जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दुनिया भर में हो रहे कुल उत्सर्जन में करीब चार प्रतिशत का योगदान देने और विश्व औसत से देश में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन काफी कम होने के बावजूद भारत अपने नेट जीरो के लक्ष्य (उत्सर्जन में अपनी हिस्सेदारी शून्य करने) की दिशा को काफी गंभीर है। हालांकि, उसे यह लक्ष्य 2070 तक हासिल करना है, लेकिन सरकार ने अभी से इसे लेकर गंभीर प्रयास शुरू कर दिए है।
खासकर वैकल्पिक और ग्रीन ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से वह कदम बढ़ा रहा है। इनमें ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भी शामिल है। जिसमें सरकार ने करीब 19 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी दी है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे है, उसके तहत बजट में भी इसे लेकर कुछ बड़ा ऐलान संभव है। वैसे भी सरकार का ध्यान ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में दुनिया को एक नई दिशा देना है।
सरकार ने वर्ष 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण के जरिए मंगलवार को जो संकेत दिया है, उसके तहत पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार अपने बजट को बढ़ा सकती है। सर्वेक्षण में सरकार ने साफ कहा है कि यदि जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों से निपटना है तो विकसित देशों के बराबर पहल करनी होगी। जिसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण और पैसे खर्च करने आदि सभी पहलु शामिल होंगे।
सरकार ने इसके साथ ही ई-कचरा प्रबंधन और वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के अभियान को और तेज करने की बात भी कहीं। जिसमें ई-कचरा प्रबंधन को लेकर एक अप्रैल 2023 से नई पहल पर काम शुरू होगा। इसी तरह बैटरी और प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन पर तेजी से काम होगा। सर्वेक्षण में सरकार ने पीएम के लाइफ मिशन यानी पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली को अपनाने पर भी जोर दिया है। इस दौरान सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ाने की दिशा में भी पहल की है।
वर्ष 2030 तक कुल विद्युत खपत का करीब 50 प्रतिशत हिस्सा गैर- जीवाश्व ईंधन स्त्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य रखा है। सरकार का इसके साथ ही पर्यावरण सुधार और वन्यजीवों के संरक्षण पर भी जोर रहेगा। इसके लिए सरकार बजट में कुछ नई घोषणाएं भी कर सकती है।
यह भी पढ़ें: 5G in India: कई बड़े शहरों तक पहुंची 5G सेवा, जानिए आपको कैसे मिलेगी सुविधा