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सरकार ने स्वीकार की चार जजों को सुप्रीम कोर्ट भेजने की सिफारिश

सरकार ने जस्टिस अनिरुद्ध बोस जस्टिस एएस बोपन्ना जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने को मंजूरी दे दी है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 09:44 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 09:44 PM (IST)
सरकार ने स्वीकार की चार जजों को सुप्रीम कोर्ट भेजने की सिफारिश
सरकार ने स्वीकार की चार जजों को सुप्रीम कोर्ट भेजने की सिफारिश

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। केंद्र सरकार ने चार न्यायाधीशों को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने की कोलेजियम की सिफारिश स्वीकार कर ली है। सरकार ने जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने को मंजूरी दे दी है। उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही नियुक्ति की अधिसूचना जारी होगी।

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चार नए न्यायाधीशों की नियुक्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या 31 हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के मंजूर पद 31 हैं जिसमें से अभी 27 न्यायाधीश काम कर रहे हैं।

हालांकि पहले सरकार ने जस्टिस बोस और जस्टिस बोपन्ना के नाम कोलेजियम को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिये थे लेकिन कोलेजियम ने सरकार की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए दोनों के नामों की सिफारिश दोहराई थी।

जस्टिस बोस झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं, जस्टिस बोपन्ना गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं, जस्टिस बीआर गवई बांबे हाई कोर्ट के न्यायाधीश हैं और जस्टिस सूर्यकांत हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं।

कोलेजियम ने गत 12 अप्रैल को जस्टिस बोस और जस्टिस बोपन्ना को सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नत करने की सिफारिश सरकार को भेजी थी लेकिन सरकार ने न्यायाधीशों की वरिष्ठता पर आपत्ति जताते हुए सिफारिश पुनर्विचार के लिए वापस भेज दी थी।

जस्टिस बोस हाई कोर्ट न्यायाधीशों की आल इंडिया वरिष्ठता में 12वें नंबर पर आते हैं जबकि जस्टिस बोपन्ना 36वें नंबर पर आते हैं। कोलेजियम ने दोनों के नाम की सिफारिश दोहराते हुए 1998 के फैसले का हवाला दिया था जिसमें कहा गया था कि नियुक्ति में उक्त न्यायाधीश के मूल हाई कोर्ट में आपसी वरिष्ठता के साथ हाई कोर्ट न्यायाधीशों की आल इंडिया वरिष्ठता सूची को पर्याप्त तरजीह दी जाएगी, लेकिन विचार करते समय व्यक्ति की मेरिट सबसे ज्यादा मायने रखेगी।

कोलेजियम ने कहा था कि उसने इन मानकों पर विचार करते हुए दोनों की नियुक्ति की सिफारिश की थी। इन दोनों न्यायाधीशों की योग्यता, आचरण और निष्ठा के बारे मे कोई भी विपरीत टिप्पणी नहीं की गई है इसे देखते हुए कोलेजियम अपनी 12 अप्रैल की सिफारिश दोहराती है।

इसके अलावा कोलेजियम ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की सिफारिश करते हुए कहा था कि कोलेजियम ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और हाई कोर्ट न्यायाधीशों की वरिष्ठता के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में सभी वर्गो एससी, एसटी, ओबीसी, महिला और अल्पसंक्यकों के प्रतिनिधित्व का भी ध्यान रखा है। साथ ही न्यायाधीशों की योग्यता, आचरण और निष्ठा पर भी विचार किया गया है।

जस्टिस गवई की सिफारिश करते हुए कहा गया था कि वह आल इंडिया वरिष्ठता में आठवें और बांबे हाई कोर्ट मे न्यायाधीशों की वरिष्ठता में चौथे नंबर पर आते हैं। कोलेजियम ने कहा था कि जस्टिस गवई की नियुक्ति से करीब एक दशक बाद सुप्रीम कोर्ट को ऐसा न्यायाधीश मिलेगा जो कि अनुसूचित वर्ग से हैं।

जस्टिस सूर्यकांत के नाम की सिफारिश करते हुए कोलेजियम ने कहा था कि वे आल इंडिया वरिष्ठता में 11वें और अपने मूल हाई कोर्ट पंजाब हरियाणा के न्यायाधीशों में वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर हैं।

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