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बैतूल के घोड़ों से छत्तीसगढ़ पहुंच सकती है खतरनाक ग्लैंडर्स बीमारी

घोड़ों में होने वाली खतरनाक बीमारी ग्लैंडर्स का वायरस मध्यप्रदेश स्थित बैतूल क्षेत्र में मिलने से हड़कंप मच गया है। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार से इस बीमारी की पॉजिटिव रिपोर्ट आई है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 11:01 PM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 11:01 PM (IST)
बैतूल के घोड़ों से छत्तीसगढ़ पहुंच सकती है खतरनाक ग्लैंडर्स बीमारी
बैतूल के घोड़ों से छत्तीसगढ़ पहुंच सकती है खतरनाक ग्लैंडर्स बीमारी

रायपुर। घोड़ों में होने वाली खतरनाक बीमारी ग्लैंडर्स का वायरस मध्यप्रदेश स्थित बैतूल क्षेत्र में मिलने से हड़कंप मच गया है। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार से इस बीमारी की पॉजिटिव रिपोर्ट आई है। इसे देखते हुए उप-संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं ने प्रदेश के सभी जिला पशु अस्पतालों को अलर्ट जारी करते हुए बीमारी को लेकर जन जागरूकता फैलाने के आदेश दिए हैं।

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ज्ञात हो कि यह जानलेवा बीमारी मनुष्यों पर भी प्रभाव डालती है। इसका वायरस 6 से 10 किलोमीटर तक तेजी से फैलता है। हालांकि प्रदेश में घोड़ों की संख्या बहुत अधिक नहीं है। छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा में 10-12 घोड़े हैं और शादी-विवाह के दौरान उपयोग होने वाले घोड़ों की संख्या 15-20 होगी। 

ब्लड की जांच के लिए पत्र जारी   

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय ने ब्लड सैंपल की जांच के लिए पत्र जारी किए हैं। राज्य स्तरीय रोग अन्वेषण प्रयोग शाला रायपुर के उप-संचालक डॉ. एनके शुक्ला ने बताया कि प्रभावित क्षेत्र के पांच किमी के दायरे में सभी अश्व प्रजाति के पशुओं एवं 5 से 10 किमी के दायरे में 50 फीसद अश्व प्रजाति के पशुओं की जांच के लिए सीरम के नमूने एकत्रित करने के निर्देश पशुपालन विभाग को मिले हैं। जिला स्तर पर सभी अस्पतालों को यह निर्देश जारी किया गया है। 

घबराने की जरूरत नहीं, स्थिति कंट्रोल में 

उप-संचालक डॉ. एनके शुक्ला के अनुसार अश्व पालकों को घबराने की जरूरत नहीं है। प्रभावित क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो छत्तीसगढ़ में फिलहाल स्थिति कंट्रोल में है। वायरस तेजी से फैलता है, इसलिए बीमारी को लेकर जनजागरूकता लाना जरूरी है। इसके लिए कृषि मंत्रालय भारत सरकार के पत्र क्रमांक के-50/1/2017-एलएएच में सभी प्रमुख बिंदुओं को ध्यान में रखा जा रहा है। 

क्या है ग्लैंडर्स 

-ग्लैंडर्स बरखेलडेरिया मेलिआई जीवाणु जनित रोग है। 

-घोड़ों से मनुष्यों, स्तनधारी पशुओं में पहुंचता है। 

-नोटिफाइएबल है, जेनेटिक रोगों की श्रेणी रखा गया। 

-संक्रमण, नाक, मुंह के म्यूकोसल सरफेस और सांस से होता है। 

-मैलिन नाम के टेस्ट से बीमारी को कन्फर्म किया जाता है। 

-घोड़े-गधों के शरीर की गांठों में इन्फेक्शन और पस बन जाती है। 

-जानवर उठ नहीं पाता, शरीर में सूजन आ जाती है। 

-बीमारी से पीड़ित होने पर मौत निश्चित। 

संक्रमण का दायरा 

- पीड़ित पशु के पास के पशुओं में सौ प्रतिशत 

- 6 से 10 किमी के दायरे में 50 प्रतिशत 

- 30 किमी तक 20 प्रतिशत फैलने की आशंका 

मनुष्यों में लक्षण 

- मांसपेशियों में दर्द 

- छाती में दर्द 

- शरीर में अकड़न 

- तेज सिरदर्द 

- नाक से पानी बहता है 

प्रदेश भर के सभी घोड़े के ब्लड के सैंपल जांच के लिए मंगाए जा रहे हैं। विभाग ने सभी जिला पशु अस्पतालों को अलर्ट कर दिया है।  - डॉ.एनके शुक्ला, उप-संचालक, राज्य स्तरीय रोग अन्वेषण प्रयोग शाला, रायपुर 


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