विपक्ष की धार को भोथरा करने उतरी सरकार
दलित और आदिवासी का मुद्दा राजनीतिक रूप से कितना संवेदनशील है इसका अहसास हर दल को है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले एक पखवाड़े से एससी एसटी एक्ट को लेकर राजनीतिक घमासान है। और अब तैयारी के साथ उतरी सरकार ने विपक्ष के लिए कोई स्थान न छोड़ने का निर्णय कर लिया है। पुनर्विचार याचिका पेश करने के साथ ही केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने न सिर्फ कोर्ट के फैसले से असहमति जताई बल्कि इस बात से थोड़ी आपत्ति भी जताई कि जब इस मामले की सुनवाई चल रही थी तो केंद्र सरकार को औपचारिक रूप से इसमें पार्टी क्यों नहीं बनाया गया ताकि पूरी बात रखी जा सके। परोक्ष रूप से यह संकेत भी दिया गया कि कानून बनाना विधायिका का काम है।
दलित और आदिवासी का मुद्दा राजनीतिक रूप से कितना संवेदनशील है इसका अहसास हर दल को है। भाजपा का तो खैर इससे हाथ भी जला जब तीन साल पहले बिहार चुनाव के वक्त आरक्षण को विपक्ष ने तूल दे दिया था। इस बार हालांकि भाजपा की ओर से लगातार यह संदेश दिया जाता रहा कि सरकार पुनर्विचार याचिका लाएगी। विपक्षी इसका श्रेय न ले सकें इसके मद्देनजर सरकार के अंदर ही अलग अलग गुट व मंत्री आवाज उठाते रहे। सोमवार को केंद्रीय मंत्री व दलित नेता राम विलास पासवान ने कांग्रेस को कठघरे मे खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि उसने तो कभी बाबा साहेब अंबेडकर को सम्मान नहीं दिया। जबकि मोदी सरकार ने उनसे जुड़े स्थलों का विकास किया है।
अब जबकि पुनर्विचार याचिका पेश की जा चुकी है तो सरकार के स्तर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आक्रामकता थी। रविशंकर ने कहा- 'केंद्र सरकार को क्यों नहीं पार्टी बनाया गया ताकि पूरी बात सामने रखी जा सके। दुरुपयोग की घटनाओं की समीक्षा से पहले पूरे आंकड़ों की समीक्षा जरूरी है।' गौरतलब है कि कांग्रेस की ओर से यह आरोप लगाया जाता रहा था कि जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी तो सरकार ने अपने वरिष्ठ अधिवक्ता का मैदान में नहीं उतारा।
सरकार के सूत्र के अनुसार कानून बनाना विधायिका का काम है। किसी कानून को तभी हटाया जा सकता है जब उससे मूलभूत अधिकार का उल्लंघन होता है। यहां ऐसी स्थिति नहीं थी। उनकी दलील है कि 1995 के आर के भरोतिया केस में सुु्रप्रीम कोर्ट ने ही बेल को नकारा था ताकि कानून का डर पैदा हो सके। एससी एसटी एक्ट में भी इसकी जरूरत है। ध्यान रहे कि ये सारी दलीलें विपक्ष की ओर से दी जा रही थीं। सरकार ने भी अपनी ओर से उन मुद्दों को उठाते हुए विपक्ष की धार को भोथरा करने की कोशिश की है।