टॉयलेट बनाने के लिए गरीबों को मिलेंगे 15,000 रुपये
सरकार को अगर नीति आयोग को एक सिफारिश रास आई तो गांव और शहर में गरीबों को टॉयलेट बनाने के लिए 15,000 रुपये मिलेंगे। सरकार यह सहायता राशि स्वच्छ भारत कार्यक्रम के तहत देगी। केंद्र सरकार स्वच्छ भारत कार्यक्रम पर खर्च का तीन चौथाई खुद उठाएगी जबकि राज्यों को मात्र
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार को अगर नीति आयोग को एक सिफारिश रास आई तो गांव और शहर में गरीबों को टॉयलेट बनाने के लिए 15,000 रुपये मिलेंगे। सरकार यह सहायता राशि स्वच्छ भारत कार्यक्रम के तहत देगी। केंद्र सरकार स्वच्छ भारत कार्यक्रम पर खर्च का तीन चौथाई खुद उठाएगी जबकि राज्यों को मात्र एक चौथाई राशि ही खर्च करनी पड़ेगी। वहीं पर्वतीय राज्यों को स्वच्छ भारत के लिए मात्र 10 प्रतिशत अंशदान देना होगा जबकि शेष 90 प्रतिशत धनराशि केंद्र देगा। हालांकि नीति आयोग ने स्वच्छ भारत कार्यक्रम के लिए धन जुटाने को पेट्रोल, डीजल और दूरसंचार सेवाओं पर स्वच्छ भारत सैस लगाने की सिफारिश भी की है। सरकार अगर इस सिफारिश को मानती है तो डीजल और पेट्रोल के साथ मोबाइल पर बात करना भी महंगा हो सकता है।
ये सिफारिशें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता वाले मुख्यमंत्रियों के एक उपसमूह ने की है। इस समूह का गठन नीति आयोग ने इस साल मार्च में किया था। इसमें हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मिजोरम, सिक्किम और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री शामिल हैं। मंगलवार को नायडू तथा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तथा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उपसमूह की रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंपी। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत के लक्ष्य को हासिल करना कठिन है लेकिन यह असंभव नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वच्छ भारत कार्यक्रम की व्यापकता को देखते हुए इस पर आने वाले खर्च को केंद्र और राज्य 75:25 के अनुपात में बांटे। वहीं पर्वतीय राज्यों के मामलों में यह अनुपात 90:10 किया जाए। रिपोर्ट में गांव और शहर में टॉयलेट बनाने के लिए गरीबों को 15000 रुपये की सहायता राशि देने की सिफारिश भी की गई है। फिलहाल गरीबों को 12000 रुपये मिलते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार इस कार्यक्रम के लिए धन जुटाने को स्वच्छ भारत बांड जारी कर सकती है। साथ ही केंद्र सरकार पेट्रोल, डीजल और दूरसंचार सेवाओं पर स्वच्छ भारत सैस लगा सकती है। कोयला, एल्युनियम और लौह अयस्क के संयंत्रों से निकलने वाले कचरे पर भी सरकार यह सैस लगा सकती है।
रिपोर्ट में केंद्र और राज्य स्तर पर स्वच्छ भारत अभियान मिशन भी स्थापित करने की सिफारिश की है। यह मिशन इस कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन और निगरानी की जिम्मेदारी संभालेगा। रिपोर्ट रासायनिक खाद पर सब्सिडी कम करके कंपोस्ट पर सब्सिडी देकर उसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने की सिफारिश भी की गई है।
रिपोर्ट में कचरे से बिजली बनाने के लिए पीपीपी परियोजनाएं लगाने की सिफारिश भी गई है। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी गया है कि सभी ग्राम पंचायतों, नगर निकायों, ब्लॉक, जिलों और राज्यों में से चयन कर हर साल प्रतिस्पर्धा के आधार पर स्वच्छ भारत कार्यक्रम के क्रियान्वयन में सर्वश्रेष्ठ का पुरस्कार भी दिया जाए। इसके अलावा हर महीने में एक दिन तथा हर साल दो अक्टूबर से पहले एक सप्ताह को स्वच्छ भारत अभियान की गतिविधियों के लिए निर्धारित किया जाए।
रिपोर्ट में स्वच्छता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के साथ ही स्कूलों और कालेजों में छात्रों के एक दल को स्वच्छता सेनानी के रूप में घोषित करने की सिफारिश भी गई है।