बढ़ते गन्ना एरियर को लेकर सरकार हुई गंभीर, किसानों का चीनी मिलों पर 19000 करोड़ बकाया
चीनी मिलों पर बढ़ते गन्ना किसानों का बकाया को लेकर सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चीनी मिलों पर बढ़ते गन्ना किसानों का बकाया को लेकर सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं। इसके समाधान के लिए गठित केंद्रीय मंत्रियों की एक समिति की बैठक में चीनी उपकर, एथनॉल पर लगने वाले जीएसटी में कटौती और गन्ना किसानों को सब्सिडी देने जैसे उपायों पर विचार किया गया। माना गया कि इन उपायों से गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करने में मिलों को सहूलियत होगी। फिलहाल चीनी मिलों पर 19 हजार करोड़ रुपये से अधिक का गन्ना बकाया हो गया है।
-बैठक में ही चीनी उपकर व एथनाल पर जीएसटी घटाने पर हुई चर्चा
-चीनी उद्योग और गन्ना बकाया से निपटने के लिए बना मंत्रियों का समूह
केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी, खाद्य मंत्री रामविलास पासवान और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान की बैठक में इस मुद्दे पर विचार किया गया। बढ़ता गन्ना बकाया सरकार की राजनीतिक मुश्किलें बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। इस बैठक में प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी, कृषि, वाणिज्य, खाद्य, उपभोक्ता, पेट्रोलियम और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
चीनी मिलों पर गन्ने का बकाया बढ़कर 19 हजार करोड़ की सीमा को पार करने लगा है। पासवान ने बताया कि गन्ना किसानों का बकाया बढ़ने से रोकने और उसके भुगतान को सुलभ कराने के लिए कई उपायों पर चर्चा की गई। इसमें गन्ना उत्पादन को सब्सिडी से जोड़ने, चीनी पर उपकर, एथनाल को जीएसटी के 18 फीसद के टैक्स दर से निकालकर पांच फीसद करने जैसे प्रस्ताव आये।
बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में पासवान ने कहा कि फिलहाल किसी प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। अभी इन प्रस्तावों पर फैसला लेने से पहले एक बैठक और होगी, जिसके बाद ही कैबिनेट नोट तैयार किया जा सकेगा। पासवान ने बताया कि पेट्रोल में एथनाल मिलाने को प्रोत्साहित करने के लिए इसे अनिवार्य बनाया जाएगा, तभी एथनाल का उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा।
केंद्रीय खाद्य मंत्री ने कहा कि चीनी उद्योग के हितों के मद्देनजर सरकार ने पहले ही चीनी आयात को बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। चीनी निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगाया गया है, ताकि घरेलू बाजार में चीनी के गिरते मूल्यों को थामा जा सके। हालांकि मिलों को 20 लाख टन चीनी निर्यात करने को कहा गया है।
देश में चीनी का कुल उत्पादन तीन करोड़ टन यानी सर्वाधिक हो चुका है। इसमें अभी और बढ़ोतरी हो सकती है। इसी तरह गन्ना बकाया भी बढ़कर 19 हजार करोड़ रुपये पहुंच गया है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक चीनी के मूल्य पिछले चार महीने में नौ रूपये किलो तक घट घट गये हैं। चीनी का यह भाव उत्पादन लागत के मुकाबले बहुत नीचे हो गया है, जिससे मिलों की हालत तंग हो गई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गन्ना किसानों का बकाया 12 अप्रैल तक 18044 करोड़ रुपये था, जिसमें उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 8869 करोड़ रुपये था। कर्नाटक की मिलों पर 2420 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र की मिलों पर 2213 रुपये की गन्ने की बकायेदारी है।