पेट्रोल पंपों पर गड़बड़ी रोकने को होगी नई कोशिश
केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के स्तर पर एक बार फिर पेट्रोल पंपों पर कड़ाई के नए नियम लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है।
नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। संसदीय समितियों ने फटकार लगाई। सरकार ने बार बार अपने नियमों को सख्त बनाया। सुप्रीम कोर्ट तक को हस्तक्षेप करना पड़ा और कड़ाई से इससे निपटने का निर्देश देना पड़ा। इसके बावजूद पेट्रोल पंपों पर मिलावट और अन्य धांधलियों में कोई कमी नहीं आई। उत्तर प्रदेश में पेट्रोल पंपों में आधुनिक मशीन का इस्तेमाल कर पेट्रोल व डीजल घटतौली की जो घटना सामने आई है वह बताती है कि सरकार, संसद और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद पेट्रोल पंपों पर धांधली जारी है। इसकी एक बड़ी वजह केंद्र के साथ ही राज्य सरकारों के स्तर पर उदासीनता है।
बहरहाल, उत्तर प्रदेश में पेट्रोल पंपों पर धांधलेबाजी की घटना का पता चलते ही केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के स्तर पर एक बार फिर पेट्रोल पंपों पर कड़ाई के नए नियम लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है। इस बारे में अगस्त, 2016 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक पेट्रोल पंपों पर मिलावट और घटतौली रोकने के नए कदम उठाने की तैयारी है। इसके तहत पेट्रोल पंपों पर नए अत्याधुनिक डिस्पेंसिंग मशीन लगाने की तैयारी है।
ये डिस्पेंसिंग मशीन इस तरह की होंगी जो मिलावट वाले पेट्रोल व डीजल आने पर काम करना ही बंद कर देंगे। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने भी इसके संकेत देते हुए कहा है कि, सरकार व तेल कंपनियां घटतौली करने वाले या डिस्पेंसिंग यूनिट में गड़बड़ी करने वाले पेट्रोल पंपों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। उत्तर प्रदेश की विशेष टीम को बधाई देते हुए उन्होंने अन्य राज्य सरकारों से भी आग्रह किया है कि वे ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए इसी तरह से कदम उठाये।
पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि सरकार के स्तर पर मिलावट रोकने की जितनी कोशिश की गई है उसका जमीनी तौर पर बहुत बड़ा असर नहीं पड़ा है। अगस्त, 2016 में मंत्रालय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि पिछले तीन वर्षो में घटतौली या मिलावट के देश भर में 3000 मामले सामने आये हैं। यही नहीं पिछले साढ़े तीन वर्षो में 176 पेट्रोल पंपों के लाइसेंस विभिन्न गड़बडि़यों की वजह से रद्द किये गये हैं। इसके अलावा 101 केरोसिन डिपो के लाइसेंस भी मिलावट या अन्य गड़बडि़यों की वजह से रद्द किये गये हैं। इसके बावजूद पेट्रोल पंपों पर गड़बडि़यों के मामलों में खास गिरावट नहीं आई है। कई बार संसदीय समितियां इस पर सरकार व तेल कंपनियों के ढीले रवैये पर अपनी नाराजगी जता चुकी हैं।
देश के पेट्रोल पंप डीलरों के एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय बंसल का कहना है अगले महीने उनकी एसोसिएशन ने पूरे हालात पर बैठक बुलाई है ताकि ग्राहकों के भरोसे को बनाये रखने के लिए कदम उठाये जा सके। उनका कहना है कि अभी तक सरकार यह सोच रही थी कि पेट्रोल पंपों पर ऑटोमेशन कर देने से ही गड़बडि़यां रुक जाएंगी लेकिन यह पक्का उपाय नहीं है। अभी आधी अधूरी ऑटोमेशन है। पेट्रोलियम उत्पाद के रिफाइनरी से निकलने से लेकर ग्राहकों के वाहन में जाने तक का ऑटोमेशन होना चाहिए।
ग्राहक भी जागरुक नहीं
पेट्रोल पंपों पर होने वाली गड़बड़ी के लिए ग्राहकों में जागरुकता का अभाव भी एक वजह है। इसलिए अगर आपको पेट्रोल पंप पर मिल रहे ईंधन की क्वालिटी या उसकी मात्रा को लेकर कोई भी संदेह है तो तुरंत कदम उठाए। मात्रा नापने के लिए हर पेट्रोल पंप जार की व्यवस्था होती है। इसमें आप पेट्रोल व डीजल डाल कर यह पता सकते हैं कि आपको पर्याप्त इंधन दी गई है या नहीं। इसी तरह से गुणवत्ता का पता लगाने के लिए आप पेट्रोल पंप संचालक को थर्मोमीटर या हाइड्रोमीटर उपलब्ध कराने को भी कह सकते हैं।