का आरोप लगाने के बाद नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने बाहर आरोप लगाया कि यह प्रस्तावित जेपीसी वस्तुत: कांग्रेस कार्य समिति [सीडब्लूसी] होगी।

बुधवार की राज्यसभा में भाजपा के रुख के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा जेपीसी में शामिल नहीं होगी। जाहिर है कि ऐसी जेपीसी का कोई अर्थ भी नहीं होगा जिसमें मुख्य विपक्षी दल मौजूद न हो। वामदलों के साथ साथ तृणमूल कांग्रेस ने भी यही संकेत दिया है। वहीं संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ की ओर से संसद को बाधित करने का आरोप लगाने का जवाब देते हुए भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडे़कर ने कहा कि 2जी मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई थी, कोर्ट से इसकी निगरानी भी हो रही थी। हेलीकॉप्टर मामले में भी पहले प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। भाजपा की ओर से यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि अब जब समय पूर्व चुनाव की आशंका जताई जा रही है, कांग्रेस जेपीसी की रस्म अदायगी कर अपना दामन बचाना चाह रही है। भाजपा सरकार को इसमें कामयाब नहीं होने देगी।

विपक्षी वार पर रक्षात्मक भूमिका में एंटनी

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वीवीआइपी हेलीकाप्टर सौदे की जांच को लेकर बुधवार को विपक्षी दलों के निशाने पर रहे रक्षा मंत्री एके एंटनी खुद भी रक्षात्मक भूमिका में नजर आए। मामले की तह तक पड़ताल और दोषियों को सजा की हुंकार के बीच सौदे की जांच को लेकर एंटनी की सीमाएं भी दिखीं, जिसे नेता विपक्ष अरुण जेटली ने खूब निशाना बनाया। बेदाग छवि वाले माने जाने वाले रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सौदे में गड़बड़ी के आरोपों से आहत होकर उन्होंने इस्तीफे के बारे में भी सोचा था।

रक्षा मंत्री ने इन आरोपों को खारिज किया कि बीते एक साल में सरकार ने सौदे में गड़बड़ी के आरोपों की जांच में कोई ढिलाई बरती।

एंटनी ने कहा कि फरवरी 2012 से लेकर अब तक आठ बार रक्षा मंत्रालय ने इसके तथ्यों की पड़ताल के लिए विदेश मंत्रालय के माध्यम से विभिन्न पक्षों से संपर्क किया। दो बार मामले की जांच कर रहे इतालवी अभियोजन से भी संपर्क किया लेकिन ठोस सुबूत या जांच रिपोर्ट उसे आधिकारिक माध्यम से नहीं हासिल हो सकी। इसके बावजूद सरकार ने सीबीआइ को जांच सौप दी है जिसने पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी समेत 11 लोगों और चार कंपनियों के खिलाफ प्राथमिक जांच शुरू की है। भारतीय जांच टीम के इटली दौरे का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीनों में इतालवी अदालत की जांच पूरी हो जाएगी, जिसके बाद भारत को इस सौदे की जांच से जुड़े दस्तावेज हासिल हो सकेंगे। उन्होंने 3600 करोड़ रुपये के इस सौदे में कंपनी की ओर से दिए जवाब को भी अमान्य बताते हुए कहा कि इसके लिए सीबीआइ व इतालवी जांच के निष्कर्ष के आधार पर फैसला किया जाएगा। दोषी पाए जाने पर कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

एंटनी के तर्को को खारिज करते हुए नेता विपक्ष जेटली ने कहा कि इस मामले में रक्षा मंत्री की लाचारी साफ दिखाई देती है। इतालवी अदालत जबतक इसकी जांच पूरी नहीं करती तब तक भारत को केवल इंतजार करना होगा। मामले में किसी एफआइआर के अभाव में इस सौदे में घूस लेने वालों का नाम सामने नहीं आ सकता। सीबीआइ की प्राथमिक जांच से भी सच्चाई का पता लगना मुश्किल है क्योंकि इसमें किसी तरह की गिरफ्तारी संभव नहीं है। जेटली के मुताबिक केवल प्रशासनिक चिट्ठियां लिखकर न तो इटली से सूचना मांगी जा सकती है और न ही जांच का कोई निष्कर्ष संभव है।

बहस के दौरान तृणमूल सांसद सुकेंदु शेखर राय की ओर से आई अपने इस्तीफे की मांग पर कहा कि यह विचार मेरे मन में भी आया था। लेकिन मैं इस पद पर हूं ताकि इस सौदे की जांच को निष्कर्ष तक पहुंचा सकूं। अल्पकालिक बहस की शुरुआत करते हुए भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस सौदे में लगातार सामने आ रहे तथ्यों के बावजूद सरकार ने इसकी जांच नहीं की। जावडे़कर ने कहा कि मामले में दलाल के तौर पर सामने आए हश्के की भूमिका और नजदीकियां कामनवेल्थ खेल आयोजन से जुड़ी निर्माण कंपनियों से भी थी।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.