सरकार नाबालिग मुस्लिम लड़कियों की शादी नहीं रोक सकती: याचिका
धर्म के नाम पर नाबालिग लड़कियों के होने वाले बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाने के मद्रास हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ एक अधिवक्ता ने याचिका दायर की है। जनहित याचिका में कहा गया है कि सरकारी अधिकारी को मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत संपन्न होने वाले विवाह में हस्तक्षेप
मदुरई। धर्म के नाम पर नाबालिग लड़कियों के होने वाले बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाने के मद्रास हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ एक अधिवक्ता ने याचिका दायर की है। जनहित याचिका में कहा गया है कि सरकारी अधिकारी को मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत संपन्न होने वाले विवाह में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
दरअसल, गुरूवार को ही जस्टिस सीटी सेलवम ने एक 15 वर्षीय मुस्लिम लड़की के विवाह की अनुमति नहीं देते हुए कहा था कि यह कोर्ट छोटी लड़कियों को बाल दुल्हन बनने की नहीं तो अनुमति दे सकता है और आगे भी नहीं देगा। बाल विवाह पर विधायी प्रतिबंध है और अदालत बाल विवाहों के प्रर्वतकों को मदद करने के रास्ते पर कत्तई नहीं जा सकती।
इसके बाद शुक्रवार को ही मदुरई के एक वकील एम मोहम्मद अब्बाद ने विरुधुनगर जिले में महाराजपुरम गांव में एक सैयद अबुथकीर की 16 वर्षीय बेटी के विवाह को सरकारी अधिकारियों द्वारा रूकवाने के खिलाफ पीआइएल दायर की। अधिकारियों द्वारा लड़की को हिरासत में लेकर जिला बाल उत्थान कमेटी को सौंपने पर पीआइएल में कहा गया है कि उक्त समाज कल्याण अधिकारियों की कार्रवाई इस्लाम के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है। विभाग ने मोहम्मडन कानून के तहत एक वैध विवाह को रोक दिया और एक घर में मुस्लिम दुल्हन को सीमित कर दिया।
याचिकाकर्ता ने आगे कहा, अधिकारियों ने लड़की को संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष भी पेश भी नहीं किया और माता-पिता को उसे देखने से भी रोका गया। याचिका में लड़की को उसके परिजनों को सौंपने और उन्हें 10 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग भी की गई है।
याचिका दायर होने पर मामला सामने आने के बाद जस्टिस एस तमिलवसन और जस्टिस वीएस रवि की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिया कि वह सोमवार को लड़की को उसके समक्ष प्रस्तुत करे।
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