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Farmers Protest Update: कृषि सुधारों से पीछे नहीं हटेगी सरकार, बजट दिखाएगा रास्ता

कृषि सुधार कानूनों को लेकर कुछ विरोधी सुर उभरने के बावजूद सरकार पीछे नहीं हटने वाली है। किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर कई प्रावधान तो इस बजट में होंगे ही पंजाब और हरियाणा के किसानों के लिए कुछ खास घोषणा भी की जा सकती है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 08:59 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 06:50 AM (IST)
Farmers Protest Update: कृषि सुधारों से पीछे नहीं हटेगी सरकार, बजट दिखाएगा रास्ता
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की फाइल फोटो

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में कई हफ्तों से डेरा डाले किसानों के साथ चल रही मान-मनौव्वल के बीच वित्त मंत्रालय के अधिकारी आगामी आम बजट में कृषि क्षेत्र से जुड़े प्रस्तावों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। संकेत इस बात का है कि कृषि सुधार कानूनों को लेकर कुछ विरोधी सुर उभरने के बावजूद सरकार पीछे नहीं हटने वाली है। किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर कई प्रावधान तो इस बजट में होंगे ही, पंजाब और हरियाणा के किसानों के लिए कुछ खास घोषणा भी की जा सकती है।

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बजट में इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा कि कोरोना काल के भयंकर संकट के बावजूद कृषि क्षेत्र की विकास दर बहुत प्रोत्साहित करने वाली रही है। भारतीय कृषि को वैश्विक बाजार से जोड़ने की दिशा में कुछ बेहद महत्वपूर्ण घोषणा हो सकती है। संकट से घिरे कृषि क्षेत्र को सुधारों के जरिये नई ऊंचाई पर पहुंचाने की कोशिश लगातार हो रही है। केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए व्यापक योजना लागू की है, जिसका लक्ष्य 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करना है।

पिछले दोनों आम बजट में इस दिशा में कई कारगर प्रयास किए गए हैं। कोरोना काल के दौरान भी सरकार ने कृषिष क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। हरित क्रांति वाले राज्यों-पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से यहां की मिट्टी ऊसर होने के कगार पर पहुंच गई है। भूजल की हालत खराब है। अत्यधिक रसायनों के प्रयोग से वहां के आम लोगों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। इन राज्यों की खेती में फसल विविधीकरण (डाइवर्सिफिकेशन) पर जोर देना होगा।

हरियाणा ने इस दिशा में पहल करते हुए धान के बजाय किसी वैकल्पिक फसल की खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 17,500 रुपये की सहायता देनी शुरू की है। खाद्य सुरक्षा के लिहाज से देश के पूर्वी राज्यों में शुरू की गई दूसरी हरित क्रांति को रफ्तार देनी होगी। कृषि क्षेत्र में पोस्ट हार्वेस्ट यानी फसल कटाई के बाद की प्रक्रियाओं में होने वाली क्षति को रोकने और फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने को प्राथमिकता देनी होगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के सहारे उन फसलों को प्रोत्साहन देने की जरूरत है जिनकी बाजार में अच्छी मांग है और अधिक आमदनी की संभावना है।

लागत घटाने के उपाय करने होंगे

वित्त वर्ष 2021-22 के आम बजट की तैयारियां अपने अंतिम दौर में हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पिछले बजट के प्रावधानों को ही आगे बढ़ा सकती हैं। कृषिष मंडियों में सुधार के साथ वैश्विक बाजार में भारतीय कृषि उत्पादों की पैठ बनाने के उपायों पर आम बजट में अहम प्रावधान करने होंगे। कृषि क्षेत्र में लागत घटाने के साथ उपज के अच्छे मूल्य दिलाने की व्यवस्था करनी होगी।

सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना होगा

खेती की लागत घटाने के लिए जहां सौर ऊर्जा आधारित पंप लगाने की योजना को आगे ब़़ढाना होगा तो सिचाई के आधुनिक संसाधनों के उपयोग पर बल देना होगा। रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद के उपयोग को प्रोत्साहित करना होगा।

फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को तरजीह

पोस्ट हार्वेस्ट के नुकसान को खत्म करने के लिए हर तरह की उपज के वैज्ञानिक भंडारण की सुविधा प्रदान करने और फूड प्रोसेसिग इंडस्ट्री को तरजीह देनी होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में ही प्रसंस्करण इकाइयों के खुलने से नुकसान कम होगा और स्थानीय लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।

एथनाल उत्पादन को बढ़ावा

जरूरत से ज्यादा होने वाली कृषिष पैदावार की खपत के लिए एथनाल उत्पादन की छूट दी गई है जिसे और बढ़ाया जाना चाहिए। इससे पेट्रोलियम उत्पादों की आयात निर्भरता को घटाने में मदद मिल सकती है।


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