खून के असमान्य प्रवाह के कारण होने वाली इस बीमारी से जा सकती है दृष्टि
तकनीक के दिग्गज गूगल ने डायबिटीज के कारण होने वाले आंखों की बीमारी जैसे कि रेटिनोपैथी का पता लगाने के लिए भी एआइ सिस्टम विकसित कर लिया है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, मदुरै। स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई-नई तकनीकों के आने से कई गंभीर बीमारियों की पहचान करना और उनका उपचार आसान हो गया है। कैंसर, स्ट्रोक, और हृदयरोग जैसे जानलेवा रोगों का सही समय पर पता लगाने के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) यानी कि मशीन को दिमाग देने की तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। तकनीक के दिग्गज गूगल ने डायबिटीज के कारण होने वाले आंखों की बीमारी जैसे कि रेटिनोपैथी का पता लगाने के लिए भी एआइ सिस्टम विकसित कर लिया है। खून के असामन्य प्रवाह के कारण रेटिना में होने वाली खराबी को रेटिनोपैथी कहा जाता है। इसके कारण व्यक्ति दृष्टिहीन भी हो सकता है।
गूगल के नए एआइ सिस्टम से इस बीमारी का आसानी से और सही समय से पता लगाया जा सकता है। अमेरिका, ब्रिटेन व सिंगापुर के साथ ही भारत के भी अस्पताल में इस तकनीक का परीक्षण शुरू हो गया है। मदुरै स्थित अरविंद नेत्र अस्पताल में रोजाना देश व विदेश से आने वाले 2,000 मरीजों में रेटिनोपैथी का पता लगाने के लिए एआइ सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में करीब सात करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं। इससे उन्हें दृष्टिहीन होने का खतरा भी है। हालांकि, यहां 10 लाख लोगों पर आंखों के 11 डॉक्टर ही उपलब्ध हैं। डायबिटिक रेटीनोपैथी जैसी बीमारियों की पहचान करने वाले प्रशिक्षित डॉक्टरों की भी कमी है। ऐसे में एआइ तकनीक मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है। अरविंद अस्पताल में आंखों की जांच कराने आए 60 वर्षीय रामालिंगम ने कहा, ‘मशीन से आंखों में जांच कराने में मुझे कोई दिक्कत नहीं आई। यह बहुत ही आरामदायक प्रक्रिया थी और इसमें समय भी कम लगा जिससे मैं बहुत खुश हूं।’
चालक रहित कारों जैसे तकनीक पर काम करता है एआइ सिस्टम
गूगल में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर काम कर रहे शोधकर्ताओं क कहना है कि नया एआइ सिस्टम न्यूरल नेटवर्क आधारित है। डिजीटल असिस्टेंट (जैसे एलेक्सा, सिरी), चालक रहित कार व गूगल ट्रांस्लेट भी इसी नेटवर्क पर काम करते हैं। ऐसे सिस्टम में पहले बहुत सारा डाटा फीड किया जाता है। वह उन डाटा का विश्लेषण कर ही किसी टास्क को पूरा करते हैं।
डॉक्टरों की नौकरी पर नहीं है खतरा
कोई भी नयी तकनीक आने से सबसे ज्यादा असर उस पेशे से जुड़े लोगों पर ही पड़ता है। हालांकि, एआइ के आने से आंखों के डॉक्टर प्रभावित नहीं होंगे क्योंकि इसका इस्तेमाल बीमारी की पहचान के लिए किया जाएगा उपचार के लिए नहीं। इसके अलावा आंखों में कोई अन्य समस्या जैसे मोतियाबिंद होने पर एआइ रेटिनोपैथी की पहचान नहीं कर सकता है। ऐसे में डॉक्टर ही जांच कर इस बीमारी का पता लगा पाएंगे।