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गरीबों के मुफ्त इलाज से सरकारी अस्पतालों की भी सुधरेगी सेहत

स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने साफ किया कि आयुष्मान भारत के तहत गरीबों के मुफ्त इलाज में निजी अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों के बीच फर्क नहीं किया जाएगा।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 11 Apr 2018 10:51 PM (IST)Updated: Wed, 11 Apr 2018 10:51 PM (IST)
गरीबों के मुफ्त इलाज से सरकारी अस्पतालों की भी सुधरेगी सेहत
गरीबों के मुफ्त इलाज से सरकारी अस्पतालों की भी सुधरेगी सेहत

नीलू रंजन, नई दिल्ली। गरीब लोगों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त सालाना इलाज सरकारी अस्पतालों की भी सेहत सुधारेगा। इलाज के एवज में सरकारी अस्पतालों को भी निजी अस्पतालों की तर्ज पर पूरा भुगतान किया जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि सरकारी अस्पतालों को इस पैसे को अपनी जरूरत के मुताबिक नई मशीनरी व दूसरे सामानों पर खर्च करने की छूट होगी।

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स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने साफ किया कि आयुष्मान भारत के तहत गरीबों के मुफ्त इलाज में निजी अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों के बीच फर्क नहीं किया जाएगा। सरकारी अस्पतालों को भी इलाज पर तय बीमा राशि का भुगतान भी निजी अस्पतालों की तर्ज पर ही किया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि सरकारी अस्पतालों को बीमा कंपनियों से मिलने वाली राशि पर सरकार कोई दावा नहीं करेगी और उन्हें इसका इस्तेमाल इलाज से संबंधित सुविधाओं को बढ़ाने में करने की छूट होगी। नड्डा के अनुसार इससे सरकारी अस्पतालों को दशा सुधारने में मदद मिलेगी और वे निजी अस्पतालों की तरह इलाज की सारी सुविधाओं से लैस हो सकेंगे।

ध्यान देने की बात है कि सरकार ने 10 करोड़ गरीब परिवारों को सालाना पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज के लिए 1300 पैकेज तैयार किया है। ये पैकेज विभिन्न बीमारियों पर आने वाले खर्च के आधार पर बनाए गए हैं। बीमा कंपनियों को इसी पैकेज के आधार पर विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए अस्पतालों को भुगतान करना होगा। इसके साथ ही बीमा कंपनियों से भी इसी पैकेज के आधार पर प्रीमियम की रकम बताने को कहा गया है।

सरकार ने इस साल बजट में देश की 40 फीसदी गरीब आबादी को पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की योजना का ऐलान किया था। इसके बाद इस योजना के क्रियान्वयन के लिए तैयारी चल रही है। सभी राज्य सरकारों ने इस योजना को लागू करने पर हामी दे दी है और बीमा कंपनियों के साथ बातचीत भी अंतिम दौर में है। माना जा रहा है कि इस योजना से देश में गरीबी दूर करने में भी मदद मिलेगी। नीति आयोग के आंकड़ों के अनुसार देश में गंभीर बीमारियों के इलाज पर आने वाले खर्च के कारण छह से सात करोड़ लोगों हर साल गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। पांच लाख तक मुफ्त इलाज मिलने के बाद इन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। 


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