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सरकार को भरोसा, इस बार व्यर्थ नहीं जाएगा मानसून सत्र

सरकार को भरोसा है कि इस बार मॉनसून सेशन व्यर्थ नहीं जाएगा और विपक्ष अहम बिलों को पास करने में पूरा सहयोग करेगा।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sun, 17 Jul 2016 09:27 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jul 2016 09:34 PM (IST)
सरकार को भरोसा, इस बार व्यर्थ नहीं जाएगा मानसून सत्र

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सोमवार से शुरू हो रहे मानसून सत्र के हंगामेदार रहने की आशंकाओं के बीच सरकार जीएसटी समेत अपने अहम विधेयकों को पारित कराने की कोशिश में जुट गई है। रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आग्रह किया कि देश के फायदे के बारे में सोचें और जीएसटी पर सहमति बनाएं। उन्होंने कश्मीर में हिंसा के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के एक सुर का भी स्वागत किया।

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बहरहाल, संकेत स्पष्ट हैं कि विपक्ष इस सत्र में भी बहुत राहत देने के मूड में नहीं है। पूरी आशंका है कि अरुणाचल प्रदेश की राजनीतिक घटनाओं से शुरू कर समान नागरिक संहिता, एनएसजी, बाढ़ समेत अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश हो। विपक्ष के तेवर बताते हैं कि शुरूआत के कुछ दिन सामान्य कामकाज भी आसान नहीं होगा। शाम को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की ओर से बुलाई गई बैठक में भी सदन की कार्यवाही सुचारू रखने की अपील की गई।

पिछले एक -डेढ़ साल में ऐसा कोई सत्र नहीं हुआ है जो सरकार के लिए सामान्य रहा हो। इस बार भी कुछ अलग होगा इसकी संभावना बहुत कम है। बल्कि सरकार के लिए चुनौती ज्यादा है। 18 जुलाई से 12 अगस्त के बीच कुछ 20 बैठकें होनी हैं और सरकार के पास 16 विधायी कार्य हैं।

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लगभग एक दर्जन विधेयक पारित कराए जाने हैं। इसमे जीएसटी भी शामिल है जिसके लिए अभी तक सर्वमान्य रास्ता नहीं निकल पाया है। दो दिन पहले मुख्य विपक्ष कांग्रेस के साथ हुई वित्त मंत्री की बैठक में भी स्पष्ट झलक नहीं दिखी। ऐसे में रविवार की सुबह सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने भी अपील की। बैठक में तीस दलों के 45 नेता मौजूद थे। ध्यान रहे कि पिछले सत्र की शुरूआत से पहले भी प्रधानमंत्री ने ऐसा ही आग्रह किया था। लेकिन कांग्रेस टस से मस नहीं हुई।

हालांकि सरकार की ओर से यह संकेत दिया जा रहा है कि अगले एक सप्ताह में कोई रास्ता निकलेगा। खासकर तब जबकि पहले कांग्रेस के साथ खड़े कुछ विपक्षी दल अब जीएसटी पारित कराना चाहते हैं तो कांग्रेस पर दबाव होगा। बहरहाल, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में अब तक चुप्पी है। बल्कि दूसरी और तीसरी पंक्ति के कांग्रेस नेता यह बोलने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं कि अरुणाचल और उत्तराखंड के बाद जैसी अविश्वास की स्थिति बनी है उसमें कांग्रेस से समर्थन की आशा रखना अव्यवहारिक है।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने केंद्र पर राज्य सरकारों को भरोसा खोने की बात की और कहा कि 'कांग्रेस केवल मेरिट पर ही किसी विधेयक का समर्थन करेगी।' आजाद के इस बयान में सरकार के लिए आश्वासन भी हो सकता है लेकिन वह खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। संकेत है कि कांग्रेस विपक्षी खेमे में अपनी ताकत देखने के बाद ही अंतिम फैसला लेगी।

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वैसे अरुणाचल प्रदेश में वापसी के बाद कांग्रेस का नैतिक बल थोड़ा बढ़ा हुआ है। उसे यह आशा भी है कि दूसरे विपक्षी दल उसका साथ देंगे। विपक्ष एनएसजी, कश्मीर, बाढ़ जैसे मुद्दों के जरिए सरकार को घेरने की कोशिश करेगा।

राज्यसभा में लंबित महत्वपूर्ण विधेयक:

-जीएसटी विधेयक

-इनिमी प्रोपर्टी विधेयक

-बालश्रम निरोधक विधेयक

-ह्विसल ब्लोअर संशोधन विधेयक

लोकसभा में लंबित विधेयक:

-इंडियन ट्रस्ट एमेंडमेंट बिल

-एनफोर्समेंट आफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एंड रिकवरी आफ डेट बिल


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