केंद्र का एमनेस्टी इंटरनेशनल का दो टूक जवाब, मानवाधिकारों की दुहाई देकर नहीं तोड़ सकते देश का कानून
ईडी ने गत सितंबर में 51 करोड़ रुपये के कथिररूप से फेमा उल्लंघन के मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस कंपनी ने ब्रिटेन के एमनेस्टी इंटरनेशनल से 2013-14 से लेकर 2018-19 के दौरान कथितरूप से 51.52 करोड़ रुपये प्राप्त किए।
नई दिल्ली, प्रेट्र। एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारत में काम के दौरान परेशान करने संबंधी बयान के बाद केंद्र सरकार ने उसे बिल्कुल झूठा बताया और कहा कि मानवाधिकारों की दुहाई देकर कोई भी देश का कानून नहीं तोड़ सकता है। गृह मंत्रालय ने मंगलवार को उसके उस बयान को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, अतिरंजित और सच्चाई से परे बताया, जिसमें उसने कहा है कि उसे भारत में लगातार निशाना बनाया जा रहा है।
कानून का उल्लंघन कर बड़ी मात्रा में विदेश से चंदा जुटाया गया
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि एमनेस्टी का बयान संस्था की उन गतिविधियों से सभी का ध्यान हटाने की कोशिश है, जो गैरकानूनी हैं। मंत्रालय ने कहा, ऐसे बयानों का उद्देश्य उसकी अनियमितताओं और अवैध गतिविधियों की विभिन्न एजेंसियों द्वारा की जा रही जांच को प्रभावित करना है। मंत्रालय ने कहा कि एमनेस्टी को 20 वर्ष पहले (19 दिसबंर, 2000) फॉरेन कंट्रीब्यूशन (रेगुलेशन) एक्ट (एफसीआरए) के तहत सिर्फ एकबार अनुमति मिली। तब से उसके बार-बार आवेदन के बावजूद उसे एफसीआरए मंजूरी नहीं दी गई, क्योंकि कानूनन वह पात्र नहीं थी।उसने एफसीआरए नियमों का उल्लंघन कर भारत में पंजीकृत चार कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रास्ते काफी धन जमा किया।
गैरकानूनी गतिविधियों से लोगों का ध्यान हटाने को कर रही गलतबयानी
मंत्रालय की मंजूरी के बिना एमनेस्टी इंडिया को विदेशों से बहुत बड़ी राशि मिली। गलत रास्ते से धन मंगवाना कानून के प्रावधानों का उल्लंघन है। इन्हीं गैरकानूनी गतिविधियों के कारण विदेशों से चंदा पाने की उसकी अर्जी बार-बार खारिज की गई। इतना ही नहीं, उसको एक बार भारत में अपनी गतिविधियां बंद भी करनी पड़ीं।मंत्रालय ने कहा कि एमनेस्टी के खिलाफ उठाए गए कदमों से साबित होता है कि उसने अपने कामकाज के लिए धन पाने के लिए संदिग्ध तरीके अपनाए। बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को कहा कि वह भारत में अपने खातों के फ्रीज होने के कारण अपनी सभी गतिविधियों को रोक रहा है।
एमनेस्टी नहीं, प्राइवेट कंपनी के खिलाफ जांच
सरकार ने यह भी कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन के खिलाफ कोई ईडी जांच नहीं की जा रही है और न ही उसके कामकाज में कोई रुकावट पैदा की जा रही है। सरकार इस एनजीओ से जुड़ी प्राइवेट कंपनी के वित्तीय लेनदेन की जांच कर रही है जिसने विदेश से 51 करोड़ रुपये प्राप्त किए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ईडी एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड तथा इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट के खिलाफ संदेहास्पद रूप से वित्तीय लेनदेन की जांच कर रही है। इनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) तथा फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत जांच हो रही है। एजेंसी ने गत सितंबर में 51 करोड़ रुपये के फेमा उल्लंघन के मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस कंपनी ने ब्रिटेन के एमनेस्टी इंटरनेशनल से 2013-14 से लेकर 2018-19 के दौरान कथित रूप से 51.52 करोड़ रुपये प्राप्त किए। जांच के दौरान संदेहास्पद लेनदेन के कारण ही बैंक अकाउंट फ्रीज किए गए। ईडी की इस कार्रवाई को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी गई और कोर्ट ने एजेंसी की कार्रवाई को सही ठहराया।