इशरत जहां मामले पर चिदंबरम की सफाई को सरकार ने ठुकराया
पूूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि सरकार इशरत जहां मामले को उठाकर दूसरे मुद्दों से लोगोंं का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। हालांकि सरकार ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया है।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। इशरत जहां मामले में बुरी तरह घिरे पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने सफाई दी है। उनका कहना है कि इशरत जहां के हलफनामे पर उन्होंने नहीं, बल्कि अवर सचिव स्तर के अधिकारी ने हस्ताक्षर किए थे। उनके दावे को गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने खारिज कर दिया है। उनके अनुसार गृहमंत्री की हरी झंडी के बिना अवर सचिव हलफनामा दाखिल नहीं कर सकते। वहीं भाजपा के किरिट सोमैया ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाते हुए इशरत जहां की फाइल से गुम पन्नों की जांच रिपोर्ट के बारे में जानकारी मांगी। इशरत जहां को आतंकी बताने वाले पहले हलफनामे की फाइल को हरी झंडी के खुलासे के बाद चिदंबरम ने पहली बार ट्विटर पर सफाई दी।
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उन्होंने आरोप लगाया कि असली मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए हलफनामा बदलने के मुद्दे को तूल दिया जा रहा है। असली सवाल यह है कि क्या इशरत जहां और उसके साथियों की मुठभेड़ फर्जी थी या नहीं। वैसे भी हलफनामे पर अवर सचिव के हस्ताक्षर होते हैं, इसके लिए गृहमंत्री को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। हलफनामा बदलने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट आने के बाद गुजरात में हलफनामे में सुधार करने की मांग उठी थी और तत्कालीन केंद्र सरकार को ऐसा करना पड़ा था। चिदंबरम की सफाई पर रिजिजू ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे को इतने हल्के में नहीं लिया जा सकता।
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ध्यान देने की बात है कि तत्कालीन गृहसचिव जीके पिल्लई ने भी कहा था कि दूसरे हलफनामे का फैसला राजनीतिक स्तर पर लिया गया था। पहले हलफनामे में इशरत जहां को लश्कर का आतंकी बताया गया था, जबकि दूसरे में उसे निर्दोष बता दिया गया। चिदंबरम को घेरने में जुटी भाजपा ने लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाया। किरीट सोमैया ने शून्यकाल में कहा कि चिदंबरम की पोल खोलने वाले पन्ने इशरत जहां की फाइल से गायब हैं। सरकार ने इसे ढूंढ़ने के लिए कमेटी बनाई है। उन्होंने पूछा कि कमेटी की रिपोर्ट आई है या नहीं। चिदंबरम का नाम लेने पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने आपत्ति की और कहा कि वे सदन के सदस्य नहीं हैं। इसीलिए उनका नाम नहीं लिया जाना चाहिए।