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निजी मेल सेवाओं का मुकाबला करने के लिए अब सरकारी ईमेल होगी पहले से बेहतर और सुरक्षित

अनचाही मेल को सर्वर पर खुद ब खुद फिल्टर किया जा सकेगा ताकि बिना जाने पहचाने स्त्रोत से आने वाली मेल को रोका जा सके।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 07:19 PM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 07:19 PM (IST)
निजी मेल सेवाओं का मुकाबला करने के लिए अब सरकारी ईमेल होगी पहले से बेहतर और सुरक्षित
निजी मेल सेवाओं का मुकाबला करने के लिए अब सरकारी ईमेल होगी पहले से बेहतर और सुरक्षित

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी बाबुओं के इस्तेमाल के लिए एनआइसी सर्वर पर चलने वाली ईमेल व्यवस्था अब पहले से बेहतर और व्यापक होगी। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की पहल पर एनआइसी ने इसे न केवल अधिक सुरक्षित बनाया है बल्कि इसमें नई खूबियां भी जोड़ी गई हैं।

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आइटी मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक अभी तक सरकारी कर्मचारी व अधिकारी बेहद सीमित सुविधाओं वाली ईमेल सेवा का उपयोग कर रहे थे, लेकिन अब उनके लिए निजी ईमेल सेवाओं के समान इसमें कई सुविधाएं जोड़ी जा रही है। इस मेल की क्षमता का 500 एमबी तक विस्तार किया गया है।

साथ ही प्रत्येक ईमेल एकाउंट में एक ब्रीफकेस का विकल्प जोड़ा गया है जिसके जरिए अधिकारी बड़े साइज अटैचमेंट एक साथ कई लोगों को भेज पाएंगे। इसका लाभ अधिकारियों को विभिन्न योजनाओं की पीपीटी प्रजेंटेशन एक समूह में भेजने के लिए मिलेगा।

अपडेटेड ईमेल व्यवस्था को अधिक सुरक्षित बनाया गया है और सरकारी बाबुओं को आने वाली मेल की सुरक्षा जांच के कई स्तर शामिल किये गये हैं। अनचाही मेल को सर्वर पर खुद ब खुद फिल्टर किया जा सकेगा ताकि बिना जाने पहचाने स्त्रोत से आने वाली मेल को रोका जा सके।

सुरक्षा के लिहाज से इसमें एक खासियत यह भी डाली गयी है कि मेल को केवल एक ही लोकेशन से एक्सेस किया जा सकेगा। अधिकारी को यदि दौरे पर जाना है तो उसे सर्वर को इस बात की सूचना देनी होगी कि वह इस तारीख से इस तारीख तक फलां लोकेशन से ईमेल एक्सेस करेगा।

दो से तीन महीने में केंद्र व राज्यों के सभी कर्मचारी कर सकेंगे इस्तेमाल

अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के निर्देश पर इसे तैयार किया गया है। अगले दो से तीन महीने में केंद्र व राज्यों के सभी कर्मचारियों व अधिकारियों को नई व्यवस्था में शिफ्ट कर दिया जाएगा। अभी करीब चार लाख कर्मचारी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे विकसित करने पर 85-90 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं।


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