सरकार ने इस एक कदम से बचा ली हजारों जानें, लेकिन आपको भी रहना होगा जागरुक
ई-सिगरेट को प्रतिबंधित कर सरकार ने हजारों जिंदगियों को बचा लिया है। कई देशों में यह पहले से प्रतिबंधित है। लेकिन सरकार के कदम के बावजूद हमें खुद भी इसको लेकर सचेत होना होगा।
डॉ. मोनिका शर्मा। हाल ही में केंद्र सरकार ने ई-सिगरेट के उत्पादन और बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। सरकार ने चिंता जताई है कि ई-सिगरेट का बढ़ता चलन समाज में एक नई समस्या को जन्म दे रहा है। यहां तक कि बच्चे भी इसके लती बन रहे हैं। यही वजह है कि ई-सिगरेट बनाना, इसका आयात और निर्यात, बिक्री, वितरण, संग्रह और विज्ञापन सभी पर प्रतिबंध होगा। ई-सिगरेट के बढ़ते खतरों को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अध्यादेश में पहली बार नियमों के उल्लंघन पर एक वर्ष तक की जेल और एक लाख रुपये का जुर्माना का प्रस्ताव दिया है। वहीं एक से अधिक बार नियम तोड़ने पर मंत्रालय ने पांच लाख रुपये जुर्माना और तीन साल तक जेल की सिफारिश की है। ई-सिगरेट की पाबंदी को लेकर बने कठोर नियम सामुदायिक स्वास्थ्य की चिंता से जुड़े हैं। युवाओं में इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए सरकार का यह निर्णय सेहत सहेजने वाला अहम कदम कहा जा सकता है।
किसी से छुपे नहीं हैं खतरे
धूम्रपान से सेहत को होने वाले खतरे किसी से छुपे नहीं हैं। ऐसे में होना तो यह था कि लोग इस धुएं की जद में ना केवल फंसने से बचें, बल्कि आदत है भी तो उसे छोड़ अपना स्वास्थ्य भी सहेजें। लेकिन हालिया समय में ई-सिगरेट के रूप में निकोटिन सेवन का नया तरीका चर्चा का विषय बना हुआ है। गौरतलब है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (ई-सिगरेट) या वाष्पीकृत सिगरेट एक बैटरी से चलने वाला उपकरण है, जिसके जरिये निकोटीन या गैर-निकोटीन के वाष्पीकृत होने वाले घोल को सांस के साथ सेवन किया जाता है। बाहर से सिगरेट के आकार का ही बनाए जाने वाले इस उपकरण के अंदर लिक्विड निकोटिन की कार्टेज होती है। यह सिगरेट, सिगार या पाइप जैसे स्मोकिंग वाले तंबाकू उत्पादों का एक विकल्प माना जाता है। इसे बाजार में उतारते हुए यही प्रचारित किया गया कि यह सेहत को हानि नहीं पहुंचाता। इसके लोकप्रिय होने का यह भी कारण बना। अध्ययन बताते हैं कि यह भी कम खतरनाक नहीं है। हालांकि इसका उत्पादन करने वाली कंपनियां अपने व्यावसायिक फायदे के लिए इसे हानिकारक नहीं बताती हैं, जबकि सच यह है कि यह भी सिगरेट के बराबर हानिकारक है।
रासायनिक तत्व बेहद नुकसानदेह
ई-सिगरेट में इस्तेमाल किए जाने वाले रासायनिक तत्व बेहद नुकसानदेह हैं। एक शोध के मुताबिक, ई-सिगरेट में भी अस्थमा जैसी कई बीमारियों के कारक हो सकते हैं। इसकी वजह ई-सिगरेट (ईएनडीएस) यानी इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम में प्रयोग किए जाने वाले नुकसानदेह तत्व हैं। अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ई-सिगरेट में एक बार प्रयोग होने वाले और रीफिल किए जा सकने वाले 75 लोकप्रिय उत्पादों को लेकर अध्ययन किया है जिसके मुताबिक 27 प्रतिशत उत्पादों में एंडोटॉक्सिन पाया गया। यह एक माइक्रोबियल एजेंट है। एंडोटॉक्सिन एक जहर के समान है जिसका शरीर की जीवित कोशिकाओं पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। शरीर के लिए एंडोटॉक्सिन बेहद नुकसानदेह हैं। ऐसे करीब 81 फीसद उत्पादों में ग्लूकन के कण पाए गए जिनसे अस्थमा और फेफड़े की अन्य बीमारियां हो सकती हैं। विशेषज्ञों ने ई-सिगरेट को इसीलिए खतरनाक माना है।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र
