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सरकारी विभागों में जीमेल, याहू पर लगेगी पाबंदी

साइबर जासूसी से चिंतित सरकार संवेदनशील और महत्वपूर्ण आंकड़ों को सुरक्षित रखने की कवायद में जुट गई है। इसके तहत वह इस साल दिसंबर तक वह सरकारी विभागों में जीमेल और याहू जैसी ईमेल सेवाओं के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा सकती है।

By Edited By: Published: Tue, 29 Oct 2013 08:41 PM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2013 08:43 PM (IST)
सरकारी विभागों में जीमेल, याहू पर लगेगी पाबंदी

नई दिल्ली। साइबर जासूसी से चिंतित सरकार संवेदनशील और महत्वपूर्ण आंकड़ों को सुरक्षित रखने की कवायद में जुट गई है। इसके तहत वह इस साल दिसंबर तक वह सरकारी विभागों में जीमेल और याहू जैसी ईमेल सेवाओं के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा सकती है।

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सरकार अपने सभी विभागों में ईमेल संवाद के लिए आधिकारिक बेवसाइट एनआइसी की ईमेल सेवा का इस्तेमाल करने की सोच रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआइटीवाई) सरकारी अधिकारियों के ईमेल इस्तेमाल के लिए एक नीति बना रहा है। यह नीति लगभग तैयार हो चुकी है और विभाग इसके क्रियान्वयन के लिए अन्य मंत्रालयों से बातचीत कर रहा है। डीईआइटीवाई के सचिव जे सत्यनारायण ने बताया, भारत सरकार की ईमेल नीति लगभग तैयार हो चुकी है और हम इसके बारे में अन्य मंत्रालयों से विचार विमर्श कर रहे हैं। यह नीति मध्य या दिसंबर अंत तक क्रियान्वयन में आ जाएगी।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस नीति के बाद बड़ी संख्या में सरकार के संवेदनशील आंकड़ों को सुरक्षित रखा जा सकेगा। नई ईमेल नीति में इसका प्रावधान किया गया है कि सरकारी अधिकारियों के संवाद के लिए व्यावसायिक ईमेल सेवा जैसे जीमेल, याहू अथवा हॉटमेल के स्थान पर एनआइसी डाट इन के प्लेटफार्म के प्रयोग को आवश्यक रूप से लागू किया जाए।

इस नीति के क्रियान्वयन के लिए पूंजी आवश्यकता के बारे में पूछे जाने पर सत्यनारायण ने कहा, हमें एनआइसी के ढांचागत विकास के लिए तुरंत करीब 4 से 5 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। लेकिन पूरी तरह से नीति के क्रियान्वयन के लिए करीब 50 से 100 करोड़ रुपये की जरूरत हो सकती है।

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