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छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में बस्ते का बोझ कम करने के लिए सरकार ने किया ये उपाय

किताबों की नकली छपाई पर भी अंकुश लगेगा। हर साल किताबें अपडेट नहीं होती हैं, लिहाजा जानकारियां वेब पेज पर अपडेट हो जाएंगी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 10:12 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 10:27 PM (IST)
छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में बस्ते का बोझ कम करने के लिए सरकार ने किया ये उपाय
छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में बस्ते का बोझ कम करने के लिए सरकार ने किया ये उपाय

रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। राज्य में पहली से दसवीं तक के सरकारी स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में साल 2019 से क्विक रिस्पांस (क्यूआर) कोड होगा। हर यूनिट में विषयवस्तु, असेसमेंट और शिक्षकों के लिए नया अपडेट की जानकारी सीधे इंटरनेट के दीक्षा वेब पेज से लिंक होगी। विद्यार्थी अपनी समस्याओं का ऑनलाइन समाधान ढूंढ़ सकेंगे। किताबों की नकली छपाई पर भी अंकुश लगेगा। हर साल किताबें अपडेट नहीं होती हैं, लिहाजा जानकारियां वेब पेज पर अपडेट हो जाएंगी।

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अब किताबें ज्यादा मोटी नहीं होंगी इससे बस्ते का बोझ भी कम होगा। हर साल छपने वाले क्यूआर कोड एक हार्ड स्पॉट के लिए होंगे। इनके जरिये विद्यार्थी स्वयं अपनी समस्या के समाधान के लिए विषयवस्तु के संदर्भ में पाठ्य सामग्री, ऑनलाइन पठन सामग्री के रूप में ऑडियो-वीडियो, 2डी, 3डी एनिमेशन, ई-बुक, चित्र आदि बस एक क्लिक प्राप्त करेंगे। पीसी, टेबलेट, स्मार्ट फोन या मोबाइल में क्यूआर कोड स्कैनर को डाउनलोड करना होगा। किताब पर छपे क्यूआर कोड को स्कैन करने से पूरा चैप्टर खुल जाएगा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) अगले सत्र से हिन्दी माध्यम की 53 किताबों और अंग्रेजी माध्यम की 26 किताबों पर ये कोड छापने जा रहा है।

छत्तीसगढ़ होगा देश का छठवां राज्य

एनसीईआरटी ने अपनी किताबों में सबसे पहले क्यूआर कोड का प्रयोग किया। राज्यों में सबसे पहले उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र ने शुरुआत की थी। छत्तीसगढ़ छठवां राज्य है। क्यूआर कोड के जरिये बेहतर पढ़ाई के लिए राज्य ने केंद्र सरकार के दीक्षा-नेशनल टीचर्स प्लेटफार्म फॉर इंडिया एप्लीकेशन से टाईअप किया है। कोई शिक्षक भी दीक्षा एप के जरिये इस कोड को स्कैन करेगा वो दीक्षा पोर्टल पर पहुंच जाएगा। इसके साथ ही उन्हें पोर्टल पर मौजूद तमाम पठन सामग्री का लिंक मिल जाएगा।

छत्तीसगढ़ी बोली में भी बनेंगे वीडियो

राज्य स्तर पर छत्तीसगढ़ी बोली खासकर कुडुख, हल्बी, गोंडी, सरगुजिया और छत्तीसगढ़ी में भी ऑडियो-वीडियो बनाकर डाले जाएंगे। यह वीडियो दृश्यात्मक और मजेदार होने से बच्चों को पाठ जल्दी याद करने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान परिषद (एनसीईआरटी) ने पुस्तकों के भारी-भरकम पाठ्यक्रम को घटाने के लिए देशभर से सुझाव आमंत्रित किए गये थे। इनमें स्मार्ट एजुकेशन का भी एक अहम सुझाव रहा है।

आखिर क्या है क्यूआर कोड ?

क्यूआर कोड मशीन से काले और सफेद चौकोर से बना विशेष प्रकार का कोड होता है। इसे किताबों में छापा जाएगा। हर चेप्टर में तीन क्यूआर कोड होंगे। स्मार्टफोन के केमरे से इसमें स्टोर की गई वेब लिंक या अन्य सूचना को पढ़ा जा सकता है।

अगले सत्र से होगा बदलाव

'अगले सत्र 2019 से किताबों में नया बदलाव दिखेगा। क्यूआर कोड वाला छत्तीसगढ़ देश का छठवां राज्य बनेगा। बच्चों को अपने चेप्टर से सम्बंधित सारे सॉल्यूशन डिजिटल के माध्यम से हासिल हो जाएगा।' 

- सुधीर कुमार अग्रवाल, संचालक, एससीईआरटी


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