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राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी मुकाबला तय

विपक्ष के इस रुख को देखते हुए राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी मुकाबला होना लगभग तय हो गया है।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Sat, 13 May 2017 01:20 AM (IST)Updated: Sat, 13 May 2017 01:22 AM (IST)
राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी मुकाबला तय
राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी मुकाबला तय

संजय मिश्र, नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष गठबंधन रणनीतिक तौर पर भले आखिरी क्षण तक सरकार की पहल का इंतजार करेगा मगर उसने अपना उम्मीदवार लगभग तय कर लिया है। विपक्ष के इस रुख को देखते हुए राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी मुकाबला होना लगभग तय हो गया है। राष्ट्रपति चुनाव में आंकड़ों के समीकरण में एनडीए के पक्ष में साफ दिख रही बढ़त के बावजूद विपक्ष अपने उम्मीदवार के नैतिक कद के सहारे इस मुकाबले में उतरेगा।

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वाईएसआर कांग्रेस और तेलंगाना राष्ट्र समिति के भाजपा-एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का समर्थन करने की घोषणा के बाद विपक्षी खेमे में मायूसी जरूर है। मगर विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं ने इसके बावजूद कमर कस ली है कि राष्ट्रपति चुनाव के जरिए विपक्ष की व्यापक गोलबंदी की बुनियाद रखने की मुहिम रुकेगी नहीं।

विपक्षी खेमे के वरिष्ठ सूत्रों ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए ही गोपाल कृष्ण गांधी को राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का उम्मीदवार बनाने की सियासी रणनीति बनाई गई है। मालूम हो कि दैनिक जागरण ने ही सबसे पहले बुधवार को गोपाल कृष्ण गांधी और मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद के विपक्ष के संभावित उम्मीदवारों में शामिल होने की खबर प्रकाशित की थी।

एनडीए की बढ़त को कबूल करने के बावजूद विपक्षी खेमे के नेताओं का तर्क है कि कई बार उम्मीदवार की शख्सियत और नैतिक कद निरपेक्ष दलों को उसके पक्ष में आने को प्रेरित करते हैं। शिवसेना जैसे सत्ताधारी खेमे के असंतुष्ट सहयोगी दलों को उम्मीदवार की विशिष्टता की वजह से साथ आने की उम्मीद की जा रही है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछले चुनाव में प्रणव मुखर्जी के कद की वजह से ही नीतीश कुमार की जदयू और शिवसेना ने एनडीए का हिस्सा होते हुए भी उनका समर्थन किया था। जबकि एनडीए ने आधिकारिक तौर पर पीए संगमा को उम्मीदवार बनाया था।

विपक्षी पार्टियों का मानना है कि गोपाल कृष्ण गांधी को उम्मीदवार बनाया जाता है तो सरकार पर भी उनके बराबर की हस्ती को अपना प्रत्याशी बनाने का दबाव बढ़ेगा। इसकी वजह विपक्ष को किसी हल्के कद के व्यक्ति को शीर्ष संवैधानिक पद पर बिठाने की योजना को रोकने में कामयाबी मिल सकती है। नौकरशाह, राजनयिक से लेकर राज्यपाल के पद पर रहे गोपाल गांधी की बेदाग धर्मनिरपेक्ष पृष्ठभूमि को भी विपक्ष सकारात्मक मान रहा। महात्मा गांधी के सबसे छोटे पौत्र गोपाल की जड़ें बेशक गुजरात की हैं मगर उनका गहरा नाता दक्षिण भारत से भी है।

तमिलनाडु कैडर के आइएएस रहे गोपाल गांधी ने अपनी जिंदगी का अधिकांश समय वहां बिताया है और वे स्वतंत्र भारत के प्रथम गर्वनर जनरल सी राजगोपालाचारी के नाती भी हैं। वे गुजराती के साथ फर्राटे से तमिल भी बोलते हैं। विपक्षी खेमा उनके दक्षिण से इस जुड़ाव को देखते हुए अन्नाद्रमुक से सकारात्मक रुख की अपेक्षा कर रहा है।

एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के रुप में किसी दलित या आदिवासी महिला को सामने लाने की चल रही चर्चा को देखते हुए पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को भी वैकल्पिक संभावित उम्मीदवार के रुप में रखा गया है। विपक्षी दलों का मानना है कि इस वर्ग से सत्ताधारी दल का कोई चेहरा सामने आता है तो राजनीति में मीरा कुमार के कद के साथ उनकी सियासी पृष्ठभूमि उन्हें भी एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। इससे साफ है कि सरकार चाहे पहल करे या न करे मगर विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारना तय कर लिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने इस बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में भी साफ तौर पर चुनाव के संकेत दिए। उनका कहना था कि विपक्ष बेशक हर संभव सबसे विश्वसनीय चेहरा चुनाव में सामने लेकर आएगा और सभी दलों की इसी दिशा में बातचीत चल रही है।

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