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मुंबई भाजपा अध्यक्ष के लिए खींचतान तेज

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र के बाद अब मुंबई भाजपा अध्यक्ष पद भी पार्टी की शीर्ष गुटबाजी में फंसता दिख रहा है। लोकसभा में उपनेता गोपीनाथ मुंडे एवं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के गुट अपना-अपना मुंबई अध्यक्ष बनवाने के लिए खींचतान कर रहे हैं। कुछ सप्ताह पहले ही विदर्भ के विधायक देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र भाजपा का अध्यक्ष

By Edited By: Published: Thu, 06 Jun 2013 10:17 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jun 2013 10:19 PM (IST)
मुंबई भाजपा अध्यक्ष के लिए खींचतान तेज

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र के बाद अब मुंबई भाजपा अध्यक्ष पद भी पार्टी की शीर्ष गुटबाजी में फंसता दिख रहा है। लोकसभा में उपनेता गोपीनाथ मुंडे एवं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के गुट अपना-अपना मुंबई अध्यक्ष बनवाने के लिए खींचतान कर रहे हैं।

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कुछ सप्ताह पहले ही विदर्भ के विधायक देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया है। देवेंद्र निर्गुट माने जाते हैं। लेकिन उनके चयन को मुंडे गुट की जीत माना गया था । क्योंकि गडकरी पूर्व अध्यक्ष सुधीर मुनगंटीवार को बनाए रखने के पक्ष में थे, तो मुंडे उन्हें हटवाने पर अड़े थे। अब ऐसी ही गुटबाजी दोनों शीर्ष नेताओं के बीच मुंबई अध्यक्ष को लेकर दिख रही है। गडकरी गुट विधायक आशीष शेलार को अध्यक्ष बनवाना चाहता है, तो मुंडे गुट मुंबई के महासचिव अतुल भातखलकर को। चूंकि गडकरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए ही मुंडे को प्रदेश विधानसभा चुनावों में नेतृत्व की कमान सौंप दी गई थी। इसलिए मुंबई भाजपा के वरिष्ठ नेता मुंबई अध्यक्ष भी मुंडे गुट का ही चाहते हैं। ताकि चुनावी वर्ष में मुंबई भाजपा अध्यक्ष के साथ मुंडे का तालमेल ठीक बना रहे। जबकि प्रदेश अध्यक्ष अपना बनवाने में असफल रहा गडकरी गुट कम से कम मुंबई पर तो अपना कब्जा चाहता ही है।

मुंबई अध्यक्ष के चुनाव में उत्तर भारतीय समीकरण भी महलवपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। 1995 के विधानसभा चुनाव में हिंदी भाषियों के समर्थन से ही मुंबई में भाजपा को अब तक सर्वाधिक सीटें मिली थीं। लेकिन उसके बाद जैसे-जैसे मुंबई भाजपा में हिंदी भाषी नेताओं को दरकिनार किया जाता रहा, वैसे-वैसे हिंदी भाषी समाज कांग्रेस के साथ जुड़ता गया है। कुछ माह पहले जब विधानसभा चुनाव में पराजित गडकरी गुट के आशीष शेलार को विधान परिषद का टिकट दिया गया, तो मुंबई भाजपा के वरिष्ठ हिंदी भाषी नेता राजेश शर्मा पार्टी छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे। पूर्व विधायक अभिराम सिंह पहले ही राकांपा में जा चुके हैं। राजेश शर्मा के पार्टी छोड़ने के बाद से ही मुंबई के अधिसंख्य हिंदी भाषी नेता गडकरी से नाराज चल रहे हैं। यह नाराजगी इस समय भी नजर आ रही है। कई उत्तर भारतीय नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह से संपर्क कर मुंबई अध्यक्ष पद गडकरी गुट को देने का विरोध कर चुके हैं।

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