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इस क्लासिकल डांसर को उनके 100वीं जयंती पर गूगल ने किया याद, वैज्ञानिक विक्रम साराभाई से हुई थी शादी

भारत की जानी-मानी क्लासिकल डांसर मृणालिनी साराभाई की आज 100वीं जयंती है। इस अवसर पर गूगल ने डूडल बना कर विशेष तौर पर उन्हें याद किया है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Fri, 11 May 2018 12:13 PM (IST)Updated: Fri, 11 May 2018 02:53 PM (IST)
इस क्लासिकल डांसर को उनके 100वीं जयंती पर गूगल ने किया याद, वैज्ञानिक विक्रम साराभाई से हुई थी शादी
इस क्लासिकल डांसर को उनके 100वीं जयंती पर गूगल ने किया याद, वैज्ञानिक विक्रम साराभाई से हुई थी शादी

नई दिल्ली (आइएएनएस)। भारत और दुनिया की जानी-मानी क्लासिकल डांसर मृणालिनी साराभाई की आज 100वीं जयंती है। इसके लिए सर्च इंजन गूगल ने डूडल बना कर उन्हें विशेष श्रद्धांजलि अर्पित की है। डूडल में साराभाई को उनके प्रचलित मुद्रा में दिखाया गया है जिसमें वे अपने 'दर्पण अकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स' के ऑडीटोरियम में गर्व के साथ खड़ी हैं और उनके पीछे उनके तीन शिष्य बैकग्राउंड में डांस कर रहे हैं।

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स्विटजरलैंड में ली संगीत की शिक्षा

पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित साराभाई कथकली और भरतनाट्यम में भी निपुण थी। उनका जन्म 11 मई 1918 में हुआ था। उनके पिता एस स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट में वकील थे जबकि माता ए. वी. अम्माकुट्टी एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। साराभाई ने अपना अधिकतर समय स्विटजरलैंड में बिताया था। वहीं उनका परिचय स्विस संगीतकार डालक्रोज इयूरिथमिक्स से हुआ। साराभाई ने काफी छोटी उम्र से ही उनसे संगीत की शिक्षा लेनी शुरु कर दी थी। उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ दक्षिण भारतीय क्लासिकल डांस फॉर्म भरतनाट्यम और डांस ड्रामा कथकली की ट्रेनिंग ली।

प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी विक्रम साराभाई से की शादी

जल्दी ही साराभाई ने अपनी खुद की डांस तकनीक विकसित कर उसमें महारत हासिल कर ली। साराभाई तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी थी, उनकी बड़ी बहन लक्ष्मी सहगल भारतीय सेना का हिस्सा थीं और उनका बड़ा भाई गोविंद स्वामीनाथन मद्रास के पूर्व एटॉर्नी जनरल थे। 1942 में उन्होंने भारत के जाने-माने भौतिक विज्ञानी विक्रम साराभाई से शादी की। विक्रम साराभाई को इंडियन स्पेस प्रोग्राम का फादर भी कहा जाता है। उन दोनों के बच्चे कार्तिकेय औऱ मल्लिका ने अपनी माता के नक्शेकदम पर ही चलकर डांस और थियेटर में नाम कमाया।

तीन दशक तक लोगों को सिखाई अपनी कला

949 में साराभाई ने अपने पति के साथ मिलकर अहमदाबाद में दर्पण अकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स की स्थापना की। यहां अपने तीन दशक के करियर के दौरान उन्होंने 18,000 छात्रों को प्रशिक्षण दिया और लगभग 300 से अधिक डांस ड्रामा कोरियोग्राफ किये। मृणालिनी साराभाई को 1965 में पद्मश्री और 1992 में पद्मभूषण अवॉर्ड से नवाजा गया। 1994 में उन्हें नई दिल्ली में संगीत नाटक एकेडमी फेलोशिप दिया गया, इसके अलावा उन्हें 2013 में केरल का पहला स्टेट एनुअल अवॉर्ड दिया गया था। 21 जनवरी 2016 को 97 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था।


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