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सेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन का जारी हुआ आदेश, शीर्ष पदों पर 'आधी आबादी' की हो सकेगी तैनाती

रक्षा मंत्रालय ने सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए आदेश जारी किया है। इसके लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 06:36 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 01:27 AM (IST)
सेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन का जारी हुआ आदेश, शीर्ष पदों पर 'आधी आबादी' की हो सकेगी तैनाती
सेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन का जारी हुआ आदेश, शीर्ष पदों पर 'आधी आबादी' की हो सकेगी तैनाती

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। महिलाओं को भारतीय सेना में स्थायी कमीशन का आखिरी रास्ता भी अब साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल करते हुए रक्षा मंत्रालय ने गुरूवार को युद्धक इकाई के अलावा सेना के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के स्थायी कमीशन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सरकार के इस कदम के साथ ही सेना के शीर्ष पदों पर अब महिलाओं की तैनाती की जा सकेगी।

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सेना के दस विभागों में स्‍थायी कमीशन की मिली मंजूरी

रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला सैन्य अधिकारियों को सेना के सभी दस इकाइयों में स्थायी कमीशन की इजाजत दे दी गई है। इसके हिसाब से अब आर्मी एअर डिफेंस, सिग्नल, इंजीनियर, सैन्य एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, आर्मी सर्विस कार्पस, आर्डिनेंस कॉर्पस और इंटेलिजेंस कॉर्पस में स्थाई कमीशन मिल पाएगा। जज एंड एडवोकेट जनरल, आर्मी एजुकेशनल कॉर्पस इकाइयों में महिलाओं के स्थाई कमीशन का विकल्प पहले से ही था।

महिला अफसरों को मिलेगा बड़ी भूमिका निभाने का अधिकार

महिलाओं को उनका हक देने संबंधी अधिसूचना पर सेना ने बयान जारी कर कहा कि भारतीय सेना सभी महिला अधिकारियों को देश सेवा का मौका देने के लिए पूरी तरह तैयार है। रक्षा मंत्रालय की आधिकारिक मंजूरी के बाद महिला अफसरों को बड़ी भूमिका निभाने का अधिकार मिल गया है।

इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सेना मुख्यालय ने स्थायी चयन बोर्ड बनाने की पहल भी शुरू कर दी है। शार्ट सर्विस कमीशन की सभी महिला अधिकारियों को अपेक्षित दस्तावेज पूरा करने के लिए चयन बोर्ड जल्द से जल्द गठित किया जाएगा। सेना के अनुसार महिला अधिकारियों सहित सभी कर्मियों को समान अवसर प्रदान करने के लिए वह प्रतिबद्ध है। हालांकि अग्रिम मोर्चे के युद्ध आपरेशन से जुड़ी इकाइयों में महिलाओं को स्थायी कमीशन से अलग रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में भी कांबैट आपरेशन से महिलाओं को अलग रखने की ही राय दी थी।

अब तक महिला अफसरों की सेवा अवधि होती थी 14 साल  

एसएससी के तहत, महिला अधिकारियों को शुरू में पांच साल की अवधि के लिए लिया जाता है, जो 14 साल तक बढ़ाई जा सकती है। स्थायी कमीशन उन्हें सेवानिवृत्ति की उम्र तक सेवा करने की अनुमति देगा। वायु रक्षा, इंजीनियरिंग, सिग्नल और सेवाओं जैसी विभागों के लिए सेना एसएससी के तहत महिला अधिकारियों की भर्ती करती है और वे अधिकतम 14 वर्षों तक सेवा दे सकती हैं। पिछले साल रक्षा मंत्रालय ने सिग्नल, इंजीनियरिंग, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस और इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल जैसी विभागो में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के लिए सैद्धांतिक रूप से फैसला लिया था।

एसएससी की महिला अफसरों को दिया जाएगा स्‍थायी कमीशन 

यह फैसला लिया गया कि एसएससी महिला अधिकारियों को रिक्तियों की उपलब्धता और उपयुक्तता, प्रदर्शन, चिकित्सा फिटनेस और उम्मीदवारों की प्रतिस्पर्धात्मक योग्यता के आधार पर स्थायी कमीशन देने पर विचार किया जाएगा। तीनों सेनाओं ने चिकित्सा, शिक्षा, कानूनी, सिग्नल, लॉजिस्टिक्स और इंजीनियरिंग सहित चुनिंदा विभागों में महिलाओं की स्थायी भर्ती की अनुमति दी है। भारतीय वायुसेना में एसएससी के माध्यम से भर्ती की गई महिला अधिकारियों के पास उड़ान (फ्लाइिंग) शाखा को छोड़कर सभी विभागों में स्थायी कमीशन प्राप्त करने का विकल्प होता है। नौसेना ने रसद, नौसेना डिजाइनिंग, वायु यातायात नियंत्रण, इंजीनियरिंग और कानूनी जैसे विभागों में महिलाओं के स्थायी कमीशन की अनुमति दी है

फरवरी म‍हीने में सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था आदेश

मालूम हो कि महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने की लंबे वक्त से मांग की जा रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने बीते फरवरी में इस मामले में टालमटोल पर सरकार को फटकार लगाते हुए तीन महीने में इस पर अमल का आदेश दिया था। सभी नागरिकों को अवसर की समानता और लैंगिक न्याय का मौका देने की बात कहते हुए सर्वोच्च अदालत ने सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर मुहर लगाई थी।

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने 2010 में ही महिलाओं के स्थायी कमीशन के मामले में फैसला दिया था। केंद्र सरकार ने इसे लागू करने की बजाय 2019 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन सर्वोच्च अदालत ने केंद्र की दलीलों को खारिज करते हुए महिला सैन्य अफसरों को उनका वाजिब हक देने का आदेश दिया।


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