यही वजह है कि कई शिक्षकों और छात्रों ने भी ई-सिगरेट पर भी पाबंदी लगाने की मांग की थी। इस पर प्रतिबंध लगाने को लेकर प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया था कि किशोरों में इन उत्पादों के हानिकारक प्रभावों के बारे में गलत सूचना है। इन्हें पूरी तरह सुरक्षित माना जा रहा है, जबकि इन उपकरणों से जुड़े स्वास्थ्य के खतरों की अनदेखी और बढ़ती लोकप्रियता चिंता का सबब है। कम उम्र के बच्चे भी इनके लती बन रहे हैं।
इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम
बीते दिनों दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी ई-सिगरेट के खतरों से निपटने के लिए उचित कदम उठाने में केंद्र के विलंब पर आपत्ति जताई थी। सामुदायिक स्वास्थ्य का मुद्दा बन चुके ई-सिगरेट के बढ़ते चलन को देखते हुए तीन केंद्र शासित प्रदेशों एवं 24 राज्यों से करीब 1,000 चिकित्सकों ने भी प्रधानमंत्री को ई-सिगरेट और विभिन्न फ्लेवर्स में उपलब्ध हुक्के समेत इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्टम्स (ईएनडीस) पर प्रतिबंध लगाने की अपील की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को ईएनडीएस यानी इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम के निर्माण, बिक्री और आयात को रोकने के लिए एक परामर्श जारी किया था। मालूम हो कि दुनिया भर में 36 देशों में ई-सिगरेट की बिक्री भी प्रतिबंधित है।
रेगुलेशन पर एक रिपोर्ट
बीते दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी ई-सिगरेट के रेगुलेशन पर एक रिपोर्ट जारी की गई। इस रिपोर्ट में ई-सिगरेट के विभिन्न फ्लेवर्स पर प्रतिबंध लगाने या इसे उन कानूनों के दायरे में लाने की अनुशंसा की है, जिनमें अन्य तंबाकू उत्पाद आते हैं, यह प्रतिबंध जरूरी भी है, क्योंकि सिगरेट का उत्पादन करने वाली कंपनियों को तो कड़े नियमों का पालन करना होता है। चिंतनीय है कि एक ओर दुनिया भर में तंबाकू उत्पादों के सेवन को रोकने के लिए जन-जागरूकता लाने के प्रयास किए जा रहे हैं तो दूसरी ओर लोगों में इसका चलन बढ़ रहा है। अच्छी खासी तादाद में युवा ई-सिगरेट पी रहे हैं, जबकि इसमें कैंसर पैदा करने वाले एजेंट्स तक शामिल हैं। यह हृदय, लीवर, किडनी और फेफड़ों आदि के लिए भी नुकसानदायक है। यह जानलेवा तक साबित हो सकती है। करीब ढाई सौ अध्ययनों और रिपोर्टो के विश्लेषण और व्यापक अध्ययन के बाद आई सरकारी कमिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक ई-सिगरेट से जहर फैल सकता है। यह रिपोर्ट बताती है कि ईएनडीएस को बनाने में जिन उत्पादों का इस्तेमाल होता है, वे सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। इसीलिए नशे के इस नए चलन पर प्रतिबंध लगाना अत्यंत आवश्यक था।
एक अच्छा कदम
उम्मीद है कि सरकार का यह निर्णय युवाओं में बढ़ती नशे की लत और ई-सिगरेट की बढ़ती लोकप्रियता पर लगाम लगाने वाला साबित होगा। अब जरूरत इस बात की है कि आमजन भी अपनी सेहत के प्रति जागरूक हों।केंद्र सरकार द्वारा ई-सिगरेट के उत्पादन, वितरण आदि पर पूर्ण पाबंदी बेहद आवश्यक था, क्योंकि हाल के दिनों में लोकप्रिय हुए इस उत्पाद के व्यापक नुकसान सामने आ रहे थे
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)