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एनजीटी ने कहा- गंगा को साफ करने के लिए सरकार ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया

सरकार ने दो साल में गंगा सफाई पर 7,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं, लेकिन गंभीर पर्यावरणीय मसले अभी भी बरकरार हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 07:06 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 07:06 PM (IST)
एनजीटी ने कहा- गंगा को साफ करने के लिए सरकार ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया
एनजीटी ने कहा- गंगा को साफ करने के लिए सरकार ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया

नई दिल्ली, प्रेट्र। गंगा सफाई को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गुरुवार को गहरी निराशा जाहिर की। ट्रिब्यूनल ने कहा कि हालात असाधारण रूप से बेहद खराब हैं और गंगा को साफ करने के लिए शायद ही कोई प्रभावी कदम उठाया गया है।

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एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता में जस्टिस जवाद रहीम और जस्टिस आरएस राठौर की पीठ ने कहा कि अधिकारियों के दावे के बावजूद गंगा की सफाई के लिए धरातल पर पर्याप्त काम नहीं हुआ है। स्थिति में सुधार के लिए कार्यो की सतत निगरानी की जरूरत है। ट्रिब्यूनल ने गंगा प्रदूषण की जमीनी हकीकत के बारे में आम लोगों के बीच एक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि लोग संबंधित अधिकारियों के ईमेल के जरिये भी अपनी राय दे सकते हैं। पीठ ने कहा, 'यह देश की बेहद प्रतिष्ठित नदी है जिसका 100 करोड़ लोग सम्मान करते हैं, लेकिन हम इसे संरक्षित कर पाने में असक्षम हैं। आइये हम सब मिलकर एक मजबूत और प्रभावी व्यवस्था बनाने की कोशिश करें।'

इससे पहले एनजीटी ने गोमुख से उन्नाव के बीच गंगा को साफ करने के लिए केंद्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल नहीं करने पर नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) की जमकर खिंचाई की थी। ट्रिब्यूनल ने अपने विस्तृत आदेश में गंगा सफाई के लिए कई निर्देश भी दिए थे। इनमें हरिद्वार से उन्नाव के बीच गंगा किनारों से 100 मीटर के क्षेत्र को 'नो डेवलेपमेंट जोन' घोषित करना और नदी से 500 मीटर की दूरी तक कचरा निस्तारण पर प्रतिबंध शामिल है। एनजीटी का कहना था कि सरकार ने दो साल में गंगा सफाई पर 7,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं, लेकिन गंभीर पर्यावरणीय मसले अभी भी बरकरार हैं।

यह कहना गलत कि किसी गंगा योजना में काम नहीं हुआ: सत्यपाल सिंह

केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने गुरुवार को लोकसभा में कहा, यह कहना सही नहीं है कि पिछले कई दशकों में किसी गंगा परियोजना में प्रगति नहीं हुई। उन्होंने बताया कि 1985 से अब तक करीब 168.4 करोड़ लीटर प्रतिदिन की सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता स्थापित की जा चुकी है। 4,812 किमी के स्वीकृत सीवर नेटवर्क में से करीब 2,050 किमी सीवर लाइनों को नमामी गंगे परियोजना के तहत बिछाया जा चुका है।

नमामी गंगे के तहत गंगा बेसिन के पांच राज्यों में 151 घाटों और 54 शमशान घाटों के निर्माण को मंजूरी दी गई थी। इनमें से 34 घाटों और नौ शमशान घाटों का निर्माण किया जा चुका है। 34 घाटों में से 10 उत्तराखंड, 23 उत्तर प्रदेश और एक झारखंड में है। जबकि सभी नौ शमशान घाटों का निर्माण उत्तराखंड में किया गया है।


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