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Parliament Session: कर्मचारियों की सुरक्षा व वेतन पर दो बिल संसद में पेश, करोड़ों लोगों को मिलेगा लाभ

इनमें एक का संबंध कार्यस्थल पर कर्मचारियों की सुरक्षा कार्यदशाओं एवं स्वास्थ्य से जबकि दूसरे का समय पर तथा न्यूनतम निर्धारित मजदूरी सुनिश्चित करने से है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 23 Jul 2019 11:43 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 12:01 AM (IST)
Parliament Session: कर्मचारियों की सुरक्षा व वेतन पर दो बिल संसद में पेश, करोड़ों लोगों को मिलेगा लाभ
Parliament Session: कर्मचारियों की सुरक्षा व वेतन पर दो बिल संसद में पेश, करोड़ों लोगों को मिलेगा लाभ

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। श्रम सुधारों की दिशा में आगे बढ़ते हुए सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में प्रस्तावित श्रम संहिताओं से संबंधित दो बिल पेश किए। इनमें एक का संबंध कार्यस्थल पर कर्मचारियों की सुरक्षा, कार्यदशाओं एवं स्वास्थ्य से, जबकि दूसरे का समय पर तथा न्यूनतम निर्धारित मजदूरी सुनिश्चित करने से है। इनके जरिए 17 मौजूदा श्रम कानूनों को दो श्रम संहिताओं में समेटा जा रहा है।

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केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने लोकसभा में कर्मचारियों की कार्यगत सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशाओं पर संहिता (कोड ऑन ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस -ओएसएच) विधेयक 2019 तथा वेतन संहिता विधेयक 2019 पेश किए। इसका लाभ करोड़ों कर्मचारियों को मिलेगा।

13 श्रम कानूनों का सरलीकरण व संशोधन

ओएसएच कोड में मौजूदा 13 श्रम कानूनों का सरलीकरण, संशोधन एवं विलय कर एक कानून में तब्दील किया गया है। ये खदानों एवं गोदी-बंदरगाहों को छोड़ दस या उससे अधिक कर्मचारियों वाले सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होगा। इसमें सिनेमा एवं थियेटर कर्मचारियों को भी डिजिटल ऑडियो-विजुअल कर्मचारी मानते हुए शामिल किया गया है। इससे इलेक्ट्रानिक मीडिया के सभी रूप, जिनमें ई-पेपर, रेडियो शामिल है, इसमें आ गए हैं। इससे इस क्षेत्र में कार्यरत पत्रकारों व कर्मचारियों कीकार्यदशाओं में सुधार होगा। विधेयक के कानून बनने पर एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर काम करने वाले श्रमिकों को भी सुरक्षा प्राप्त होगी।

अब आश्रित दादा-दादी भी परिवार का हिस्सा

बेसहारा बुजुर्गो की देखभाल सुनिश्चित करने के लिए ओएसएच कोड विधेयक में परिवार की परिभाषा के तहत आश्रित दादा-दादी को भी परिवार का हिस्सा बनाया गया है। बिल में 10 से अधिक कर्मचारियों वाले सभी प्रतिष्ठानों के लिए एकल पंजीकरण की अवधारणा प्रस्तुत करने के साथ 'राष्ट्रीय कार्यगत सुरक्षा एवं स्वास्थ्य सलाहकार बोर्ड' की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है। इसमें ट्रेड यूनियनों, नियोक्ता संगठनों तथा राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे। इसका काम कर्मचारियों की कार्यगत सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के बारे में केंद्र तथा राज्यों को सुझाव देना होगा। इसी के साथ पांच मौजूदा कानूनों के तहत गठित अनेक समितियां समाप्त हो जाएंगी।

कर्मचारियों का साल में एक बार मुफ्त स्वास्थ्य जांच अनिवार्य

ओएसएच कोड में नियोक्ता के लिए हर कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र देना तथा साल में एक बार उनके स्वास्थ्य की मुफ्त जांच कराना अनिवार्य कर दिया गया है। बिल के प्रावधानों का उल्लंघन होने से यदि किसी कर्मचारी को चोट लगती है या मृत्यु हो जाती है तो नियोक्ता पर जुर्माना लगेगा। इस जुर्माने का कुछ हिस्सा (50 फीसद तक) कोर्ट के आदेश पर पीडि़त कर्मचारी या उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को प्रदान की जाएगा।

सभी संस्थानों में क्रेच, कैंटीन, प्राथमिक चिकित्सा, कल्याण अधिकारी जरूरी

अभी कर्मचारियों के कल्याण के लिए बने विभिन्न कानूनों में अलग-अलग प्रतिष्ठानों के लिए क्रेच, कैंटीन, प्राथमिक चिकित्सा, कल्याण अधिकारी आदि की व्यवस्थाओं के बारे में अलग-अलग मानदंड रखे गए हैं। प्रस्तावित कोड में सभी प्रतिष्ठानों के लिए समान प्रावधान किए गए हैं।

ओएसएच कोड में महिलाअों के लिए विशेष व्यवस्था

कोड में महिला कर्मचारियों को उनकी सहमति पर सुरक्षा, छुट्टी व काम के घंटों की शर्तो के साथ शाम 7 बजे से सुबह छह बजे तक काम करने की अनुमति दी गई है। कोड में फैक्टि्रयों के साथ ठेका मजदूर रखने वाले तथा बीड़ी-सिगार बनाने वाले प्रतिष्ठानों सबके लिए एक ही साझा लाइसेंस का प्रस्ताव किया गया है। पांच वर्ष के लिए ठेका मजदूर रखने के लिए पूरे भारत में एक ही लाइसेंस लेना होगा।

 कर्मचारियों को समय पर वेतन देने की व्यवस्था

इसमें न्यूनतम वेतन कानून के प्रावधानों को पूरे भारत में लागू करने तथा कर्मचारियों को समय पर वेतन देने की व्यवस्था है। इसके प्रावधान सभी क्षेत्रों पर लागू होंगे। अभी न्यूनतम वेतन कानून तथा वेतन भुगतान अधिनियम एक सीमा से कम वेतन पाने वाले अधिसूचित रोजगार क्षेत्रों के कर्मचारियों पर ही लागू होने से केवल 40 फीसद कर्मचारी ही इनसे लाभान्वित होते हैं। अब सभी को इनका लाभ मिलेगा। न्यूनतम वेतन के लिए विधायी आधारभूत वेतन की गणना न्यूनतम जीवनदशाओं के आधार पर तय की जाएगी। बिल में वेतन की 12 परिभाषाएं देकर सरल बनाया गया है।

विपक्ष का विरोध

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने बिल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि ये बड़ा मसला है इसलिए बिल को स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए। जबकि तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय तथा आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने भी यही मांग की। लेकिन गंगवार ने कहा कि दोनो बिल 13 कर्मचारी संगठनों से चर्चा के बाद तैयार किए गए हैं और वे सदस्यों की चिंताएं दूर करने का प्रयास करेंगे।


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