राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई संबंधी फाइल को नहीं दबा सकते राज्यपाल: मद्रास हाई कोर्ट
कोर्ट ने रजिस्ट्री को कहा कि वह राज्यपाल कार्यालय के वकील को इस संबंध में सूचित करते हुए मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए कहे।
चेन्नई, प्रेट्र। मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार को साफ किया कि तमिलनाडु के राज्यपाल पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सात हत्यारों को छोड़ने संबंधी राज्य सरकार की सिफारिश वाली फाइल को लंबे समय तक नहीं दबा सकते। सातों फिलहाल उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। कोर्ट ने रजिस्ट्री को कहा कि वह राज्यपाल कार्यालय के वकील को इस संबंध में सूचित करते हुए मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए कहे। जस्टिस एन. किरुबाकरण व जस्टिस वीएम वेलुमणि ने कहा, 'ऐसे मामलों के निपटारे को राज्यपाल जैसे प्राधिकारों के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। इसका एकमात्र कारण उस संवैधानिक पद के साथ जुड़ी आस्था व विश्वास है। अगर ऐसे प्राधिकार उचित समय में निर्णय लेने में विफल रहते हैं तो अदालत को दखल के लिए मजबूर होना पड़ेगा।'
हाई कोर्ट ने मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एजी पेरारीवलन की मां टी. अर्पितम की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने अपने बेटे के इलाज के लिए 90 दिनों की पैरोल की मांग की है।
नलिनी ने वेल्लूर जेल में की जान देने की कोशिश
एक वरिष्ठ जेल अधिकारी ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन ने महिलाओं की चेन्नई स्थित जेल में रखने की मांग करके हंगामा किया। जबकि नलिनी के वकील पी. पुगालेंती ने दावा किया कि जेल में नलिनी का एक अन्य महिला कैदी और फिर जेलर से झग़़डा होने के बाद उसने सोमवार रात फांसी लगाकर अपनी जान देने की नाकाम कोशिश की।
राजीव गांधी की हत्या में शामिल सात लोगों में से एक नलिनी के वकील पी. पुगालेंती ने मंगलवार को बताया कि सोमवार की रात उन्हें जानकारी मिली कि वेल्लूर महिला जेल में नलिनी श्रीहरन ने फांसी लगाकर अपनी जान देने की कोशिश की। इस बारे में जब पुलिस और जेल अधिकारियों ने पूछा तो उन्होंने कहा कि यह जानकारी सही है। पुगालेंती ने जेल अधिकारियों पर नलिनी को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। साथ ही प्रशासन और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से उसकी जान को खतरा बताते हुए चेन्नई पुझाल जेल में भेजने की मांग की है।