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दलहन को लेकर अंधेरे में तीर चला रही सरकार, पेशेवर अफसरों की कमी से हो रहा उल्टा पुल्टा सौदा

सरकारी गोदामों में इस साल भी 17 लाख टन दलहन उपज का स्टॉक पड़ा हुआ है। लेकिन खाद्यान्न प्रबंधन में पेशेवरों की कमी का खामियाजा अब उठाना पड़ रहा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 07:46 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2019 07:46 PM (IST)
दलहन को लेकर अंधेरे में तीर चला रही सरकार, पेशेवर अफसरों की कमी से हो रहा उल्टा पुल्टा सौदा
दलहन को लेकर अंधेरे में तीर चला रही सरकार, पेशेवर अफसरों की कमी से हो रहा उल्टा पुल्टा सौदा

नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। दलहन को लेकर सरकार अंधेरे में तीर चला रही है। पेशेवर अफसरों की कमी से फैसलों में खामियां उभरकर सामने आई हैं। तभी तो सरकारी एजेंसी ने महंगे में खरीदकर सस्ती दरों पर लाखों टन चना खुले बाजार में बेच दिया है। इससे सरकारी खजाने को चूना तो लगा ही, वहीं स्वाभाविक बाजार के समीकरण भी गड़बड़ाने लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दलहन के आयात व निर्यात को लेकर आलोचना हो रही है।

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सूत्रों के मुताबिक कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर अगले सप्ताह दलहन बाजार में नैफेड की भूमिका को लेकर व्यापारिक प्रतिनिधियों से वार्ता करने वाले हैं। दलहन कारोबार को तर्कसंगत बनाने पर मसौदा तैयार किया जा रहा है। घरेलू स्तर पर दालों की कमी हुई तो दनादन आयात किया गया और किसानों को दलहन खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया।

किसानों की दलहन फसलों की उपज की सरकारी खरीद शुरु कर दी गई। बफर स्टॉक का गठन कर दिया गया। सरकारी गोदामों में इस साल भी 17 लाख टन दलहन उपज का स्टॉक पड़ा हुआ है। लेकिन खाद्यान्न प्रबंधन में पेशेवरों की कमी का खामियाजा अब उठाना पड़ रहा है, विशेषतौर पर दालों को लेकर।

बीते रबी खरीद सीजन में दालों की खरीद अभी खत्म हुए एक पखवारा भी नहीं हुआ कि चने की खुली बिक्री शुरु कर दी गई, वह भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे के मूल्य पर। महाराष्ट्र में सरकार एजेंसी नैफेड ने 18 जून को चना की बिक्री 4005 रुपये प्रति क्विंटल में कर दी, जो चालू सीजन की एमएसपी 4620 रुपये प्रति क्विटंल (डेढ़ सौ रुपये अन्य खर्च समेत) के मुकाबले 17 फीसद कम है। नैफेड एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चना एक ऐसी फसल है जो जल्दी खराब हो जाती है। सस्ते में बेचा गया चना साल डेढ़ साल पुराना है, जो खराब होने के कगार पर था।

वैश्विक स्तर पर ब्राजील में हाल ही में हुए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दलहन उत्पादक देशों ने भारत की जमकर आलोचना की। उनका आरोप है कि दलहन आयात में भारत का रुख अच्छा नहीं है। जरूरत पड़ने पर सारे नियमों में ढील दी गई थी, लेकिन अब सख्त करते हुए सीमा शुल्क में भारी बढ़ोतरी की गई है। भारतीय प्रतिनिधि ने अपना बचाव जरूर किया, लेकिन उससे बाकी सदस्य देश संतुष्ट नहीं हुए। सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, म्यांमार और अफ्रीकी देशों ने हिस्सा लिया।

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