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गूगल में बजा नील मोहन की काबिलियत का डंका

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। काबिलियत और काम हो तो भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक नील मोहन जैसा और कंपनी हो तो गूगल जैसी। गूगल के एडवरटाइजिंग प्रोडक्ट्स के उपाध्यक्ष नील मोहन किसी और कंपनी में न चले जाएं, इसके लिए गूगल ने उन्हें वेतन के अतिरिक्त 100 मिलियन डॉलर यानी लगभग 544 करोड़ रुपये बतौर बोनस दिया है। ऐसा ही तोहफा गूगल में काम करने वाले भारतीय मूल के एक अन्य अधिकारी सुंदर पिचाई को मिला है। उन्हें 50 मिलियन डॉलर का बोनस मिला है।

By Edited By: Published: Fri, 12 Apr 2013 08:17 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2013 08:24 PM (IST)
गूगल में बजा नील मोहन की काबिलियत का डंका

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। काबिलियत और काम हो तो भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक नील मोहन जैसा और कंपनी हो तो गूगल जैसी। गूगल के एडवरटाइजिंग प्रोडक्ट्स के उपाध्यक्ष नील मोहन किसी और कंपनी में न चले जाएं, इसके लिए गूगल ने उन्हें वेतन के अतिरिक्त 100 मिलियन डॉलर यानी लगभग 544 करोड़ रुपये बतौर बोनस दिया है। ऐसा ही तोहफा गूगल में काम करने वाले भारतीय मूल के एक अन्य अधिकारी सुंदर पिचाई को मिला है। उन्हें 50 मिलियन डॉलर का बोनस मिला है।

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39 साल के नील मोहन को ट्विटर से नौकरी का ऑफर मिला था। इसकी भनक जैसे ही गूगल को लगी उसने उन्हें भारी भरकम बोनस देकर तीन साल के लिए रोक लिया। इसी के साथ वह गूगल के चेयरमैन एरिक श्मिट के बाद दूसरे ऐसे शख्स बन गए हैं जिन्हें भारी-भरकम बोनस मिला है। गूगल ने नील से ज्यादा 101 मिलियन डॉलर एरिक को दिए थे। नील की काबिलियत के बल पर गूगल को इस वर्ष डिस्प्ले विज्ञापनों से सात बिलियन डॉलर (करीब 38108 करोड़ रुपए) कमाने की उम्मीद है, जबकि 2011 में गूगल को ऐसे ही विज्ञापनों से केवल 5 अरब डॉलर की आय हुई थी।

नील मोहन और उनकी पत्नी हेमा सरीम सैन फ्रांसिस्को में रहते हैं। वे जिस घर में रहते हैं उसकी कीमत कीमत 50 लाख डॉलर से ज्यादा है। हेमा सरीम डेमोक्रेट सीनेटर जो सिमिटियन की प्रवक्ता हैं। गूगल की ओर से नील को रोकने के लिए उठाए गए कदम से वह दुनिया भर में चर्चित हो गए हैं। उन्होंने अपने करियॅर की शुरुआत ग्लोरफाइड टेक्निकल सपोर्ट से की थी। तब उनका वेतन 60,000 डॉलर सालाना था। इसके बाद वह एक अन्य कंपनी डबल क्लिक में चले गए। 2008 में गूगल ने डबल क्लिक को खरीद लिया और इस तरह नील इस कंपनी का हिस्सा बन गए। फ्लोरिडा और मिशिगन में पले-बढ़े नील ने इलेक्ट्रिक इंजीनियंिरग में डिग्री हासिल करने के बाद स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए किया है।

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