पर्यावरण और कृषि भूमि को नुकसान से रोकने के लिए एमपी में सरकार बनाएगी पराली से बायोगैस
किसानों से पराली सरकार खरीदेगी। पराली निकालने से लेकर उसके परिवहन तक का खर्च भी सरकार उठाएगी। पराली निकालने का प्रशिक्षण भी सरकार द्वारा दिया जाएगा। पराली से बनी इस बायोगैस का सीएनजी वाहनों सहित अन्य क्षेत्रों में ईधन के तौर पर इस्तेमाल हो सकेगा।
भोपाल, स्टेट ब्यूरो। मध्य प्रदेश में किसानों द्वारा खेत साफ करने के लिए जलाई जाने वाली पराली से पर्यावरण और कृषि भूमि को होने वाले नुकसान को देखते हुए सरकार इससे बायोगैस बनाने के प्लांट लगवाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार की प्रस्तावित योजना को मध्य प्रदेश में लागू किया जाएगा। इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया गया है। संभाग स्तर पर इसकी शुरुुआत होगी और फिर ब्लॉक स्तर तक इसका विस्तार किया जाएगा। यह जानकारी कृषि मंत्री कमल पटेल ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान से मुलाकात के बाद दी।
कृषि मंत्री पटेल ने कहा- पराली जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित होती है
कृषि मंत्री पटेल ने बताया कि किसान गेहूं और धान की फसल कटाई के बाद खेत साफ करने के लिए पराली में आग लगा देते हैं। इससे प्रदूषण तो खतरनाक स्तर पर पहुंच ही रहा है, भूमि की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित होती है क्योंकि भूमि को ताकत देने वाले जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।
कृषि मंत्री ने कहा- पराली को उपयोगी बायोगैस में बदला जाएगा, किसानों को होगा आर्थिक फायदा
कृषि मंत्री पटेल ने कहा है कि किसानों को पराली जलाने के कलंक से मुक्ति दिलाने के लिए मध्य प्रदेश में पराली को उपयोगी बायोगैस में बदला जाएगा। इससे किसानों को आर्थिक फायदा होगा। खेत तैयार करने के लिए पराली जलानी नहीं पड़ेगी और बायोगैस बनाने से अतिरिक्त आमदनी भी होगी।
कृषि मंत्री ने कहा- पराली जलाने पर किसानों को दंड देना या कानूनी कार्रवाई करना विकल्प नहीं है
उन्होंने कहा कि पराली जलाने की समस्या का समाधान भी यही है और इसे किसानों की समस्या को समझे बिना नहीं सुलझाया जा सकता है। किसानों को दंड देना या कानूनी कार्रवाई करना इसका विकल्प नहीं है। कृषि विज्ञानियों के साथ विचार-विमर्श करके मध्य प्रदेश में पराली से उपयोगी बायोगैस बनाने के उपाय पर अमल शुरू किया जा रहा है।
पराली से बनी बायोगैस का सीएनजी वाहनों में होगा इस्तेमाल
बहुत जल्द आवश्यक प्लांट की स्थापना के लिए पहल की जाएगी। किसानों से पराली सरकार खरीदेगी। पराली निकालने से लेकर उसके परिवहन तक का खर्च भी सरकार उठाएगी। पराली निकालने का प्रशिक्षण भी सरकार द्वारा दिया जाएगा। पराली से बनी इस बायोगैस का सीएनजी वाहनों सहित अन्य क्षेत्रों में ईधन के तौर पर इस्तेमाल हो सकेगा। इसमें पेट्रोलियम मंत्रालय भी मदद करेगा।