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सरकारी वेबसाइट में बड़ी लापरवाही, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को बना दिया राज्य प्रशासनिक सेवा का अफसर

इस सरकारी एजेंसी की वेबसाइट पर न केवल मुख्यमंत्री बल्कि विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर के नाम के आगे भी राज्य प्रशासनिक सेवा लिखा हुआ है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 04:27 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 07:18 PM (IST)
सरकारी वेबसाइट में बड़ी लापरवाही, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को बना दिया राज्य प्रशासनिक सेवा का अफसर
सरकारी वेबसाइट में बड़ी लापरवाही, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को बना दिया राज्य प्रशासनिक सेवा का अफसर

रायपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ की एक सरकारी वेबसाइट की बड़ी लापरवाही सामने आई है। वेबसाइट ने राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राज्य प्रशासनिक सेवा (राप्रसे) का अफसर बना दिया है। यह कमाल रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) ने किया है। इस सरकारी एजेंसी की वेबसाइट पर न केवल मुख्यमंत्री, बल्कि विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर के नाम के आगे भी राप्रसे (राज्य प्रशासनिक सेवा) लिखा हुआ है।

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यही नहीं राज्य की दूसरी सरकारी वेबसाइट्स की भी स्थिति लगभग ऐसी ही है। आलम यह है कि न अपडेट हो रही है और न गलतियों को सुधारा जा रहा है। इसकी वजह से सरकार की ज्यादातर वेबसाइट लोगों की मदद करने की बजाय गुमराह कर रहे हैं। यही वजह है कि अभी करीब महीने भर पहले ही राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त ने सरकारी विभागों को पत्र भेज कर वेबसाइट को अपडेट करने का निर्देश दिया था। उसके बाद भी वेबसाइट जस की तस ढर्रे पर चल रही हैं।

सरकार बदली तो केवल मंत्री और उच्चाधिकारी के नाम बदल

छत्तीसगढ़ सरकार की ज्यादातर वेबसाइट्स आउटडेटेड और बेकार हो गई हैं। मतलब, विभागीय वेबसाइट्स को अपडेट ही नहीं किया जा रहा है। प्रदेश में सरकार बदल गई है, तो केवल मंत्रियों और उच्च अधिकारी का तबादला हो गया है, तो उसका नाम और फोटो बदलकर काम चलाया जा रहा है। जनता को विभाग से जुड़े ताजा आंकड़े और जानकारियां वेबसाइट पर देखने को नहीं मिल रहीं। कुछ वेबसाइट तो ऐसी भी हैं, जिसमें विभाग का उच्चाधिकारी रिटायर हो गया है या उसका तबादला हो गया है, तो भी उसका ही नाम दर्ज है।

दोनों ही उद्देश्य पूरे नहीं हो रहे

शासकीय वेबसाइट बनाने का उद्देश्य सरकारी योजनाओं और उस पर हो रहे काम की जानकारी जनता को देना है। इसके अलावा ई-गर्वनेंस को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि जनता को ऑनलाइन सेवाएं मिल सकें। विभागीय वेबसाइटों को देखा जाए, तो दोनों ही उद्देश्य पूरे होते नजर नहीं आ रहा है। इसका कारण यह है कि ज्यादातर विभागों की वेबसाइट खानापूर्ति के लिए चल रही हैं। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग की वेबसाइट से सरकार के दूसरे विभागों को सीखना चाहिए, जिसमें प्रतिदिन विभागीय निर्देश, परिपत्र समेत अन्य जानकारियां अपडेट की जाती हैं।

नागरिकों का जानकारी हासिल करने का अधिकार

राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एमके राउत को टोकना पड़ा है। दरअसल, राउत लगभग माह पहले निमोरा में आयोजित सूचना के अधिकार विषय पर आधारित कार्यशाला में पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि नागरिकों को शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों के बारे में जानकारी हासिल करने का अधिकार है। इसलिए, शासकीय कार्यों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाइट में प्रदर्शित किया जाए, ताकि आम नागरिक को सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही न पड़े।

जेल की वेबसाइट में अब तक डीजी नायक

जेल विभाग की वेबसाइट में अब भी डीजी (जेल) गिरिधारी नायक हैं, जबकि नायक रिटायर हो चुके हैं और अब डीजी जेल बिनय कुमार सिंह हैं। प्रदेश की 30 जेल और उपजेलों में बंदियों की संख्या 31 अगस्त 2016 के बाद अपडेट नहीं की गई है। जेल मिनिस्टरी के लिंक को क्लिक करने पर अंडर अपडेशन दिखा रहा है, जो कि पिछले कई महीनों से शो कर रहा है। यहां तक कि कांटेक्ट एड्रेस भी अंडर अपडेशन में है।

पीडब्ल्यूडी की वेबसाइट में 2018 के सर्कुलर

लोक निर्माण विभाग की वेबसाइट में टेंडर से जुड़ी जानकारियां तो अपडेट की जा रही हैं, लेकिन मंत्रालय या संचालनालय से जारी होने वाले सर्कुलर (निर्देश) नहीं डाले जा रहे हैं। तकनीकी सुर्कलर पिछली बार 11 दिसंबर 2018 और वित्त सर्कुलर पिछली बार 26 अक्टूबर 2018 को अपलोड हुआ था।

नगर तथा ग्राम निवेश में 2017 से निर्देश जारी नहीं

आवास एवं पर्यावरण विभाग के अंतर्गत आने वाले नगर तथा ग्राम निवेश की वेबसाइट को देखें, तो अक्टूबर 2017 के बाद से कोई भी विभागीय निर्देश या परिपत्र जारी नहीं हुआ है। जनता की सुविधा के लिए सरकारी व्यवस्थाओं और सेवाओं को ऑनलाइन किया जा रहा है। आवास एवं पर्यावरण विभाग की वेबसाइट में ऑनलाइन बिल्डिंग परमिशन का लिंक तो दिया गया है, लेकिन वह खुल नहीं रहा है।

महिला एवं बाल विकास विभाग में नई सरकार के निर्देश गायब

महिला एवं बाल विकास की वेबसाइट में अंतिम विभागीय निर्देश 28 मई 2018 को डाला गया है। मतलब, पूर्ववर्ती सरकार के अंतिम समय और नई सरकार बनने के बाद पिछले सात माह में जो भी विभागीय दिशा-निर्देश जारी हुए हैं, उन्हें अपलोड ही नहीं किया गया है, जिससे आमजनता को विभागीय गतिविधियों की जानकारी ही नहीं मिल पा रही है।


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