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गरीबों को न्याय के लिए मुफ्त कानूनी सहायता देने के लिए बोले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित ने रविवार को वरिष्ठ वकीलों से गरीबों और हाशिये पर चले गए वर्गो के लोगों को न्याय दिलाने के लिए उन्हें निशुल्क कानूनी सहायता मुहैया कराने की अपील की। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिकारों के महत्व- 2020 विषय रहा।

By Pooja SinghEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 07:43 AM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 07:43 AM (IST)
गरीबों को न्याय के लिए मुफ्त कानूनी सहायता देने के लिए बोले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील
गरीबों को न्याय के लिए मुफ्त कानूनी सहायता देने के लिए बोले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित ने रविवार को वरिष्ठ वकीलों से गरीबों और हाशिये पर चले गए वर्गो के लोगों को न्याय दिलाने के लिए उन्हें नि:शुल्क कानूनी सहायता मुहैया कराने की अपील की। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस ललित कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा कलबुर्गी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

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यह कार्यक्रम 'सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिकारों के महत्व- 2020' विषय पर था। जस्टिस ललित ने कहा, 'केवल पैनल के वकीलों को प्रशिक्षण देना पर्याप्त नहीं होगा। समस्या का समाधान यह है कि कुछ वरिष्ठ वकीलों को कानूनी सहायता को पसंद के रूप में लेना होगा और नि:शुल्क मामलों में पेश होते रहना होगा ताकि विधिक सहायता मांगने आए व्यक्ति को यह आश्र्वासन दिलाया जा सके कि उसे बिना किसी गड़बड़ी के गुणवत्तापूर्ण कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी।

'गरीबों और वंचित तबके के लोगों को सशक्त बनाने के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि गरीबों को कानूनी सहायता प्रदान करने का मतलब यह नहीं है कि वह खराब स्तर की हो, इसे बेहतर गुणवत्ता और मानक का होना चाहिए।महिलाओं को सशक्त बनाने पर बल सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने महिलाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा , 'महिलाओं को इस हद तक सशक्त किया जाना चाहिए कि वह हम सभी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकें।'

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के प्रयास के एक मामले में एक व्यक्ति की सजा में कमी को चुनौती देने वाली 'गैरजरूरी' अपील दायर करने के लिए उत्तराखंड सरकार को फटकार लगाई है। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि आरोपित के वकील ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के समक्ष सजा को चुनौती नहीं दी, बल्कि सजा कम करने का तर्क दिया। राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने भी सजा घटाने के अनुरोध का विरोध नहीं किया।

शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड सरकार द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए चेतावनी दी कि अगर राज्य इस अदालत में और गैरजरूरी याचिका दायर करने की कोशिश करता है तो इसकी अनुमति देने वाले जवाबदेह अधिकारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।


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