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अब ई-वेस्ट से निकाले जा सकेंगे सोना और प्लैटिनम

लौहनगरी जमशेदपुर के नेशनल मेटलर्जिकल लैबोरेटरी के प्रधान वैज्ञानिक मनीष झा ने कई साल के शोध के बाद विकसित कर ली है नई तकनीक

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 12 May 2018 09:17 AM (IST)Updated: Sat, 12 May 2018 09:57 AM (IST)
अब ई-वेस्ट से निकाले जा सकेंगे सोना और प्लैटिनम
अब ई-वेस्ट से निकाले जा सकेंगे सोना और प्लैटिनम

जमशेदपुर [मुजतबा हैदर रिजवी]। अब कबाड़ से सोना और कीमती धातु प्लैटिनम निकाले जाएंगे। 1000 किलो इलेक्ट्रानिक कबाड़ (ई-वेस्ट) से 300 ग्राम तक सोना, प्लैटिनम, पैलेडियम और चांदी निकलेंगे। जमशेदपुर की एनएमएल (नेशनल मेटलर्जिकल लैबोरेटरी) के प्रधान वैज्ञानिक मनीष झा ने कई साल के शोध के बाद यह तकनीक विकसित की है। इलेक्ट्रॉनिक कबाड़ से सोना निकालने के लिए केमिकल प्रोसेसिंग, इलेक्ट्रोलाइसिस व इलेक्ट्रो प्लेटिंग की विधि अपनाई जाती है। प्रधान वैज्ञानिक ने इस तकनीक का सफल प्रयोग कर लिया है।

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ई-वेस्ट बेहद खतरनाक माना जाता है। इसे बाहर फेंक देने से पर्यावरण पर इसका बुरा असर पड़ता है। इससे लोगों में तरह-तरह की बीमारी होती है। ई-वेस्ट के असर से लोग मानसिक रोगी हो जाते हैं। किडनी और लिवर भी फेल हो जाते हैं। मनीष झा बताते हैं कि ई-वेस्ट को रिसाइकिल कर देने से इसमें मौजूद जहरीले रसायन खत्म हो जाते हैं। यही नहीं, इनमें मौजूद कीमती धातुओं को बाहर निकाल लिया जाता है।

मनीष बताते हैं कि टीवी, मोबाइल आदि इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं में सर्किट बोर्ड और मदर बोर्ड में कीमती धातुओं का इस्तेमाल होता है। प्लैटिनम और सोने का जितना ज्यादा प्रयोग इसमें होगा, उतना ही उस यंत्र का साउंड सिस्टम अच्छा होता है। इसलिए महंगे इलेक्ट्रानिक सामानों से ज्यादा मात्रा में सोना निकलता है।

विश्व रिसाइकिलिंग कमेटी के सदस्य भी हैं मनीष झा

मनीष झा विश्व रिसाइकिलिंग स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य हैं। उन्होंने ई वेस्ट पर काफी काम किया है। इसे लेकर होने वाले सेमिनार में शिरकत करने वे यूरोप के कई देशों के अलावा, जर्मनी, जापान और दक्षिण कोरिया भी जा चुके हैं। उन्होंने रिसाइकिलिंग के कई फायदे बताए हैं।

हर धातु को निकालने की अलग विधि

ई-वेस्ट से हर धातु निकालने की तकनीक अलग है। एल्यूमिनियम से सोना निकालने, तांबा से सोना निकालने व लोहे से सोना निकालने की अलग-अलग विधि है। प्रधान वैज्ञानिक मनीष झा बताते हैं कि अगर ई-वेस्ट में एल्यूमिनियम से सोना निकालना है तो इसके केमिकल प्रोसेसिंग में सल्फ्यूरिक एसिड, अलकली, सोडियम हाइड्रेड आदि का प्रयोग किया जाता है। इसी तरह प्लैटिनम, पैलेडियम और चांदी निकालने के लिए केमिकल प्रोसेसिंग में अलग रसायनों का प्रयोग किया जाता है।

ई-वेस्ट से सोना, प्लेटिनम जैसी धातु निकालने की तकनीक बेहद उपयोगी है। इससे जहां एक तरफ ई कचरा के खपने से पर्यावरण प्रदूषण खत्म होगा, वहीं इससे निकली कीमती धातु बेचकर लाखों कमाया जा सकता है। इसके लिए यह तकनीक काफी मददगार साबित होगी। भविष्य में ई-कबाड़ बढ़ेगी और लोग इसका फायदा ले सकेंगे। भविष्य के लिए यह तकनीक वरदान है। 

-मनीष झा, प्रधान वैज्ञानिक, एनएमएल

रिसाइकिलिंग उद्योग से बदलेगा देश की तकदीर

मनीष झा बताते हैं कि ई-वेस्ट को रिसाइकिलिंग करने का कुटीर उद्योग देश में विकसित किया जा सकता है। इससे लोग घर पर ही ई-कबाड़ की रिसाइकिलिंग कर सोना, चांदी, प्लेटिनम आदि धातु बना सकते हैं। दक्षिण कोरिया, जापान, यूरोप आदि के देशों में लोग घर पर ई वेस्ट की रिसाइकिलिंग कर लाखों कमा रहे हैं। मनीष हाल ही में दक्षिण कोरिया से आए हैं। वह बताते हैं कि वहां एक परिवार ई-वेस्ट से रोज 100 ग्राम सोना निकालता है।  


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