आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग पर सतर्क सरकार
सरकार मानती है कि बिना समुचित डाटा रणनीति के इस मामले में आगे कदम बढ़ाना उचित नहीं होगा।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। तकनीक के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल को लेकर सरकार बहुत जल्दबाजी में नहीं है। खासतौर पर ऑटोमेशन के मामले में इसके उपयोग की मंजूरी पर सरकार बेहद सतर्कता बरत रही है। सरकार मानती है कि बिना समुचित डाटा रणनीति के इस मामले में आगे कदम बढ़ाना उचित नहीं होगा।
वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल टेक्स्ट, इमेज और वॉयस्ड डाटा में होता है। आगे चलते हुए इसका उपयोग वीडियो आधारित डाटा एनालिसिस से लेकर मशीनों तक में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय मानता है कि आगे चलते हुए ऑटोमेशन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल होगा। लेकिन मंत्रालय इस संबंध में एक रिपोर्ट के आधार पर मानता है कि यह ऑटोमेशन बड़ी संख्या में नौकरियों को खत्म कर सकता है। हालांकि इससे कई नई तरह के रोजगार भी उत्पन्न होंगे। यही वजह है कि सरकार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल के मामले में बेहद सतर्कता के साथ कदम बढ़ा रही है।
दुनिया भर के 46 देशों में रोजगार देने वाले 800 क्षेत्रों के अध्ययन से इस रिपोर्ट में निष्कर्ष निकला है तेजी से हो रहा ऑटोमेशन वर्ष 2030 तक दुनिया भर में 80 करोड़ लोगों की नौकरियों को समाप्त कर देगा। यह आज के वैश्विक श्रमबल का पांचवा हिस्सा है। सरकार की चिंता की यही वजह है। सरकार का मानना है कि इस परिप्रेक्ष्य में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल को लेकर एक अलग तस्वीर तैयार करने से बचना होगा।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग से उत्पन्न होने वाले जोखिमों पर भी सरकार की नजर है। सरकार मानती है कि मशीन पर बहुत ज्यादा निर्भरता ऐसी स्थिति को जन्म दे सकती है जहां से वापिस लौटना मुश्किल हो सकता है। हाल ही में फेसबुक मुख्यालय में दो रोबोट आपस में ऐसी भाषा में सूचनाओं का आदान प्रदान करने लगे थे जिन्हें उनके सिवा कोई नहीं समझ पा रहा था। अंतत: फेसबुक को उन्हें नियंत्रित करने के लिए अपना सिस्टम बंद करना पड़ा। इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल में इस प्रकार के जोखिम आगे भी आ सकते हैं। लिहाजा इस दिशा में संभल कर कदम बढ़ाने होंगे।