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चीनी कंपनियों को एक के बाद एक झटके दे रही सरकार, धीरे-धीरे भारतीय बाजार से बाहर करने की तैयारी

चीनी सोलर मॉड्यूल्स सोलर सेल्स और इन्वर्टर पर 40 फीसद तक बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाने का एलान किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 03:50 PM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 04:12 PM (IST)
चीनी कंपनियों को एक के बाद एक झटके दे रही सरकार, धीरे-धीरे भारतीय बाजार से बाहर करने की तैयारी
चीनी कंपनियों को एक के बाद एक झटके दे रही सरकार, धीरे-धीरे भारतीय बाजार से बाहर करने की तैयारी

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। लद्दाख में भारतीय सैनिकों के साथ खूनी भिड़ंत के दो महीने से ज्‍यादा होने के बाद भी चीन के साथ सीमा पर अब भी तनाव बना हुआ है। ऐसे में भारत ने चीन से निप‍टने के हर प्रकार की तैयारी की है, चाहे वह सामरिक मोर्च पर हो, आर्थिक मोर्च पर हो या अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर। भारत के कुल आयात में चीन की हिस्‍सेदारी लगभग 14 फीसदी है। चीन से भारत मुख्य रूप से मोबाइल फोन, टेलीकॉम, पावर, प्‍लास्टिक के खिलौने और फार्मा इन्‍ग्रेडिएंट्स का आयात करता है। इस आयात को कम करने की कोशिश की जा रही है। भारत सरकार ने चीनी कंपनियों को एक के बाद एक कई झटके देने की तैयारी की है। 

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8000 से अधिक आइटमों की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग की तैयारी में भारत

एमएसएमई (छोटे, लघु और मझोले उद्योग) मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक भारत चीन से 8,000 से अधिक आइटम का आयात करता है। चीन से आने वाले कई ऐसे आइटम हैं, जिनकी मैन्युफैक्चरिंग भारत में आसानी से की जा सकती है, लेकिन उद्यमियों की तरफ से सार्थक कोशिश नहीं की गई। चीन से आने वाले छोटे आइटम चिन्हित किए जा रहे हैं। इन वस्तुओं का उत्पादन भारत में शुरू करवाने के लिए मशीन की खरीदारी एवं फिनिशिंग में चीन के समतुल्य लाने के लिए ऑटोमेशन में उद्यमियों की मदद सरकार की तरफ से की जा सकती है।

44 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के निर्माण के लिए टेंडर निरस्‍त 

रेलवे ने 44 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के निर्माण के लिए निकाली गई निविदा को निरस्त कर दिया है। पिछले वर्ष इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई की तरफ से निकाली गई इस निविदा में कुल छह कंपनियों ने हिस्सा लिया था, जिनमें एक चीनी संयुक्त उपक्रम भी शामिल था। 

चीन आयातित सोलर उपकरणों पर आयात शुल्‍क लगाने की प्रस्‍ताव  

सौर ऊर्जा उद्योग से चीनी कंपनियों को बाहर करने और भारतीय कंपनियों को मजबूत करने के लिए उद्देश्य से मोदी सरकार ने सोलर मॉड्यूल्स, सोलर सेल्स और इन्वर्टर पर 40 फीसद तक बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाने का एलान किया है। वैसे नवीन ऊर्जा (एमएनआरई) मंत्री आरके सिंह ने पहले ही इस बारे में मंशा जता दी थी, लेकिन अंतिम फैसला गुरुवार को प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से बुलाई गई एक अहम बैठक में किया गया। सोलर सेक्टर से जुड़े कुछ उपकरणों पर इसी वर्ष अक्टूबर से आयात शुल्क लगाए जाएंगे। कुछ उपकरणों पर अगले वर्ष जुलाई से बेसिक सीमा शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया जा रहा है। भारत में लगाई जाने वाली सौर परियोजनाओं में 70 से 90 फीसद तक उपकरण चीन निर्मित होते हैं।

भारतीय बाजारों से चीनी उत्पाद हुए काफी कम 

चीन से तनाव के बाद बाजार में चीनी मोबाइल से लेकर अन्य उत्पादों की बिक्री काफी कम हो गई  है। बिहार में हर महीने चीन से करीब 600 करोड़ रुपये का कारोबार होता था, जो तेजी से सिमट रहा है। दिल्ली के व्यापारियों ने भी चीनी सामान का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अनुसार दीपावली पर केवल दिल्ली में चीन से 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का सामान भारतीय बाजारों में पहुंचता है। पूरे देश में दिवाली पर चीन से करीब एक लाख करोड़ रुपये का सामान आता है। पंजाब के फेडरेशन ऑफ ऑटो पार्ट्स मेन्युफैक्चरर ने भी ऑटो निर्माण कंपनियों से चाइनीज पार्ट्स की जगह भारतीय पार्ट्स का इस्तेमाल करने को कहा है। पिछले दिनों सात करोड़ व्यापारियों ने चीन की राखियां नहीं बेचने का निर्णय लिया है। करीब एक हजार करोड़ रुपये की चीन की राखियों के आर्डर रद कर दिए गए हैं। 

