कोरोना के मद्देनजर केंद्र ने दिव्यांगों की सुरक्षा के लिए सभी राज्यों को जारी की गाइडलाइंस
केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए दिव्यांगों की सुरक्षा के लिए सभी राज्यों को व्यापक दिव्यांगता समावेशी गाइडलाइंस जारी की हैं। जानें क्या है इसमें खास...
नई दिल्ली, आइएएनएस। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर सरकार ने दिव्यांगों की सुरक्षा के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को व्यापक दिव्यांगता समावेशी गाइडलाइंस जारी की हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत आने वाले दिव्यांग जन सशक्तीकरण विभाग ने ये गाइडलाइंस जारी की हैं क्योंकि दिव्यांगों को कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा है।
गाइडलाइंस में दिव्यांगता से जुड़ी जरूरतों, दैनिक जीवन की गतिविधियों को समझने और खतरे की स्थिति में दिव्यांगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। ताजा आदेश केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 24 मार्च को जारी आदेश की कड़ी में जारी किया गया है। इसमें सलाह दी गई थी कि कोविड-19 के बारे में सभी सूचनाओं, सेवाओं और एहतियातों की जानकारी आसान और स्थानीय भाषा में सभी प्रारूपों में उपलब्ध होनी चाहिए।
गाइडलाइंस में कहा गया है कि दृष्टि बाधित लोगों के लिए ये ब्रेल और सुनने योग्य टेप में, सुनने में अशक्त लोगों के लिए वीडियो ग्राफिक सामग्री सब-टाइटल और संकेत भाषा में व्याख्या के साथ उपलब्ध होनी चाहिए। इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि आपात और स्वास्थ्य केंद्रों पर काम करने वाले संकेत भाषा दुभाषिए को भी वही स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए जो कोविड-19 मामलों से निपटने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को प्रदान की जाती है।
गाइडलाइंस के मुताबिक, इमरजेंसी रिस्पांस सर्विसेज के सभी लोगों को दिव्यांग जनों के अधिकारों और उनके साथ जुड़ी अतिरिक्त समस्याओं के खतरे के बारे में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। इसके अलावा दिव्यांगों को सहायता के बारे में आवश्यक जानकारियां भी सभी जागरूकता अभियानों का हिस्सा होनी चाहिए। क्वारंटाइन के दौरान दृष्टिहीन और मानसिक दिव्यांग व्यक्तियों को आवश्यक सहायता सेवाएं, व्यक्तिगत सहायता और शारीरिक व संचार पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए।
लॉकडाउन के दौरान दिव्यांगों की देखभाल करने वाले व्यक्ति को प्रतिबंधों से छूट दी जानी चाहिए अथवा प्राथमिकता के आधार पर उन्हें पास जारी किए जाने चाहिए। रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों को भी दिव्यांगों की जरूरतों के बारे में बताया जाना चाहिए ताकि वे पूरी सैनिटाइजिंग प्रक्रिया के बाद घरेलू सहायिकाओं, देखभाल करने वालों और अन्य सहायकों का उनके आवास में प्रवेश सुनिश्चित कर सकें।