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‘ट्रेजडी क्‍वीन’ मीना कुमारी को गूगल का डूडल दे रहा श्रद्धांजलि

1 अगस्‍त को बॉलीवुड अभिनेत्री मीना कुमारी की जयंती के अवसर पर गूगल ने डूडल के जरिए ट्रेजडी क्‍वीन मीना कुमारी की तस्‍वीर को उकेर श्रद्धांजलि अर्पित की है।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 01 Aug 2018 10:40 AM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2018 11:25 AM (IST)
‘ट्रेजडी क्‍वीन’ मीना कुमारी को गूगल का डूडल दे रहा श्रद्धांजलि
‘ट्रेजडी क्‍वीन’ मीना कुमारी को गूगल का डूडल दे रहा श्रद्धांजलि

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। ‘राह देखा करेगा सदियों तक, छोड़ जाएंगे यह जहां तन्हा...’ अपनी खूबसूरती व अदाकारी के साथ शायरी लिख सभी को अपना कायल बनाने वाली मशहूर अभिनेत्री मीना कुमारी को इस दुनिया से गए 40 से अधिक साल बीत गए पर आज भी कोई नहीं भूला पाया है। अगस्‍त माह के पहले दिन यानि 1 अगस्‍त को उनका जन्‍मदिवस है। गूगल ने भी डूडल के जरिए ट्रेजडी क्‍वीन मीना कुमारी की तस्‍वीर को उकेर उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।

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‘टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली, जिसका जितना आंचल था, उतनी ही सौगात मिली...’ न जाने शायरी की इन पंक्‍तियों को लिखते हुए मीना कुमारी किस दर्द का इजहार करना चाहती थीं। तीन दशकों तक बॉलीवुड पर राज करने वाली मीना कुमारी की फिल्‍में आज के दौर में भी मिसाल हैं।

जिंदगी की हकीकत और दर्द भरी फिल्‍मों से बनीं ‘ट्रेजडी क्‍वीन’
मीना कुमारी का जन्म मुंबई में 1 अगस्त, 1932 को हुआ था। उनका असली नाम महजबीं बानो था। मीना के पिता अली बख्स पारसी रंगमंच के कलाकार थे और उनकी मां थियेटर कलाकार थीं। बचपन से लेकर पूरी जिंदगी दर्द के बीच बिताने वाली मीना कुमारी उर्दू का बचपन बहुत ही तंगहाली में गुजरा था। उन्होंने जीवन के दर्द को जीया इसलिए उनकी फिल्मों में कोई भी दुख का दृश्य उनके अभिनय से जीवंत हो उठता था। मीना कुमारी की फिल्‍में दर्द भरी होती थीं इसलिए उन्हें हिंदी फिल्मों की ट्रेजिडी क्वीन कहा जाता है।

1939 में बेबी महजबीं की पहली फिल्‍म
महजबीं पहली बार 1939 में फिल्म निर्देशक विजय भट्ट की फिल्म 'लैदरफेस' में बेबी महज़बीं के रूप में नज़र आईं। 1940 की फिल्म 'एक ही भूल' में विजय भट्ट ने इनका नाम बेबी महजबीं से बदल कर बेबी मीना कर दिया। 1946 में आई फिल्म बच्चों का खेल से बेबी मीना 13 वर्ष की आयु में मीना कुमारी बनीं।

जल्‍दी ही बन गईं बड़ी स्‍टार
मीना कुमारी ने छोटी उम्र में ही घर का सारा बोझ अपने कंधों पर ले लिया। सात साल की उम्र से ही फ़िल्मों में काम करने लगीं। 1952 में आई फ़िल्म ‘बैजू बावरा’ से वे रातों-रात स्‍टार बन गईं। परिणीता, दिल अपना प्रीत पराई, श्रद्धा, आजाद, कोहिनूर...बहरहाल, 1960 तक आते-आते वह एक बहुत बड़ी स्‍टार बन गई थीं।

तंगहाली कुछ ऐसी...
1 अगस्त 1932 को जन्मीं मीना कुमारी का मूल नाम महज़बीं था। जब उनका जन्म हुआ तब पिता अली बख्श और मां इकबाल बेगम के पास डॉक्ट‍र को देने के पैसे नहीं थे। हालत यह थी कि दोनों ने बच्‍ची को अनाथालय में छोड़ दिया। लेकिन, पिता का मन नहीं माना और वो बच्‍ची को घर ले आए। किसी तरह मुश्किल भरे हालातों से लड़ते हुए उन्होंने उनकी परवरिश की।

नहीं निभ सका कमाल के साथ रिश्‍ता
मीना कुमारी और कमाल अमरोही ने शादी तो की लेकिन इनके बीच रिश्‍ता सामान्‍य नहीं रहा। पाकीजा बनाते वक्‍त कमाल अमरोही की मदद के लिए मीना ने अपनी सारी कमाई दे दी। फिर भी दोनों के संबंध और खराब होते गए और आखिरकार तलाक हो गया। इस दौरान मीना कुमारी इतनी बीमार हो गईं कि डॉक्‍टर ने सलाह दी कि नींद के लिए एक ब्रांडी लिया करें और यही मीना कुमारी के लिए जहर का काम करने लगा क्‍योंकि उन्‍हें शराब की लत लग गई।

कह दिया दुनिया को अलविदा
मीना कुमारी तलाक के बाद भी कमाल अमरोही के फ़िल्म पाकीजा का हिस्सा बनी रहीं। 14 साल बाद 4 फरवरी, 1972 को फ़िल्म पर्दे पर आई। तब तक मीना की हालत काफी बिगड़ गई थी। बीमारी की हालत में भी वह लगातार फ़िल्में कर रही थीं। 31 मार्च 1972 को लिवर सिरोसिस के चलते मीना कुमारी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।


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