सौ से ज्‍यादा चीनी ऐप पर प्रतिबंध

चीन के खिलाफ भारत की सबसे बड़ी कार्रवाई 29 जून 2020 की शाम हुई, जब 59 चीनी ऐप्स को बैन किया गया। इसमें टिक टॉक (TikTok) के अलावा Vigo Video, DU Recorder, Likee, Helo सहित कई ऐप थे। केवल टिकटॉक और हेलो ऐप पर बैन से चीन की बाइट डांस  कंपनी को लगभग 45,000 करोड़ रुपये के नुकसान की उम्मीद है। इसके बाद 40 से अधिक ऐप्‍स पर रोक लगाई गई। इसके बाद चीनी ऐप्‍स पर वैश्विक स्‍तर प्रतिबंध लगाने का अभियान चल पड़ा। इसके लिए अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ओर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने इस कदम की प्रशंसा की।   

5जी की रेस से चीनी कंपनियों की छुट्टी

भारत में 5जी इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए चीनी कंपनियों के साथ अरबों रुपये के कॉट्रेक्ट हुए थे। सरकारी टेलिकॉम कंपनियों बीएसएनएल (BSNL) और एमटीएनएल (MTNL) ने भी 5G सेवा विस्तार के लिए चीनी कंपनियों को ठेके दिये थे, जिन्हें रद कर दिया गया है। इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने 5 जी इंटरनेट के लिए चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया।  

कानपुर-आगरा मेट्रो ठेके से चीनी कंपनी हुई बाहर

उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (UPMRC) ने कानपुर और आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए कोच सप्लाई की निविदाएं खुलने पर चीनी कंपनी को बाहर कर दिया। दोनों प्रोजेक्ट में 67 ट्रेनों के लिए कोच की आपूर्ति होनी है। अब ये ठेका गुजरात की बॉम्बार्डियर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दिया गया।

चीन से बिजली उपकरण पर रोक, 21 हजार करोड़ का नुकसान  

03 जुलाई, 2020 को बिजली मंत्री आरके सिंह ने चीन और पाकिस्तान से बिजली उपकरण आयात बंद करने की घोषणा की है। भारत प्रतिवर्ष 71,000 करोड़ रुपये के बिजली उपकरण आयात करता है, जिसमें से 21,000 करोड़ रुपये के उपकरण अकेले चीन से आते थे।

बिहार में चीनी कंपनियों से छिना 29.26 अरब का ठेका रद

बिहार की नीतीश सरकार ने पटना में गंगा नदी पर बनने वाले पुल का ठेका निरस्त कर दिया था। ये पुल मौजूदा महात्मा गांधी सेतु के बगल में बनना है। साथ ही लगभग 15 किमी की सड़क भी बननी है। पूरा ठेका 29.26 अरब रुपये का है। प्रोजेक्ट में चुने गए चार ठेकेदारों में से दो के पार्टनर चीनी कंपनियां थीं, इसलिए ठेका रद कर दिया गया।

रेलवे का 471 करोड़ का ठेका रद 

वर्ष 2016 में कानपुर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के बीच सिग्नलिंग के लिए चीनी कंपनी को 471 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था। रेलवे ने भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच ये ठेका रद कर दिया।

दिल्ली सरकार की ई-बस प्रोजेक्ट से भी चीन की छुट्टी

दिल्ली सरकार राजधानी की सड़कों पर प्रदूषण कम करने के लिए 1000 ई-बसें उतारने की तैयारी में है। इसके लिए चीन से बस पार्ट्स खरीदकर भारत में असेंबल करने की योजना थी। अब दिल्ली सरकार ने फैसला लिया है कि वह चीन से कोई भी पार्ट्स नहीं खरीदा जाएगा। दिल्ली ने यूरोपीय देशों में संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं।

चीनी सामानों पर बढ़ाया आयात शुल्‍क 

पिछले दिनों भारत सरकार ने चीन से आयात होने वाले सामानों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी है। इसमें चीन निर्मित खिलौनों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक हर सामान शामिल है। इससे चीन को अरबों डॉलर का नुकसान होगा।

चीनी निवेश पर नियंत्रण

लद्दाख सीमा पर पांच मई को शुरू हुई तनातनी के बाद मोदी सरकार ने एफडीआई के जरिये चीनी कंपनियों के निवेश को नियंत्रित करना शुरू कर दिया था। इसके लिए भारत सरकार ने संबंधित नियमों में बदलाव किए हैं। मालूम हो कि वर्ष 2009-10 में चीन का भारतीय कंपनियों में निवेश 4.1 करोड़ डॉलर था। वर्ष 2014-15 में चीन ने भारतीय कंपनियों में सर्वाधिक 49.48 करोड़ डॉलर का निवेश किया था। वर्ष 2018-19 में चीनी निवेश 22.9 करोड़ डॉलर और 2019-20 में 16.38 करोड़ डॉलर का था।


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