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तकनीक से खेतों में उगा रहे सोना

अलीगढ़ के गांव पिलखना के लोगों ने कृषि एप्स की मदद से डेढ़ गुना कर ली आय...

By Srishti VermaEdited By: Published: Thu, 29 Jun 2017 09:01 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jun 2017 09:01 AM (IST)
तकनीक से खेतों में उगा रहे सोना
तकनीक से खेतों में उगा रहे सोना

अलीगढ़ (सुरजीत पुंढीर)। देश के अधिकांश किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा भले ही हो, लेकिन अलीगढ़ जिले के गांव पिलखना के लोगों ने इसे मुनाफे में बदलकर दिखाया है। इन किसानों ने समय को समझा और खेती में तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया। उसी की बदौलत आज ये किसान ‘सोना’ उगा रहे हैं। उपज का सही मूल्य भी वसूल पा रहे हैं। यह सबकुछ संभव हुआ है, मोदी सरकार की ओर से जारी किए गए कृषि एप्स की मदद से। दो साल में सरकार ऐसे नौ कृषि एप जारी कर चुकी है, जो किसानों की तकदीर बदलने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। अधिकांश किसानों की आय डेढ़ गुना हो चुकी है।

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दुख भरे दिन बीते
जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर बसे 20 हजार की आबादी वाले पिलखना नगर पंचायत में 95 फीसद लोग खेती
पर ही निर्भर हैं। पहले इन किसानों को खाद-बीज और फसल के वाजिब मूल्य की चिंता सताती थी। अक्सर लागत भी नहीं निकल पाती थी। इस घाटे की ‘कीमत’ पूरा परिवार चुकाता था। आज किसान खुशहाल हो रहे हैं और गरीबी इनके घर से बेघर।

ऐसे आया बदलाव
200 बीघा के काश्तकार अली हसन गांव की कायापलट के अहम साक्षी हैं। वह बताते हैं कि ढाई क्विंटल प्रति बीघा गेहूं पैदा कर पाते थे। जागरूकता के अभाव में गलत दवा या अधिक खाद से भी फसल चौपट हो जाती थी। फिर, घरेलू खर्चा भी बोझ लगता था। पर, दो साल पहले नए जमाने में पांव रखा। धान की रोपाई कर रहे थे कि गांव के एक युवक ने फोन में देखकर बताया कि दो दिन बाद बारिश होने वाली है। तभी रोपाई करें तो अच्छा रहेगा। हिचकते हुए बात मान ली। बारिश हुई तो सिंचाई के पैसे बच गए। उसके बाद खुद भी इंटरनेट पर मौसम व अन्य जानकारियां लेने लगे। कब-क्या बोआई करना फायदेमंद है, इसे एप्स से देखने लगे। इससे पैदावार भी डेढ़ गुनी तक बढ़ी है। अब गेहूं चार क्विंटल प्रति बीघा पैदा कर रहे हैं।

हर महीने कैंप भी
अच्छी पैदावार ने खाद, बीज और कीटनाशकों से जुड़ी कंपनियों को कस्बे तक सक्रिय कर दिया है। ये हर माह एकदो कैंप लगाकर समस्याओं के समाधान में भी मदद करती हैं।

बेटा कृषि एप से तमाम जानकारियां जुटा लेता है। इससे फायदा तो हुआ है, पर इंटरनेट की दिक्कत है।- गिरीश कश्यप

तीन साल पहले लागत नहीं निकलती थी। कृषि एप्स की मदद से इस बार गेहूं की बंपर पैदावार हुई है।- राम खिलाड़ी

पहले गेहूं-धान ही कर पाता था। एप्स व विशेषज्ञों की मदद से हर साल चार-चार फसलें कर रहा हूं।- सत्यवीर सिंह
60 बीघा खेती है। छोटा भाई कृषि एप से जानकारी दे देता है। इससे तीन साल में डेढ़ गुनी आय हो गई है।- रामनिवास सिंह

पिलखना के लोगों ने कृषि एप्स का शानदार इस्तेमाल किया है। अपनी आय बढ़ाकर मिसाल पेश की है। हमारी कोशिश होगी कि ऐसे उपयोगी एप्स की जानकारी दूसरे किसानों तक भी तेजी से पहुंचाई जाए।- हृषिकेश भास्कर यशोद, डीएम
अलीगढ

चुनौतियां भी कम नहीं
सूबे में सिर्फ 37 फीसद परिवारों के पास ही बिजली कनेक्शन है। अलीगढ़ में 3.97 लाख में से 2.35 लाख घरों तक बिजली पहुंच चुकी है। पर, बिजली अक्सर झटके दे जाती है। दूसरा संकट इंटरनेट का है। बिना इंटरनेट के स्मार्ट फोन किस काम के? इंटरनेट हो भी तो कम स्पीड और कनेक्टिविटी की दिक्कत है।
-युवाओं ने तकनीक का इस्तेमाल करके खेती को मुनाफे में बदल दिया
-20 हजार आबादी वाले पिलखना में 95 फीसद लोग हैं खेती पर निर्भर किसानों के बोल

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