भारतीय भाषाओं के विकास के लिए सरकार ने बढ़ाए कदम, चार सदस्यीय कमेटी का किया गठन
शिक्षा मंत्रालय ने यह पहल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 में भारतीय भाषाओं के विकास को लेकर की गई अहम सिफारिशों के बाद की है। इसमें स्कूलों में छात्रों को स्थानीय भाषाओं में पढ़ाने सहित सभी भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब वह दिन दूर नहीं जब स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा और अनुसंधान तक के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं का बोलबाला दिखेगा। छात्रों और शोधार्थियों के जरूरत की सारी अध्ययन सामग्री भारतीय भाषाओं में ही उपलब्ध होगी। फिलहाल इस दिशा में कोशिशें तेज हो गई हैं। शिक्षा मंत्रालय ने इसके विकास के लिए एक चार सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया है, जिसकी अगुआई पद्मश्री चामू कृष्ण शास्त्री करेंगे। कमेटी भारतीय भाषाओं के विकास से जुड़े सभी पहलुओं पर सरकार को सुझाव देगी। साथ ही उसे तय समयसीमा में लागू करने का पूरा रोडमैप भी तैयार करेगी।
शिक्षा मंत्रालय ने यह पहल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 में भारतीय भाषाओं के विकास को लेकर की गई अहम सिफारिशों के बाद की है। इसमें स्कूलों में छात्रों को स्थानीय भाषाओं में पढ़ाने सहित सभी भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। इनमें वे भाषाएं भी शामिल की गई हैं जो विलुप्त हो चुकी हैं या फिर विलुप्त होने के कगार पर हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में पिछले 50 साल में करीब 220 भाषाएं समुचित देखभाल और ध्यान नहीं देने की वजह से विलुप्त हो गई हैं। यूनेस्को ने भी करीब 197 भारतीय भाषाओं को लुप्तप्राय घोषित किया है। ऐसे में सरकार का जोर बची हुई भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विलुप्त हो चुकी भाषाओं को फिर से जीवित करने पर है। कमेटी को दिए गए लक्ष्यों में यह भी एक अहम विषय है।
शिक्षा मंत्रालय की ओर से गठित की गई इस उच्चस्तरीय कमेटी में पद्मश्री चामू कृष्ण शास्त्री के अलावा जो तीन अन्य सदस्य शामिल किए गए हैं, उनमें शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव (भाषा), केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान मैसूरु के निदेशक और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति शामिल होंगे। मंत्रालय ने कमेटी को यह अधिकार भी दिया है, वह इसे लेकर उप समितियों का भी गठन कर सकेगी। साथ ही जरूरत पड़ने पर वह शोध और दूसरे कार्यों के लिए किसी भी शैक्षणिक संस्थान की मदद ले सकती है।
कमेटी इन प्रमुख विषयों पर देगी सुझाव
- स्कूली व उच्च शिक्षा की पढ़ाई भारतीय भाषाओं में कराने और अध्ययन में सुधार के लिए संस्थागत ढांचे का अध्ययन और सुझाव देना।
- शैक्षणिक संस्थानों में भाषा शिक्षण से जुड़ी सुविधाओं का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करना।
- अनुसूचित भाषाओं के साथ सभी श्रेणियों की भाषाओं; जिनमें लुप्तप्राय, गैर-अनुसूचित, जनजातीय, शास्त्रीय भाषाएं आदि शामिल, का उपयोग सुनिश्चित करना।
- भारतीय भाषाओं में पढ़ने-पढ़ाने की सुविधा जुटाने, भाषा शिक्षक, अनुसंधान, भाषा शब्दकोश, अनुवाद आदि को बढ़ावा देने की सिफारिश करना।
- छात्रों और शोधार्थियों की मदद के लिए विभिन्न भाषाओं में तकनीकी उपकरण और प्रयोगशाला उपलब्ध कराने की सिफारिश करना।
- भाषाओं के जरिये रोजगार के अवसरों में सुधार के तरीकों की सिफारिश करना।
- एनईपी-2020 के मद्देनजर भारतीय भाषाओं के विकास को लेकर सुझाए गए उपायों की रूपरेखा बनाना और उनका अमल सुनिश्चित करना।
- भाषा संस्थानों को बढ़ाना देना और उन्हें बहु-विषयक बनाना।