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Global Teacher Prize 2020 से नवाजे गए महाराष्ट्र के शिक्षक, CM ठाकरे सहित राज्यपाल ने दी बधाई

महाराष्ट्र के एक शिक्षक ने ग्लोबल टीचर प्राइज 2020 जीत लिया है। सोलापुर जिले के पारितेवादी गांव के रहने वाले रंजीत सिंह दिसाले को ईनाम के तौर पर 10 लाख लाख अमेरिकी डॉलर मिले है। इस खास अवसर पर सीएम उद्वव ठाकरे और राज्यपाल ने उन्हें बधाई दी है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 07:48 AM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 07:53 AM (IST)
Global Teacher Prize 2020 से नवाजे गए महाराष्ट्र के शिक्षक, CM ठाकरे सहित राज्यपाल ने दी बधाई
Global Teacher Prize 2020 से नवाजे गए महाराष्ट्र के शिक्षक

मुंबई, एएनआइ। महाराष्ट्र के एक शिक्षक ने ग्लोबल टीचर प्राइज 2020 जीता है। प्राथमिक स्कूल के शिक्षक की आयु 32 साल की है। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पारितेवादी गांव के रहने वाले रंजीत को ईनाम के तौर पर 10 लाख लाख अमेरिकी डॉलर मिले है। रंजीत सिंह दिसाले को ग्लोबल टीचर प्राइज लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ तुरंत कार्रवाई यानी क्यूआर कोड वाली पाठ्यपुस्तक क्रांति को ट्रिगर करने के दिल दिया गया है। इस खास मौके पर रंजीत सिंह को दिसाले को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी शुभकानाएं दी है। 

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आधी राशि साथी प्रतिभागियों को देना का एलान

दिसाले ने एलान किया है कि वह अपनी पुरस्कार राशि का आधा हिस्सा अपने साथी प्रतिभागियों को उनके  अतुल्य कार्य में सहयोग देने के लिए देंगे।  आगे उन्होंने कहा कि महामारी  ने शिक्षा और संबंधित समुदायों को कई तरह से मुश्किल की स्थिति में डाल दिया है, लेकिन इस मुश्किल वक्त में शिक्षकों को अपने बेहतर योगदान देने की  कोशिश करनी चाहिए। इससे सभी छात्रों तक अच्छी शिक्षा मिल सकेगी। 

साथ मिलकर दुनिया बदला जा सकता है-दिसाले

उन्होंने कहा असल में शिक्षक वह लोग होते हैं जो चुनौतियों को सामना करने के बाद भी अपने छात्रों के जीवन में बदलाव लाते हैं।  शिक्षक हमेशा देने में यकीन करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि वह खुश है कि वह पुरस्कार की आधी राशि अपने प्रतिभगियों के अतुल्य कार्य के लिए सांझा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि दुनिया को साथ मिलकर बदला जा सकता है। 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2009 में जब दिसाले सोलापुर के परितवादी के दिला परिषद प्राथमिक स्कूल पहुंचे थे ते वहां की स्थिति को देखने के बाद उन्होंने बदलाव करने का जिम्मा उठाया। इस दौरान उन्होंने छात्रों के लिए स्थानीय भाषाओँ में पाठ्यपुस्तक उपलब्ध कराने को लेकर कार्य किया। उन्होंने ना केवल छात्रों के पाठ्यपुस्तकों का मातृभाषा में अनुवाद किया बल्कि उसमें क्यूार कोड की व्यवस्था भी की। ऐसा करने के लिए छात्र-छात्राएं ऑडियो कविताएं और वीडियो देखने में सक्षम हो सकें। 


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