बजट राशि खर्च करने में हड़बड़ी दिखाने वाले विभागों पर सरकार की नजर
सामान्य वित्तीय नियम, 2017 के नियम 62 (3) के अनुसार अगर कोई विभाग वित्त वर्ष के अंतिम महीने में निर्धारित सीमा से अधिक खर्च करता है तो यह अनुचित माना जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मार्च में बजट राशि खर्च करने में हड़बड़ी दिखाने वाले विभागों पर वित्त मंत्रालय की नजर है। मंत्रालय ने केंद्र के सभी विभागों से साफ कहा है कि अगर वे वित्त वर्ष के अंतिम महीने यानी मार्च में 15 प्रतिशत से अधिक धनराशि खर्च करते हैं तो यह वित्तीय नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
सामान्य वित्तीय नियम, 2017 के नियम 62 (3) के अनुसार अगर कोई विभाग वित्त वर्ष के अंतिम महीने में निर्धारित सीमा से अधिक खर्च करता है तो यह अनुचित माना जाएगा। इसलिए विभागों को ऐसा करने से बचना चाहिए। वित्त मंत्रालय ने इसी नियम का हवाला देते हुए सभी विभागों के प्रमुखों को आगाह किया है। नियमानुसार वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में पूरे वर्ष के लिए आवंटित धनराशि का 33 प्रतिशत से अधिक खर्च नहीं होना चाहिए। इसी तरह वित्त वर्ष के अंतिम माह (मार्च) में अधिकतम 15 प्रतिशत राशि ही खर्च की जा सकती है।
मंत्रालय की यह नसीहत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अब भी कई विभाग ऐसे हैं जो समय पर अपनी बजट राशि खर्च नहीं कर पाए हैं। कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (सीजीए) के अनुसार सरकार जनवरी के अंत तक संशोधित अनुमानों में तय की गई कुल व्यय राशि 22.17 लाख करोड़ रुपये में से लगभग 83 प्रतिशत खर्च कर चुकी है लेकिन कई मंत्रालय हैं जो चालू वित्त वर्ष में 10 महीने बाद आधी राशि भी खर्च नहीं कर पाए हैं। ऐसे में ये मंत्रालय मार्च तक अपना पूरा बजट खर्च नहीं कर पाएंगे।
मसलन, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के लिए सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 7660 करोड़ रुपये का बजट मुकर्रर किया लेकिन जनवरी 2017 के अंत तक मंत्रालय इसमें से मात्र 38 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाया। इससे साफ संकेत है कि मंत्रालय चालू वित्त वर्ष में पूरी धनराशि खर्च नहीं कर पाएगा। यही हाल औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग है और यह जनवरी के अंत तक महज 45 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाया है। इसी तरह कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय जिसे सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 2,356 करोड़ रुपये का बजट दिया लेकिन वह 64 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाया है।
यही हाल बिजली मंत्रालय का कहना है जो चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 10 महीनों में मात्र 63 प्रतिशत राशि खर्च कर पाया है। अल्पसंख्यक मामलों संबंधी मंत्रालय के खर्च का प्रतिशत भी औसत से काफी कम है। पर्यटन मंत्रालय भी चालू वित्त वर्ष में आवंटित 1,776 करोड़ रुपये के बजट में से जनवरी 2018 के अंत तक मात्र 68 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाया है। इस तरह मंत्रालय के पास फरवरी और मार्च में खर्च करने के लिए 32 प्रतिशत राशि बची।