खेतों में पेड़ लगाने की योजना पर सरकार का जोर, कानून बदलने से ही लग पायेंगे 'मेड़ पर पेड़'
चालू वित्त वर्ष 2017-18 के आम बजट में भी 'मेड़ पर पेड़' लगाने के उप मिशन तो पर्याप्त तरजीह दी गई है। अपने कानूनों में संशोधन करने वालों में फिलहाल केवल आठ राज्य ही शामिल हो सके हैं।
नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। कानून की पथरीली जमीन को तोड़ने के बाद ही मेड़ पर पेड़ लगाने की सरकारी योजना सिरे चढ़ पायेगी। केंद्र की इस योजना का लाभ राज्य भी तभी उठा पायेंगे, जब वे अपने कानूनों में समुचित संशोधन करेंगे। किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में केंद्र की यह एक महत्वपूर्ण पहल है। लकडि़यों की घरेलू मांग को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
केंद्र सरकार ने कृषि वानिकी में एक मेड़ पर पेड़ लगाने के उप मिशन की शुरुआत की है। इससे दो खेतों के बीच की सीमा रेखा के रूप में तैयार मेड़ों का व्यावसायिक उपयोग किये जाने की योजना है। फसल चक्र और खेती के आधुनिक तरीकों का उपयोग कर कृषि वानिकी को बढ़ावा दिया जा सकता है। लेकिन इस योजना के लिए राज्यों के लिए कुछ शर्तें लगा रखी हैं, जिसके तहत उन्हें अपने राज्यों के वन कानून में संशोधन और नियमों को सरल बनाया जायेगा।
चालू वित्त वर्ष 2017-18 के आम बजट में भी 'मेड़ पर पेड़' लगाने के उप मिशन तो पर्याप्त तरजीह दी गई है। अपने कानूनों में संशोधन करने वालों में फिलहाल केवल आठ राज्य ही शामिल हो सके हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब और तमिलनाडु प्रमुख है।
राज्यों को वन कानून और लकडि़यों की ढुलाई और अंतरराज्यीय आवाजाही के बारे में नियमों को सरल बनाने पर जोर देना होगा। इस तरह के स्पष्ट कानून बनाना होगा, ताकि पुराने कानूनों से लोगों को तंग न किया जा सके। कृषि सुधार में इसे प्रमुखता से लिया गया है। केंद्रीय वन कानून में भी इस तरह के संशोधन किये जा रहे हैं। कृषि वानिकी और वानिकी के बीच अंतर करने की जरूरत को स्पष्ट करने को कहा गया है।
खेतों के मेड़ों पर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर ज्यादा से ज्यादा कमाई करने का अवसर दिया जायेगा। जिन राज्यों अपने वन कानून में संशोधन कर एग्रो फारेस्ट्री को बढ़ावा देने की पहल की है, उन्हें केंद्र सरकार से पर्याप्त वित्तीय मदद मुहैया कराई जा रही है। वित्तीय लाभ उठाने वाले राज्यों की देखादेखी और भी राज्य सरकारें इस योजना के प्रति आकर्षित हो रही हैं। कृषि वानिकी से खाली जमीनों पर पेड़ लगाये जायेंगे, जिससे जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौती से निपटने में मदद मिलेगी।
देश में इमारती लकडि़यों की भारी कमी है। लड़की उद्योग कच्चे माल की किल्लत से गुजर रहा है। इसे पूरा करने के लिए लगातार निर्भरता बढ़ रही है। 'मेड़ पर पेड़' योजना से जहां लकडि़यों की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी, वहीं आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
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